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Last Updated :नई दिल्ली , शनिवार, 21 दिसंबर 2024 (15:48 IST)

दिल्ली हाई कोर्ट ने रद्द की दुष्कर्म संबंधी याचिका, कहा- इससे जुड़े कानूनी प्रावधानों का हो रहा दुरुपयोग

दिल्ली हाई कोर्ट ने रद्द की दुष्कर्म संबंधी याचिका, कहा- इससे जुड़े कानूनी प्रावधानों का हो रहा दुरुपयोग - Delhi High Court dismisses rape petition
Delhi High Court: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करते हुए कहा है कि बलात्कार महिलाओं के विरुद्ध सबसे जघन्य अपराधों में से एक है, लेकिन कुछ लोग इससे जुड़े कानूनी प्रावधानों का इस्तेमाल पुरुष साथी को अनावश्यक रूप से परेशान करने के लिए एक हथियार के रूप में करते हैं।
 
एक व्यक्ति ने अपने साथ रिश्ते में रही महिला के यौन उत्पीड़न के आरोप में दर्ज प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध करते हुए अदालत का रुख किया था। उच्च न्यायालय ने कहा कि प्राथमिकी बाद में आए विचारों पर आधारित है। अदालत ने कहा कि रिकॉर्डिंग, व्हॉट्सएप चैट और मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किए गए बयानों से स्पष्ट रूप से स्थापित हुआ है कि बलात्कार साबित करने के लिए सबूत नहीं थे, क्योंकि पुरुष और महिला ने सहमति से शारीरिक संबंध बनाए थे और ऐसा विवाह के झूठे वादे पर नहीं हुआ था।ALSO READ: यूपी के शाहजहांपुर घर में सो रही युवती से नाबालिग ने किया दुष्कर्म
 
पुरुष साथी को अनावश्यक रूप से परेशान करने का मामला : न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने हालिया बयान में कहा कि यह सच है कि जिस प्रावधान के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है, वह महिलाओं के खिलाफ सबसे जघन्य अपराधों में से एक है। हालांकि यह भी एक स्थापित तथ्य है कि कुछ लोग इसे अपने पुरुष साथी को अनावश्यक रूप से परेशान करने के लिए एक हथियार के रूप में उपयोग करते हैं।ALSO READ: चलती एंबुलेंस में नाबालिग के साथ दुष्कर्म, 2 आरोपी गिरफ्तार
 
एक निर्दोष व्यक्ति को परेशानी का सामना करना पड़ा : अदालत ने कहा कि यह मामला इस बात का अनूठा उदाहरण है कि कैसे एक निर्दोष व्यक्ति को दंडात्मक प्रावधान के दुरुपयोग के कारण अनुचित परेशानी का सामना करना पड़ा और इसलिए अदालत को लगता है कि यदि मामले की सुनवाई होती भी रही तो मामले में कुछ भी नहीं निकलेगा।ALSO READ: 7 साल की मासूम से दुष्कर्म, किन्नर बताकर कोर्ट को कर रहा था गुमराह, 2 वर्ष बाद मिली 20 साल की सजा
 
व्यक्ति के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता पहले रिश्ते में थे और उन्होंने सहमति से शारीरिक संबंध बनाए थे। वकील ने कहा कि कुछ कलह के कारण आरोपी और महिला ने एक-दूसरे से शादी नहीं की और बाद में उसके खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया गया। हालांकि अभियोजक ने प्राथमिकी रद्द करने की याचिका का विरोध किया और कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ गंभीर आरोप हैं और शिकायत से स्पष्ट रूप से साबित होता है कि उसने महिला का यौन उत्पीड़न किया था।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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