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Last Updated : शनिवार, 5 जून 2021 (22:45 IST)

घर-घर राशन योजना पर आमने-सामने मोदी सरकार और केजरीवाल

घर-घर राशन योजना पर आमने-सामने मोदी सरकार और केजरीवाल - delhi rashan yojna stopped by modi govt aap angry details
नई दिल्ली। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार की घर-घर तक राशन पहुंचाने की महत्वाकांक्षी योजना पर केंद्र सरकार द्वारा रोक लगाए जाने की खबरों के बीच केंद्र सरकार ने बयान जारी कर अपना पक्ष रखा है।

मीडिया खबरों के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि उसने दिल्ली सरकार को राशन वितरित करने से रोका नहीं है। इसके साथ ही केंद्र ने दिल्ली सरकार पर अखिल भारतीय योजना को बाधित करने को लेकर सवाल भी खड़ा किया।

दिल्ली सरकार अगले हफ्ते से इस योजना के तहत 72 लाख लोगों के घर तक राशन पहुंचाने की तैयारियों में जुटी थी। यह योजना 25 मार्च से दिल्ली में शुरू होने वाली थी।

मीडिया खबरों के मुताबिक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कल सुबह 11 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपनी बात रखेंगे। सूत्रों के अनुसार इस योजना के लिए सभी तैयारियां हो चुकी थीं और इसे अगले सप्ताह से शुरू किया जाना था। केंद्र सरकार को इस योजना के नाम से आपत्ति थी।

इसके बाद दिल्ली कैबिनेट ने इसका नाम बदलने का प्रस्ताव पास किया और इसे घर-घर राशन योजना नाम दिया गया। खबरें हैं कि बदले हुए नाम के बाद भी केंद्र ने इसे मंजूरी नहीं दी है।  दिल्ली सरकार ने शनिवार को दावा किया कि केंद्र ने राष्ट्रीय राजधानी में 72 लाख राशन कार्ड धारकों को लाभान्वित करने वाली उसकी महत्वाकांक्षी राशन योजना को 'रोक दिया' और उसने इस कदम को 'राजनीति से प्रेरित'’ बताया।


राज्यपाल ने पुनर्विचार के लिए लौटाया : हालांकि, इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने दावा किया कि उपराज्यपाल ने प्रस्ताव को खारिज नहीं किया है जैसा दिल्ली सरकार द्वारा ‘‘चित्रित’’ किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘निजी विक्रेताओं के माध्यम से लागू की जाने वाली योजना की अधिसूचना से संबंधित फाइल को उपराज्यपाल ने पुनर्विचार के लिए मुख्यमंत्री को लौटा दिया है। हालांकि एक सूत्र ने दावा किया कि उपराज्यपाल ने प्रस्ताव को खारिज नहीं किया है। उसने कहा कि जिस तरह 20 मार्च, 2018 को सलाह दी गई थी उसी तरह फिर से यह सलाह दी गई है कि चूंकि प्रस्ताव वितरण के तरीके को बदलने का प्रयास करता है, इसलिए इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 की धारा 12 (2) (एच) के अनुसार अनिवार्य रूप से केंद्र की पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता होगी।
 
सीएमओ ने कहा मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने कहा कि सरकार अगले कुछ दिनों में योजना शुरू करने के लिए तैयार थी। सीएमओ ने एक बयान में दावा किया कि उपराज्यपाल ने 2 जून को यह कहते हुए फाइल वापस कर दी कि योजना को लागू नहीं किया जा सकता है। उसने कहा कि उपराज्यपाल ने दो कारणों का हवाला देते हुए राशन को घर-घर तक पहुंचाने संबंधी योजना के कार्यान्वयन के लिए फाइल को खारिज कर दिया है - एक तो केंद्र ने अभी तक योजना को मंजूरी नहीं दी है और दूसरा अदालत में मामला चल रहा है।
 
सीएमओ ने बयान में कहा कि दिल्ली सरकार एक से दो दिनों के भीतर राशन योजना शुरू करने के लिए तैयार थी, जिससे 72 लाख गरीब लाभार्थियों को लाभ होगा। उसने दावा किया कि केंद्र के सभी सुझावों को स्वीकार करने के बाद, दिल्ली सरकार ने 24 मई को उपराज्यपाल को अंतिम मंजूरी और योजना को तत्काल लागू करने के लिए फाइल भेजी थी, जिसे उन्होंने योजना को ‘खारिज’ करते हुए वापस कर दिया। इससे पहले ‘मुख्यमंत्री घर घर राशन योजना’ को केंद्र द्वारा उठाई गई आपत्ति पर दिल्ली सरकार ने वापस ले लिया था।
 
दिल्ली के खाद्य मंत्री इमरान हुसैन ने हालांकि दावा किया कि कानून के मुताबिक इस तरह की योजना शुरू करने के लिए किसी मंजूरी की जरूरत नहीं है। हुसैन ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार द्वारा 2018 से केंद्र को छह से अधिक पत्र भेजे गए थे जिसमें उन्हें योजना के बारे में सूचित किया गया था। एक अदालती मामले का हवाला देते हुए, इस तरह की क्रांतिकारी योजना को रोका जाना यह स्पष्ट करता है कि यह फैसला राजनीति से प्रेरित है।
 
सूत्र ने बताया कि साथ ही दिल्ली सरकार राशन डीलर्स संघ की ओर से दिल्ली सरकार द्वारा घर-घर राशन पहुंचाने की प्रस्तावित व्यवस्था को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है। केंद्र 20 अगस्त को होने वाली सुनवाई के लिए निर्धारित याचिका का एक पक्ष है। इस योजना के तहत, प्रत्येक लाभार्थी को चार किलोग्राम आटा और एक किलोग्राम चावल पैक कर उनके घरों तक पहुंचाया जायेगा।