JNU के बाद DU में भी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर बवाल, सुरक्षा के कड़े इंतजाम
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रॉक्टर रजनी अब्बी ने शुक्रवार को कहा कि विश्वविद्यालय बीबीसी के, 2002 गोधरा दंगों पर बने वृत्तचित्र को दिखाए जाने की अनुमति नहीं देगा। उन्होंने कहा कि प्रशासन से इसकी अनुमति नहीं मांगी गई है। जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (JNU) और जामिया मिल्लिया इस्लामिया में डॉक्यूमेंट्री पर बवाल के बाद छात्र संगठनों ने दिल्ली विश्वविद्यालय तथा आंबेडकर विश्वविद्यालय में भी इसे दिखाने की घोषणा की है।
अब्बी ने कहा, 'हमने दिल्ली पुलिस को इस संबंध में पत्र लिखा है। वे कार्रवाई करेंगे। उपयुक्त संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाएगा। हम इस तरह के प्रदर्शन (वृत्तचित्र के प्रदर्शन) की अनुमति नहीं दे सकते हैं।'
उन्होंने कहा कि हमें सूचना मिली है कि नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) कला संकाय में वृत्तचित्र दिखाने की योजना बना रहा है... इसके लिए कोई अनुमति नहीं मांगी गई है। हम इस तरह के व्यवहार की अनुमति नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि इस फिल्म को सरकार ने प्रतिबंधित किया है।
कांग्रेस से संबद्ध एनएसयूआई और भीम आर्मी स्टूडेंट फेडरेशन, दोनों छात्र संगठनों ने कहा है कि वे नॉर्थ कैम्पस में अलग-अलग समय पर फिल्म का प्रदर्शन करेंगे।
इधर हैदराबाद में SFI ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी में गणतंत्र दिवस पर आयोजित डॉक्यूमेंट्री इंडिया: द मोदी क्वेश्चन की स्क्रीनिंग की। इसके जवाब में ABVP ने फिल्म द कश्मीर फाइल्स चलाई। केरल में भी कई जगह डॉक्यूमेंट्री को लेकर हंगामा हुआ।
ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) का वृत्तचित्र इंडिया: द मोदी क्वेश्चन दो भाग में है, जिसमें दावा किया गया है कि यह 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित कुछ पहलुओं की पड़ताल पर आधारित है। 2002 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे।
विदेश मंत्रालय ने वृत्तचित्र को दुष्प्रचार का हिस्सा बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि इसमें निष्पक्षता का अभाव है तथा यह एक औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है।
स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) ने बुधवार को जामिया मिलिया इस्लामिया में वृत्तचित्र दिखाने की घोषणा की थी, लेकिन पुलिस ने मौके पर पहुंच उसकी योजना विफल कर दी थी। जेएनयू में भी मंगलवार को वृत्तचित्र को प्रदर्शित किए जाने को लेकर बवाल खड़ा हो गया था।