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Last Updated : सोमवार, 2 जनवरी 2023 (10:41 IST)

Demonetisation : 'नोटबंदी' पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

Demonetisation : 'नोटबंदी' पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला - Demonetisation: Supreme Court to pronounce verdict on note ban today
नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ आज ‘नोटबंदी’ (Verdict on Demonetisation) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने 2016 में 1,000 रुपए और 500 रुपए के नोटों के विमुद्रीकरण का फैसला किया था।

न्यायमूर्ति एसए नजीर की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ मामले में फैसला सुनाएगी, जो 4 जनवरी को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इससे पहले 7 दिसंबर, 2022 को, अदालत ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को सरकार के 2016 के फैसले से संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और बीवी नागरत्ना भी शामिल हैं। बता दें कि सरकार ने 2016 नोटबंदी का फैसला लिया था, जिसके बाद देशभर में एटीएम के सामने लंबी कतारें लग गई थी। लंबे समय तक नोटबंदी और काला धन वापस लाने को लेकर देश में बहस चलती रही। जिसके बाद सरकार भी सवालों के घेरे में आ गई थी।

अदालत ने नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आरबीआई के वकील और याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनीं। आरबीआई की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट में दलीलें पेश कीं। वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और अधिवक्ता पी चिदंबरम व श्याम दीवान पेश हुए। चिदंबरम ने 500 रुपए और 1000 रुपण् के करेंसी नोटों को बंद करने को गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण बताते हुए, तर्क दिया था कि सरकार लीगल टेंडर से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को अपने दम पर शुरू नहीं कर सकती है, ये केवल आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर ही किया जा सकता है।

सरकार ने 2016 की नोटबंदी की कवायद पर फिर से विचार करने के सुप्रीम कोर्ट के प्रयास का विरोध करते हुए, कहा था कि अदालत ऐसे मामले का फैसला नहीं कर सकती है, जिसमें राहत देने का कोई जरिया ही न बचा हो। यह ‘समय को पीछे करने’ और ‘एक फोड़े गए अंडे को फिर से पुराने स्वरूप में लाने’ का प्रयास करने जैसा है, जो कतई संभव नहीं है। आरबीआई ने शीर्ष अदालत में अपने जवाब में स्वीकार किया था कि नोटबंदी के फैसले से लोगों को कुछ कठिनाइयां जरूर हुई थीं, लेकिन यह भी राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है।

क्या थी नोटबंदी : बता दें कि नोटबंदी मोदी सरकार का एक बेहद सख्त फैसला था। जिसके बाद देशभर में बैंकों और एटीएम के सामने लोगों की कतारें कई दिनों तक देखने को मिली थी। इसे लेकर देशभर में बेहद हंगामा हुआ था। न्यूज चैनल से लेकर अखबारों में नोटबंदी को लेकर बहस होती रही। अब इसे लेकर दायर की गई याचिकाओं के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है।
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