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Last Modified: मंगलवार, 9 नवंबर 2021 (18:16 IST)

स्वर्णजयंती फेलोशिप के लिए 17 युवा वैज्ञानिक चयनित

स्वर्णजयंती फेलोशिप के लिए 17 युवा वैज्ञानिक चयनित - DST, Swarnjayanti, Fellowship, S&T, R&D,
नई दिल्ली, देश के अलग-अलग वैज्ञानिक संस्थानों के 17 वैज्ञानिकों को शोध संबंधी उनके नवोन्मेषी विचारों और विभिन्न विषयों में अनुसंधान एवं विकास को प्रभावी बनाने के लिए स्वर्णजयंती फेलोशिप प्रदान की गई है।

स्वर्णजयंती फेलोशिप योजना के तहत युवा वैज्ञानिकों को विज्ञान व प्रौद्योगिकी में मूलभूत अनुसंधान के लिए विशेष सहायता व संरक्षण दिया जाता है।

भारत सरकार द्वारा स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आरंभ की गई यह फेलोशिप योजना संस्थान-आधारित न होकर वैज्ञानिक आधारित है।

फेलोशिप चुनिंदा वैज्ञानिकों को दी जाती है और इसका बारीकी से शैक्षणिक संदर्भ में निरीक्षण किया जाता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अग्रणी क्षेत्रों में मौलिक शोध करने के लिए प्रमाणित ट्रैक रिकॉर्ड वाले वैज्ञानिकों का चयन इस फेलोशिप के लिए तीन स्तरीय कठोर स्क्रीनिंग प्रक्रिया द्वारा किया जाता है।

सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ की डॉ नीति कुमार, आईआईटी, कानपुर के डॉ नितिन गुप्ता, आईआईटी, खड़गपुर के डॉ मोधु सूदन माजी, सीएसआईआर-एनसीएल, पुणे के डॉ. शाक्य सिंह सेन, आईआईटी, गांधीनगर के डॉ. अतुल अभय दीक्षित, टीआईएफआर के वैज्ञानिक डॉ उज्ज्वल कोले, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद के डॉ अरविंद सिंह, सैद्धांतिक विज्ञान के लिए अंतरराष्ट्रीय केंद्र- टीआईएफआर, बंगलूरू के डॉ सुभ्रो भट्टाचार्जी, टीआईएफआर, हैदराबाद के डॉ. पबित्र कुमार नायक, भौतिकी संस्थान, भुवनेश्वर के डॉ. शमिक बनर्जी और आईआईटी, पटना के डॉ. ऋषि राज को यह फेलोशिप प्रदान की गई है।

इसके अलावा, स्वर्णजयंती फेलोशिप प्राप्त करने वाले वैज्ञानिकों में भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, पुणे के दो वैज्ञानिक डॉ सिद्धेश एस. कामत तथा डॉ मौसमी भक्त, भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलूरू के वैज्ञानिक डॉ श्रीधरन देवराजन एवं डॉ. मयंक श्रीवास्तव, आईआईटी, बॉम्बे के दो वैज्ञानिक डॉ. चंद्रमौली सुब्रमण्यम एवं डॉ अमर्त्य मुखोपाध्याय शामिल हैं।

इस योजना के तहत भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा चयनित वैज्ञानिकों को शोध के लिए सभी आवश्यक व्यय समेत पांच साल के लिए 25,000 रुपये मासिक फेलोशिप प्रदान की जाती है। इसके अलावा, पांच साल के लिए पांच लाख रुपये का अनुसंधान अनुदान प्रदान किया जाता है।

फेलोशिप के अंतर्गत दिया जाने वाला अनुदान वैज्ञानिक को अपने नियोक्ता संस्थान द्वारा मिलने वाले वेतन के अतिरिक्त है। मेधा के आधार पर इसमें अन्य जरूरतों को भी शामिल किया गया है। इनमें उपकरण, कम्प्यूटर सुविधाएं, सामग्री, आकस्मिक खर्च, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय यात्रा व अन्य विशेष खर्च शामिल है।

फेलोशिप के लिए चयनित वैज्ञानिक खर्च की सीमा की चिंता किये बिना अनुसंधान कार्य कर सकते हैं। परियोजना की प्रमुख शर्तों में वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत नवोन्मेषी विचार और प्रस्तावित विषय में शोध एवं विकास की प्रभावी क्षमता होना आवश्यक है। (इंडिया साइंस वायर)
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