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Last Updated : रविवार, 6 नवंबर 2016 (11:57 IST)

सबसे खतरनाक धुंध, दिल्ली में तेजी से बढ़े दमा-एलर्जी के मामले...

सबसे खतरनाक धुंध, दिल्ली में तेजी से बढ़े दमा-एलर्जी के मामले... - Delhi smog: Rise in asthma, allergy, breathlessness cases
नई दिल्ली। पिछले 17 साल में सबसे खतरनाक धुंध की वजह से घातक वायु की मोटी परत में लिपटी दिल्ली में सांस लेने में दिक्कत, दमा और एलर्जी के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। चिकित्सकों और विशेषज्ञों का कहना है कि नए मामले सामने आने के साथ ही पहले से ही दमा, एलर्जी या अन्य संबंधित विकारों से ग्रस्त लोगों के लिए स्वास्थ्य जटिलताएं बढ़ गई हैं।
 
सर गंगाराम अस्पताल में औषधि विभाग के अध्यक्ष एवं सीनियर कंसल्टेंट डॉ. एसपी ब्योत्रा का कहना है कि पहले हमारे अस्पताल में प्रदूषण से संबंधित बीमारी के 15 से 20 प्रतिशत मामले आते थे लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 60 प्रतिशत तक हो गई है। उनका कहना है कि सर्वाधिक आम समस्या श्वसन संबंधी होती है लेकिन इस बार हम धुंध की वजह से सांस लेने में गंभीर परेशानी, खांसी और छींक तथा ब्रोंकाइटिस के मामले बड़ी संख्या में देख रहे हैं। 
 
ब्योत्रा ने कहा कि बच्चे और बुजुर्ग धुंध तथा प्रदूषण के चलते संक्रमण और एलर्जी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं इसलिए उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए और सुबह तथा शाम के समय बाहर निकलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, जब खतरनाक स्तर सबसे ज्यादा होता है। 
 
दिल्ली पिछले 17 साल में सबसे खतरनाक धुंध का सामना कर रही है जिससे उच्च न्यायालय को यह तक कहना पड़ा कि यह 'किसी गैस चैंबर में रहने' जैसा है।

केंद्र ने इसे आपातकालीन स्थिति करार दिया है और सोमवार को सभी पड़ोसी राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों की बैठक बुलाई है जिससे कि किसान पराली जलाना बंद करें।
 
विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा अनुमान है कि विश्व की 20 प्रतिशत से अधिक आबादी एलर्जिक अस्थमा, एलर्जिक राइनिटिस और एलर्जिक कंजक्टीवाइटिस, एटापिक एग्जिमा और ऐनफिलैक्सिज जैसे एलर्जी रोगों से पीड़ित है।
 
वसंत कुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल में बाल रोग विभाग के निदेशक एवं प्रमुख डॉ. राहुल नागपाल का कहना है कि जो लोग इस तरह की बीमारियों से पहले से ही पीड़ित हैं, उनको ज्यादा दिक्कत आ रही है। बच्चे अधिक प्रभावित हो रहे हैं क्योंकि रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसके अतिरिक्त, संक्रमण को सही होने में अधिक समय लग रहा है।
 
एम्स के बाल रोग विशेषज्ञ वीके पॉल का कहना है कि जहां तक संभव हो सके, बच्चों को सुबह और देर शाम के समय बाहर निकलने से बचना चाहिए। पिछले कुछ दिनों में धुंध की वजह से मामलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। दक्षिणी दिल्ली स्थित अपोलो अस्पताल में भी अस्थमा और एलर्जी के मामलों की संख्या दोगुनी हो गई है।
 
डॉक्टरों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से शहर को अपनी चपेट में ले रही धुंध की मोटी परत के चलते खांसी, छींक और आंखों तथा त्वचा की एलर्जी के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है।
 
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में कंसल्टैंट (इंटरनल मेडिसिन) डॉ. सुरनजीत चटर्जी का कहना है कि मामलों में निश्चित तौर पर बढ़ोतरी हुई है और कई बीमारियों में संख्या दोगुनी हो गई है। प्रदूषण की वजह से दमा, एलर्जी तथा अन्य समस्याओं में बढ़ोतरी हुई है और सबसे ज्यादा पीड़ित बुजुर्ग हो रहे हैं।
 
दिल्ली में प्रदूषण की इस स्थिति के चलते मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को भी दिल्ली को गैस चैंबर कहना पड़ा। केजरीवाल ने लोगों से अपील की कि वे स्थिति के मद्देनजर निजी वाहनों का कम इस्तेमाल करें और सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करें। (भाषा)