ब्रज में होली का धमाल, राधा-कृष्ण के प्रेम रूपी सरोवर में रंगी मथुरा नगरी
मथुरा। ब्रज की गलियों में होली की खुमारी चौतरफा दिखाई दे रही है। फुलेरा दूज से होली का पर्व शुरू हो चुका है, जो चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा पंचमी तिथि यानी रंग पंचमी तक अलग-अलग तरह से मनाया जाएगा। कहीं लट्ठमार होली होगी तो कहीं छड़ीमार होली, तो कहीं रंगबिरंगे फूलों से होली खेली जाएगी। होली के पंरपरागत स्वरूप को देखने के लिए देश-विदेश से लोग मथुरा पहुंचे हैं।
यहां पर बरसाना के प्रमुख श्रीजी मंदिर में बड़े ही धूमधाम से लड्डू होली और लट्ठमार का विशेष महत्व है। राधा-कृष्ण के प्रेम में पगी होली का लुत्फ उठाने के लिए भक्तों का सैलाब इस समय मथुरा नगरी में उमड़ा हुआ है। होली से ठीक एक दिन पहले खेली जाने वाली इस लड्डू होली का ब्रज में विशेष महत्व है। यहां नंदगांव के हुरियारों को बरसाना गांव द्वारा न्योता भेजा जाता है। जब निमंत्रण नंदगांव स्वीकार कर लेता है तो उसकी खुशी में पांडा पर लड्डू फेंककर मंदिर के सेवायत उसका स्वागत करते हैं।
ब्रज में बरसाना की लट्ठमार होली प्राचीन और विश्व प्रसिद्ध है। परंपरागत स्वरूप में बरसाने की हुरियारिनों से होली खेलने के लिए नंदगांव के हुरियारे आते हैं। कहा जाता है कि बरसाने द्वारा नंदगांव में होली खेलने का निमंत्रण भेजा जाता है। निमंत्रण स्वीकार करने के बाद एक दूत यानी पांडा नंदगांव से बरसाने में संदेश देता है कि होली खेलने हुरियारे आने वाले हैं।
जब ये पांडा लौटकर बरसाने के प्रमुख श्रीजी मंदिर में पहुंचता है तो मंदिर में उपस्थित सभी गोस्वामी स्वागत करते हुए पांडा पर लड्डू फेंकते हैं। पांडा पर मंदिर परिसर में उपस्थित लोगों द्वारा लड्डुओं की बरसात होती है, जिसे लड्डू होली के नाम से जाना जाता है।
इस बार राधा प्यारी के गांव बरसाने की लड्डू होली में शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से भक्त पहुंचे हैं। ब्रज की इस होली के दिन भक्त एक-दूसरे पर रंग-गुलाल उड़ाते हुए धमाल मचाते हैं। भगवान के दर पर होली का यह रंग देखते ही बनता है।
बरसाने की लड्डू होली के दूसरे दिन ब्रज में विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली देखने को मिलती है। इस होली में शामिल होने दूरदराज से लोग राधा किशोरी के गांव बरसाने आते हैं। यहां कृष्ण भक्ति में सराबोर, उत्साह और उमंग से भरपूर राधा रानी रूपी गोपियां नंदगांव से कृष्ण रूपी हुरियारों पर जमकर लाठियां बरसाती हैं।
बीच-बीच में हास-परिहास, देशज गाली, अबीर-गुलाल, लाठियां बरसाती गोपियां और उनसे ढाल से खुद को बचाने का हुरियारे का प्रयास मनमोहने और अभिभूत करने वाला है। मथुरा नगरी में इस होली पर्व का आनंद देश-विदेश से आए पर्यटक, भक्त और साधु-संत ले रहे हैं।
राधा नगरी में लट्ठमार होली खेलने के लिए आए नंदगांव से कान्हा के सखा यानी हुरियारे यहां पहले पीली पोखर में स्नान करते हैं, फिर अपने सिर पर पग (पगड़ी) बांधकर बरसाने की हुरियारिनों को होली के लिए निमत्रंण देते हैं। हुरियारों का स्वागत बरसाना में ठंडाई और भांग से होता है, जिसके बाद ये हुरियारे रंगीली गली में जाकर होली के गीत गाते बरसाना की हुरियारिनों को रिझाते हैं।
एक जनश्रुति के अनुसार भगवान कृष्ण बरसाने होली खेलने आए थे तो बरसाने वालों ने उन्हें इसी स्थान पर विश्राम कराया था और उनकी सेवा की थी। तभी से बरसाने में लट्ठमार होली की परंपरा चली आ रही है। इस होली का भरपूर आनंद लेने और खेलने के लिए नंदगांव से बुजुर्ग, युवा और बच्चे पहुंचते हैं। इस समय पूरी मथुरा नगरी राधा-कृष्ण के प्रेम रंग में रंगी नजर आ रही है।
ब्रज में 40 दिनों तक होली पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि जब तक बरसाने की हुरियारिनों द्वारा नंदगांव के हुरियारों पर लाठियां नही भांजी जाती है, तब तक होली का पर्व अधूरा लगता है, आनंद आता ही नहीं है। इसलिए तो कहते है कि ब्रज की इस होली को देखने के लिए देवता भी जमीन पर उतर आते हैं।