क्यों पाकिस्तान की गंगा है सिंधु नदी, जानिए पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में क्या है रोल
importance of indus river in pakistan: 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने 65 साल पुराने सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया था। अब पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि को वॉटर बम बताया है। असल में सिंधु नदी पाकिस्तान की लाइफलाइन कही जाती है। पाकिस्तान की 90 फीसदी फसलें सिंधु के पानी पर ही निर्भर हैं। पाकिस्तान का कहना है कि उनके देश में जितने भी पॉवर प्रोजेक्ट्स हैं, डैम हैं, वो सब इसी पानी पर बने हैं। यदि भारत हकीकत में इस पर अमल करता है तो पाकिस्तान प्यासा मर जाएगा, वहां की फसलें तबाह हो जाएंगी और बारिश के दिनों यदि ज्यादा पानी छोड़ दिया तो वहां बाढ़ से तबाही आ जाएगी। आइये जानते हैं पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का किस तरह आधार है सिंधु:
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का आधार है सिंधु नदी
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पाकिस्तान की 80% कृषि भूमि (लगभग 16 लाख हेक्टेयर) सिंधु रिवर सिस्टम के पानी पर निर्भर है।
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पाकिस्तान के 93% हिस्से की सिंचाई सिंधु नदी के पानी से होती है। इस तरह सिन्धु पाकिस्तान की कृषि का आधार है।
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पाकिस्तान की 23 करोड़ से ज्यादा आबादी को पानी की आपूर्ति सिंधु नदी सिस्टम से होती है।
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पाकिस्तान के शहरों मुल्तान, कराची और लाहौर को सिंधु रिवर सिस्टम के जरिए पानी की आपूर्ति होती है।
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पाकिस्तान के तरबेला और मंगला जैसे बड़े जल विद्युत संयंत्र भी इस रिवर सिस्टम के बहाव पर निर्भर हैं।
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पाकिस्तान में गेहूं, चावल, गन्ना और कपास जैसी फसलों की पैदावार में सिंधु नदी के पानी का इस्तेमाल होता है। इस तरह ये सीधे तौर पर कृषि को प्रभावित करती है।
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पाकिस्तान की जीडीपी में सिंधु रिवर सिस्ट तकरीबन 25% का योगदान देती है।
भारत और पाकिस्तान में सिंधु नदी का प्रवाह क्षेत्र:
सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत के मानसरोवर झील के पास से होता है। यह भारत में जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के क्षेत्रों से बहती हुई पाकिस्तान में प्रवेश करती है। पाकिस्तान में यह नदी पंजाब और सिंध प्रांतों से होकर गुजरती है और अंततः अरब सागर में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज हैं, जो ज्यादातर भारत से पाकिस्तान की ओर बहती हैं।
सिंधु जल संधि क्या है और कब हुई?
सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के उपयोग को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौता है। यह संधि 19 सितंबर, 1960 को कराची में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हस्ताक्षरित हुई थी। इस संधि के तहत, सिंधु नदी बेसिन की छह नदियों - सिंधु, झेलम, चिनाब (पश्चिमी नदियाँ) और रावी, ब्यास, सतलुज (पूर्वी नदियाँ) - के पानी का बंटवारा किया गया था। संधि के अनुसार, पूर्वी नदियों का लगभग पूरा पानी भारत को आवंटित किया गया, जबकि पश्चिमी नदियों का अधिकांश पानी पाकिस्तान को दिया गया। भारत को पश्चिमी नदियों पर कुछ सीमित उपयोग का अधिकार दिया गया, जैसे कि पनबिजली उत्पादन (रन-ऑफ-द-रिवर प्रोजेक्ट) और कृषि के लिए सीमित सिंचाई।