10% मछलियां व 15% फल-सब्जियां हो जाती हैं नष्ट
नई दिल्ली। पानी से निकाले जाने के बाद लगभग 10 प्रतिशत मछलियां तथा पककर तैयार होने के बाद 15 प्रतिशत से अधिक फल और सब्जियां परिवहन सुविधाओं की कमी, प्रसंस्करण सुविधाओं के अभाव में तथा छटाई एवं पैकेजिंग के दौरान नष्ट हो जाती हैं।
केंद्रीय फसलोत्तर इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (सीफेट) लुधियाना ने जल्द खराब होने वाले कृषि उत्पादों पर पिछले वर्ष एक अध्ययन किया जिसके अनुसार पानी से निकाले जाने के बाद 10.52 प्रतिशत मछलियां आधारभूत सुविधाओं के अभाव में नष्ट हो जाती हैं। इसी तरह पककर तैयार होने तथा पेड़ से तोड़ने के बाद 4.58 प्रतिशत से 15.88 प्रतिशत तक फल और सब्जियां खराब हो जाती हैं।
अनाजों में यह हानि 4.65 से 5.99 प्रतिशत, दालों में 6.36 प्रतिशत से 8.41 प्रतिशत तथा तिलहनों में 3.08 से 9.96 प्रतिशत तक है। कुल मिलाकर सालाना 92,651 करोड़ रुपए तक की फसलोत्तर हानियां हैं।
संसद की कृषि संबंधी स्थायी समिति ने हाल की अपनी एक रिपोर्ट में फसलों के तैयार होने के बाद नष्ट होने पर चिंता व्यक्त की है और इसे नियंत्रित करने के उपाय करने की सिफारिश की है। (वार्ता)