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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 20 अगस्त 2022 (15:34 IST)

ऐसे कैसे पूरा होगा महिला अपमान से मुक्ति पाने का पीएम मोदी का संकल्प?

ऐसे कैसे पूरा होगा महिला अपमान से मुक्ति पाने का पीएम मोदी का संकल्प? - Controversial statements of BJP leaders regarding women
महिलाओं के सम्मान का मुद्दा बीते सप्ताह सबसे चर्चित मुद्दा रहा। लालकिले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के प्रति लोगों के व्यवहार का मुद्दा उठाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे आचरण में विकृति आ गई है और हम कभी-कभी महिलाओं का अपमान करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे बोलचाल में, हमारे व्यवहार में, हमारे कुछ शब्दों में, हम नारी का अपमान करते हैं। क्या हम स्वभाव से, संस्कार से, रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं। प्रधानमंत्री ने देश से सवाल किया कि क्या हम अपने व्यवहार में इससे छुटकारा पाने का संकल्प ले सकते हैं। 
 
एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महिलाओं के प्रति व्यवहार में बदलाव लाने और इससे छुटकारा पाने का मुद्दा उठा रहे थे तो दूसरी ओर उनकी ही पार्टी के नेता अपने शब्दों में कहीं न कहीं महिला सम्मान पर ठेस पहुंचा रहे थे। इस कड़ी में सबसे बड़ा नाम भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का है। बिहार में हुए सत्ता परिवर्तन पर जाने-अनजाने कैलाश विजयवर्गीय कुछ ऐसा बोल गए जिसमें पर सियासी बवाल मच गया। मीडिया से बात करते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि जिस दिन बिहार की सरकार बदली, मैं विदेश में था। इस मामले में विदेश के एक व्यक्ति ने मुझसे कहा कि ऐसा तो उनके यहां (विदेश में) होता है कि लड़कियां कभी भी बॉयफ्रेंड बदल लेती हैं। 

महिलाओं के सम्मान में विवादित बयान देने में कैलाश विजयवर्गीय के बाद दूसरा नाम गुजरात के गोधरा से भाजपा विधायक सीके राउलजी का है। भाजपा विधायक राउलजी ने कहा कि बिलकिस बानो मामले में कुछ दोषी अच्छे संस्कार या मूल्यों वाले ब्राह्मण हैं। यह संभव है कि उन्हें उनकी पिछली पारिवारिक गतिविधियों के कारण फंसाया गया हो। 
 
वहीं मध्यप्रदेश में भाजपा नेता प्रीतम लोधी ने भी अपने एक भाषण में कथावाचकों और ब्राह्मणों के खिलाफ बोलते हुए महिलाओं के सम्मान और आस्था पर सीधी चोट कर दी। भाजपा नेता प्रीतम लोधी ने कहा कि महिलाएं कथावाचकों और ब्राह्मणों की बातों में आ जाती है और दूध, घी, दही अपने बच्चों को खिलाने के जगह इनको दे दे देती है। कथा के दौरान कथावाचक 20 से 30 साल की महिलाओं को आगे बैठाते है, इसके बाद उनको नचवाते है और उपर बैठकर अपना आनंद लेते है। इसके साथ कथावाचक सुंदर महिलाओं का नाम पुकारते है और महाराज जी उनके घर भोजन करने जाते है। भोजन के दौरान महाराज की नजर कहीं और ही होती है। 

महिलाओं पर विवादित बयानों की फ़ेहरिस्त लंबी-महिलाओं पर नेताओं के बिगड़े बोल को लेकर नेताओं के कई विवादित बयान पहले भी आ चुके है। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह महिलाओं के लिए ‘टंच माल' शब्द कर प्रयोग कर चुके है। तो सीनियर नेता शरद यादव 1997 में संसद में महिला आरक्षण बिल पर बहस के दौरान कहा था कि "इस बिल से सिर्फ़ पर-कटी औरतों को फ़ायदा पहुंचेगा। परकटी शहरी महिलाएँ हमारी (ग्रामीण महिलाओं) का प्रतिनिधित्व कैसे करेंगी।"
 
वहीं दिग्गज समाजवादी नेता मुलायम सिंह का बलात्कार पर बयान कि 'लड़कों से ग़लती हो जाती है और इसके लिए उन्हें मौत की सज़ा नहीं देना चाहिए' पर भी काफी बवाल मचा था। वहीं भाजपा सांसद साक्षी महाराज हिंदू महिलाओं को अपने धर्म की रक्षा करने के लिए 'कम से कम चार बच्चे पैदा करने की सीख दे चुके है। भाजपा नेता नरेश अग्रवाल जया बच्चन को फिल्मों में नाचने वाली और कांग्रेस नेता संजय निरुपम स्मृति ईरानी को पैसे के लिए ठुमके लगाने वाली महिला बता चुके है।
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