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Last Updated : सोमवार, 9 मई 2016 (09:14 IST)

चंबल में मां बनने वाली महिला डाकुओं की दास्तान

Female Bandits of Chambal महिला डकैत
इटावा। महिला डकैतों के नाम से भले ही पूरा चंबल क्षेत्र थर्राता हो लेकिन आज ये अपने बच्चों को समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने की जद्दोजहद कर रही हैं।

महिला बंदूक थामकर बीहड़ों में कूदती है तो उसकी चर्चा बहुत ज्यादा होती है। चंबल के बीहड़ों में सैकड़ों की तादाद में महिला डाकुओं ने अपने आतंक का परचम लहराया है। 
 
चंबल घाटी के कुख्यात डकैत छविराम की पत्नी ने तमाम संघर्षों के बाद अपने बेटे को समाज में सम्मान दिलाया है। डकैत छविराम की पत्नी संघर्षों से कभी नहीं घबराई। अपने बेटे को पढ़ाया-लिखाया। आज उसका बेटा उत्तरप्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर है।
 
चंबल के बीहड़ों में रहते हुए सबसे पहले महिला डकैत सीमा परिहार ने अपने बच्चे को जन्म दिया। एक समय था, जब चंबल में सीमा के नाम की तूती बोला करती थी। सीमा बीहड़ में आने से पहले अपने माता-पिता के साथ मासूमियत के साथ जिंदगी बसर कर रही थी।
 
दस्यु सरगना लालाराम सीमा परिहार को उठाकर बीहड़ में लाया था। बाद में लालाराम ने गिरोह के एक सदस्य निर्भय गुर्जर से सीमा की शादी करवा दी, लेकिन दोनों जल्दी ही अलग हो गए। उसका एक बेटा है जिसको वह पढ़ा-लिखाकर एक अच्छा इंसान बनाना चाहती है। उसके भविष्य को लेकर चिं‍‍तित रहती है।
 
फिलहाल जमानत पर चल रही सीमा परिहार ओरैया में रहते हुए राजनीति में सक्रिय है। फूलनदेवी के चुनाव क्षेत्र मिर्जापुर से लोकसभा का चुनाव लड़ चुकी सीमा परिहार टेलीविजन शो बिग बॉस में हिस्सा ले चुकी है।
 
सीमा परिहार के बाद डकैत चंदन की पत्नी रेनू यादव, डकैत सलीम गुर्जर की प्रेयसी सुरेखा उर्फ सुलेखा और जगन गुर्जर की पत्नी कोमेश गुर्जर ने भी चंबल के बीहड़ों में रहते हुए मातृत्व सुख हासिल किया। डकैत सलीम की प्रेमिका सुरेखा ने भी एक बेटे को जन्म दिया है।
 
मूल रूप से मध्यप्रदेश के भिंड की रहने वाली सुरेखा लंबे समय तक जेल में रही है। अदालत के निर्णय पर फिलहाल वह बाहर आ चुकी है। सुरेखा गांव में रहकर अपना जीवन बसरकर रही हैं। 5 जनवरी 2005 को ओरैया जिले में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए कुख्यात डकैत चंदन यादव गैंग की महिला डकैत रेनू यादव ने भी एक बेटी को जन्म दिया है। रेनू की बेटी अपनी नानी के पास ओरैया के मंगलीपुर गांव में रह रही है।
 
राजस्थान के कुख्यात डकैत जगत गुर्जर के गैंग की महिला डकैत कोमेश गुर्जर ने भी बीहड़ में रहकर मां बनने में गुरेज नहीं किया। बीहड़ मे जहां हर पल मौत से सामना होता है, वहीं पर कोमेश ने दुर्गम हालात में मां बनने का फैसला किया।
 
राजस्थान के धौलपुर जिले के पूर्व सरपंच छीतरिया गुर्जर की बेटी कोमेश अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए बंदूक उठाकर बीहड़ों में कूद गई थी। गिरोह में साथ-साथ रहने के दौरान जगन गुर्जर और कोमेश एक-दूसरे के करीब आ गए।
 
मुरैना में मध्यप्रदेश के साथ हुई एक मुठभेड़ में गोली लगने से कोमेश घायल हो गई थी। जगन उसे पुलिस की नजरों से बचाकर अपने साथ ले गया, लेकिन राजस्थान के धौलपुर के समरपुरा के एक नर्सिंग होम में 5 नवंबर 2008 को इलाज करा रही कोमेश को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
 
कोमेश की जुदाई जगन से बर्दाश्त नहीं हुई और उससे मिलने को बेचैन जगन ने 31 जनवरी 2009 को राजस्थान के करौली जिले के कैमरी गांव के जगदीश मंदिर के परिसर में दौसा से कांग्रेस सांसद सचिन पायलट के सामने इस शर्त पर आत्मसमर्पण कर दिया कि उसे और कोमेश को एक ही जेल में रखा जाए। आत्मसमर्पण के समय जगन ने भावुक होकर कहा कि वह अब आम आदमी की तरह सामाजिक जीवन जीना चाहता है।
 
80 के दशक में सीमा परिहार के बाद लवली पांडे, अनिता दीक्षित, नीलम गुप्ता, सरला जाटव, सुरेखा, बसंती पांडे, आरती, सलमा, सपना सोनी, रेनू यादव, शीला इंदौरी, सीमा यादव, सुनीता पांडे, गंगाश्री आदि ने भी बीहड़ में दस्तक दी लेकिन इनमें से कोई भी सीमा परिहार जैसा नाम और शोहरत नहीं हासिल कर सकीं।
 
सरला जाटव, नीलम गुप्ता और रेनू यादव के अतिरिक्त अन्य महिला डकैत पुलिस की गोलियों का शिकार हो गईं। हालांकि एक समय लवली पांडेय सीमा परिहार के मुकाबले ज्यादा खतरनाक साबित हुई थी। (वार्ता) 
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