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Last Updated :नई दिल्ली , गुरुवार, 20 जुलाई 2017 (16:59 IST)

डोकलाम पर भारत का कड़ा रुख, पहले चीन हटे

डोकलाम पर भारत का कड़ा रुख, पहले चीन हटे - Doklam row: India-China bilateral talks ruled out till border standoff is resolved
नई दिल्ली। डोकलाम विवाद पर चीन के आक्रामक रवैये के बाद भारत ने भी कड़ा रुख अपना लिया है। भारत का मानना है कि चीन का दबाव गलत है और पहले उसे विवादित क्षेत्र से अपनी सेना हटानी चाहिए। 
 
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार को संसद में कहा कि कानूनी तौर पर डोकलाम मामले में भारत का पक्ष मजबूत है। यहां चीन ने ही यथास्थिति को तोड़ा है। इस मामले में पूरी दुनिया मानती है कि भारत का पक्ष सही है। सुषमा ने आज प्रश्नकाल के दौरान कहा कि यह 'ट्राई जंक्शन' भारत, भूटान एवं चीन के बीच में पड़ता है। उन्होंने कहा कि हाल ही में चीन की सेना ने बुलडोजर एवं अन्य उपकरण ला कर इस क्षेत्र पर एकपक्षीय ढंग से यथास्थिति को खत्म करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि यह भारत एवं भूटान की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है।
 
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत का स्पष्ट मानना है कि इस क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाओं को नहीं रहना चाहिए और बातचीत के जरिये ही मुद्दे का हल निकाला जाना चाहिए। उन्होंने पूरक प्रश्नों के जवाब में कहा कि भारत और चीन के बीच वर्ष 2012 में एक समझौता हुआ था। इसमें यह तय किया गया था कि इस ‘ट्राई जंक्शन' के मुद्दे पर भारत, चीन तथा तीसरा देश मिल कर तय करेंगे। उन्होने कहा कि यह तीसरा देश भूटान है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में कोई निर्धारित सीमा नहीं है। चीन चाह रहा था कि वह बुलडोजर और अन्य उपकरण ले कर बटांगला तक पहुंच जाए ताकि एकपक्षीय ढंग से वहां की यथास्थिति को खत्म किया जा सके। इस मुद्दे पर भारत ने चीन के रूख का विरोध किया तथा इस मामले में सभी देश हमारे साथ हैं।
 
सुषमा ने एक अन्य पूरक प्रश्न के जवाब में इस बात को गलत बताया कि चीन भारत को चारों ओर से घेर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत अपनी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से सतर्क और चौकन्ना है। हमें कोई नहीं घेर सकता। चीन की समुद्री ताकत बनने की मंशा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि चीन की यह रणनीति है कि वह हिंद महासागर क्षेत्र के तटवर्ती देशों में बंदरगाहों और अन्य आधारभूत सुविधाओं का विकास कर रहा है। इसमें वो सुविधाएं भी शामिल हैं जो भारत की समुद्री सीमा के पास हैं।
 
उन्होंने कहा कि वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) पहल के तहत चीन इस क्षेत्र के कई देशों में बुनियादी ढांचा सुविधाओं के विकास के लिए परियोजनाएं प्रारंभ कर रहा है। उन्होंने कहा कि कथित चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को ओबीओआर की प्रमुख परियोजनाओं के रूप में चिह्नित किया गया है, जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे के तहत भारतीय भूक्षेत्र से हो कर गुजरता है।सुषमा ने कहा कि सरकार का यह अटल दृष्टिकोण है कि पाकिस्तान ने वर्ष 1947 से भारत के जम्मू कश्मीर राज्य के हिस्सों पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। सरकार ने चीन के उच्चतम स्तर के साथ साथ चीनी पक्ष को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में उसकी गतिविधियों के बारे में अपनी चिंताओं से अवगत कराया है और उन्हें इन गतिविधियों को रोकने के लिए कहा है।
 
उन्होंने कहा कि सरकार भारत की सुरक्षा को प्रभावित करने वाली सभी घटनाओं पर सतत निगरानी रखती है और उसकी हिफाजत के लिए सभी आवश्यक उपाय करती है। विदेश मंत्री ने एक पूरक प्रश्न के जवाब में यह भी कहा कि भारत अभी भी पंचशील सिद्धांत पर चल रहा है। (भाषा)