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Last Updated : सोमवार, 3 अप्रैल 2023 (22:45 IST)

बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि का गेहूं की पैदावार पर पड़ा कितना असर, सामने आया आंकड़ा

बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि का गेहूं की पैदावार पर पड़ा कितना असर, सामने आया आंकड़ा - Effect of unseasonal rain and hailstorm on wheat production
नई दिल्ली। केंद्र ने सोमवार को कहा कि प्रमुख उत्पादक राज्यों में हाल में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की करीब 8-10 प्रतिशत फसल खराब होने का अनुमान है। लेकिन देर से बुवाई वाले क्षेत्रों में बेहतर उपज की संभावना से उत्पादन में होने वाले नुकसान की भरपाई की उम्मीद है।
 
कृषि आयुक्त पीके सिंह ने कहा कि हाल के खराब मौसम के बावजूद कृषि मंत्रालय के दूसरे अनुमान के अनुसार इस साल देश का कुल गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन पर पहुंच जाएगा। भारत गेहूं के प्रमुख उत्पादक देशों में से एक है, जो यहां की एक बड़ी आबादी का मुख्य भोजन है।
 
पिछले कुछ सप्ताह से पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में पश्चिमी विक्षोभ के कारण गरज, ओलावृष्टि और तेज हवाओं के साथ बेमौसम बारिश ऐसे समय हुई है, जब फसल कटाई के लिए लगभग तैयार थी।
 
प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ फसल क्षति की समीक्षा बैठक के बाद बात करते हुए सिंह ने कहा कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से कुछ स्थानों पर फसल को नुकसान हुआ है और साथ ही देर से की गई बुवाई वाले क्षेत्रों में उपज में वृद्धि हुई है।
 
उन्होंने कहा कि लगभग 8-10 प्रतिशत गेहूं की फसल क्षति का अनुमान उन क्षेत्रों में लगाया गया है, जो ओलावृष्टि, आंधी और तेज़ हवाओं के कारण पौधों के जमीन पर गिरने से हुआ। उन्होंने कहा कि इस साल देश में कुल 3.4 करोड़ हैक्टेयर गेहूं बोए जाने के मद्देनजर गेहूं को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है।
 
कृषि आयुक्त ने कहा कि अन्य स्थानों पर जहां ओलावृष्टि और तेज हवाएं नहीं थीं, बेमौसम बारिश ने मिट्टी की नमी में सुधार किया है और गेहूं की फसल की उपज की संभावनाओं को और बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि अनाज में भराव के चरण के दौरान तापमान में गिरावट से उपज में और सुधार होगा।
 
सिंह ने आगे कहा कि बेमौसम बारिश से अधिक क्षेत्र में फसल को फायदा हुआ है और देर से बुवाई वाले क्षेत्रों में फसल की पैदावार 10-15 प्रतिशत अधिक होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश और राजस्थान में 80 प्रतिशत गेहूं की फसल कट चुकी है इसलिए इन दोनों राज्यों में फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है।
 
उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में उत्तरप्रदेश, पंजाब और हरियाणा में गेहूं का लगभग 25 प्रतिशत क्षेत्र देर से बोया गया था और इन स्थानों पर बेमौसम बारिश से फसल की वृद्धि में मदद मिल रही है। सिंह ने कहा कि इसलिए फसल के नुकसान की वजह से होने वाली संभावित क्षति की भरपाई बाकी पैदावार में बढ़ोतरी से हो जाएगी। कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार निस्संदेह हम रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन हासिल करेंगे।
 
मंत्रालय ने चालू फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया है। पिछले साल बेमौसम बारिश और गर्मी की लू चलने के कारण घरेलू गेहूं के उत्पादन में गिरावट आई जिससे सरकार को बढ़ती घरेलू कीमतों को रोकने के लिए निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
 
राज्यों के आंकड़ों के अनुसार खराब मौसम के कारण मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश में लगभग 5.23 लाख हैक्टेयर गेहूं की फसल खराब होने का अनुमान है। पंजाब और हरियाणा में नुकसान का आकलन किया जा रहा है। गेहूं एक प्रमुख रबी (सर्दियों) की फसल है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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