दिल्ली नहीं पहुंचे बंगाल के मुख्य सचिव, CM ममता ने PM मोदी को लिखा पत्र
नई दिल्ली। केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच तनातनी कम होने का नाम नहीं ले रही है। यास चक्रवात के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बंगाल दौर के समय सीएम ममता बनर्जी के साथ शुरू हुए टकराव के बीच में राज्य के मुख्य सचिव अल्पन बंद्योपाध्याय आ गए हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूरे मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है।
यास तूफान को लेकर पीएम की बैठक में ममता बनर्जी के साथ चीफ सेकेटरी पहुंचे तो थे लेकिन देरी, फिर दोनों चले भी गए थे। बंद्योपाध्याय को पश्चिम बंगाल सरकार ने ड्यूटी से मुक्त नहीं किया है... आज के कार्यक्रम के मुताबिक दोपहर 3 बजे मुख्यमंत्री द्वारा आहूत समीक्षा बैठक में वे हिस्सा ले सकते हैं।
केंद्र ने शुक्रवार की रात अचानक बंद्योपाध्याय की सेवाएं मांगीं और राज्य सरकार से कहा कि शीर्ष नौकरशाह को तुरंत वहां से मुक्त किया जाए। बंद्योपाध्याय 60 वर्ष की उम्र पूरा करने के बाद 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे। बहरहाल, कोविड-19 के प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए उन्हें 3 महीने का सेवा विस्तार दिया गया था।
ममता ने मोदी को लिखा पत्र : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य के मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने के एकतरफा आदेश से स्तब्ध और हैरान हूं।
यह एकतरफा आदेश कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरने वाला, ऐतिहासिक रूप से अभूतपूर्व तथा पूरी तरह से असंवैधानिक है। केंद्र ने राज्य सरकार के साथ विचार विमर्श के बाद मुख्य सचिव का कार्यकाल एक जून से अगले तीन महीने के लिए बढ़ाने जो आदेश दिया था उसे ही प्रभावी माना जाए।
संघीय सहयोग, अखिल भारतीय सेवा तथा इसके लिए बनाए गए कानूनों के वैधानिक ढांचे का आधार स्तंभ है। मुख्य सचिव को 24 मई को सेवा विस्तार की अनुमति देने और चार दिन बाद के आपके एकपक्षीय आदेश के बीच आखिर क्या हुआ, यह बात समझ में नहीं आई।
मुझे आशा है कि नवीनतम आदेश (मुख्य सचिव का तबादला दिल्ली करने का) और कलईकुंडा में आपके साथ हुई मेरी मुलाकात का कोई लेना-देना नहीं है। मैं सिर्फ आपसे बात करना चाहती थी, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच आमतौर पर जिस तरह से बैठक होती है उसी तरह से। लेकिन आपने अपने दल के एक स्थानीय विधायक को भी इस दौरान बुला लिया जबकि प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री की बैठक में उपस्थित रहने का उनका कोई मतलब नहीं है।