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Last Modified: सोमवार, 3 जुलाई 2017 (20:55 IST)

चीनी सेना की घुसपैठ, कांग्रेस ने मांगा सरकार से जवाब

चीनी सेना की घुसपैठ, कांग्रेस ने मांगा सरकार से जवाब - Chinese army, infiltration, Congress
नई दिल्‍ली। चीन सेना द्वारा भारत की सीमा में घुसपैठ की बढ़ती घटनाओं पर कांग्रेस ने सोमवार को गहरी चिंता जताते हुए सरकार से सवाल किया कि देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इस गंभीर मुद्दे से निबटने के लिए उसके पास क्या ठोस रणनीति है? 
 
कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने आज कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमाई अक्षुण्णता से जुड़ा एक बहुत गंभीर मुद्दा है। उन्होंने कहा कि चीन के साथ पिछले 40-50 वर्ष में इतनी तनातनी नहीं देखी गई है।
 
उन्होंने कहा कि आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले 45 दिनों में चीनी सेना द्वारा घुसपैठ की 120 घटनाएं हुई हैं। वर्ष 2017 में चीनी सेना द्वारा ऐसी 240 घटनाएं हो चुकी हैं। इसका मतलब है कि प्रतिदिन घुसपैठ की एक घटना। 
 
उन्होंने कहा कि जून माह के दौरान उत्‍तराखंड के चमोली जिले में दो चीनी हेलीकॉप्टरों ने भारत की वायु सीमा का उल्लंघन किया। कुछ समय पहले चीनी सैनिक उत्‍तराखंड में भारतीय सीमा में साढ़े चार किलोमीटर भीतर तक घुस आए।
 
चीन के मुद्दे को सरकार द्वारा गंभीरता से नहीं लिए जाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह कहते हैं कि चीनी घुसपैठ अवधारणा का मामला है जबकि विदेश राज्यमंत्री संसद में बयान देते हैं कि चीनी सेना द्वारा घुसपैठ नहीं अतिक्रमण किया जा रहा है। 
 
सिंघवी ने कहा कि वह किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं कर रहे हैं, किन्तु इस सरकार में या तो अनिच्छुक रक्षामंत्री रखे जाते हैं या अंशकालिक रक्षामंत्री। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा एवं सीमाई अक्षुण्णता से जुड़ा बहुत गंभीर मुद्दा है तथा यदि सरकार इस बारे में राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर कोई ठोस फैसला करती है तो कांग्रेस उसके साथ खड़ी होगी।
 
उन्होंने कहा कि चाहे अजहर मसूद को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का मुद्दा हो, परमाणु आपूतर्किर्ता समूह या संरा सुरक्षा परिषद की सदस्यता का मामला हो, चीन ने भारत का हर बार कड़ा विरोध किया है। 
 
उन्होंने कहा कि वर्षों से हमारा मजबूत मित्र रहा रूस भी चीन पाकिस्तान आर्थिक परिपथ (सीपीईसी) मुद्दे पर चीन का समर्थन कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत भले ही सीपीईसी का कड़ा विरोध कर रहा हो, किन्तु इस मामले में हम अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं।
 
सिंघवी ने सरकार को सुझाव दिया कि अप्रैल 2005 के वास्तविक नियंत्रण समझौते और अक्टूबर 2013 के एक अन्य समझौते को आधार बनाकर चीन के साथ बातचीत कर सामान्य संबंधों की इमारत खड़ी की जा सकती है।
 
सिंघवी ने कहा कि हाल में चीन के साथ जो तनातनी हुई है, उसमें एक पक्ष भूटान भी है। उन्होंने कहा कि भूटान से भारत के लंबे मित्रतापूर्ण संबंध रहे हैं। इस मामले में भारत को बहुत ही सतर्कता से कदम उठाना होगा। (भाषा)
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