डोकलाम में सब ठीक, चिंता की बात नहीं : जनरल रावत
नई दिल्ली। सिक्किम सेक्टर में चीन और भूटान से लगते ट्राइजंक्शन स्थित डोकलाम क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने बुधवार को कहा कि वहां सब ठीक है और किसी तरह की चिंता की बात नहीं है।
जनरल रावत ने पूर्वोत्तर क्षेत्र विशेष रूप से सिलीगुड़ी में सुरक्षा पहलुओं के संबंध में आज यहां आयोजित एक सेमिनार से इतर डोकलाम के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में कहा, सब ठीक है और चिंता की कोई बात नहीं है।
इससे पहले इसी कार्यक्रम में नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने कहा कि चीन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा का बार-बार उल्लंघन किया जाना तथा डोकलाम में उसकी गतिविधियां चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, चीनी सैनिकों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा का बार-बार अतिक्रमण करने और डोकलाम में सैन्य गतिरोध से चीन के हावी होने के संकेत मिलते हैं। चीन इस क्षेत्र में सैन्य और ढांचागत बढ़ोतरी भी कर रहा है। हाल की गतिविधियों ने भी सिलीगुड़ी गलियारे की संवेदनशीलता को रेखांकित किया है।
जनरल रावत ने सेमिनार के एक सत्र के समापन वक्तव्य में कहा कि सिलीगुड़ी गलियारे को लेकर भारत को अपनी आंख और कान खुले रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमारा पश्चिमी पड़ोसी (पाकिस्तान) छद्म वार करते हुए सुनियोजित ढंग से बांग्लादेश से यहां लोगों का पलायन करा रहा है और हमारा उत्तरी पड़ोसी (चीन) इसमें सहयोग कर रहा है। इसके पीछे इनकी मंशा इस क्षेत्र में अशांति पैदा करना है।
जनरल रावत ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के संबंध में लोगों के साथ तालमेल बढ़ाने, विकास करने, सुरक्षा बढ़ाने तथा पड़ोसी देशों से लोगों के पलायन पर रोक लगाने की दिशा में काम किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उग्रवादी तथा विद्रोही गतिविधियां इस क्षेत्र में विकास में सबसे बड़ी बाधा हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए चरणबद्ध तरीके से विकास करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश से गैर कानूनी ढंग से लोगों का पूर्वोत्तर में पलायन इतनी बड़ी समस्या है कि वहां भारतीय जनता पार्टी से कहीं अधिक रफ्तार से ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की पूर्वोन्मुखी नीति का अब असर होने लगा है और विकास की परियोजनाओं पर काम हो रहा है। सेना प्रमुख ने कहा कि पूर्वोत्तर के लोगों के साथ मेलमिलाप बढ़ाने के साथ-साथ वहां विकास कार्यक्रमों में तेजी लाया जाना ही समय की मांग है।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष डोकलाम में चीनी सेना की निर्माण गतिविधियों के चलते भारत और चीन की सेनाओं के बीच लगभग ढाई महीने तक गतिरोध की स्थिति बनी रही थी। गतिरोध समाप्त होने के बाद भी चीन की ओर से वहां ढांचागत निर्माण किया जा रहा है और सैनिकों की भी मौजूदगी बढ़ाई गई है। सेना प्रमुख ने पहले कहा था कि चीन द्वारा इस क्षेत्र में किया जा रहा निर्माण अस्थाई है। (वार्ता)