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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शुक्रवार, 20 दिसंबर 2019 (11:26 IST)

बड़ा सवाल : भाजपा शासित राज्यों में ही क्यों हो रही हिंसा, लखनऊ हिंसा पुलिस की नाकामी या साजिश?

बड़ा सवाल : भाजपा शासित राज्यों में ही क्यों हो रही हिंसा, लखनऊ हिंसा पुलिस की नाकामी या साजिश? - CAA-NRC : BJP ruled states face join protest
CAA और NRC के विरोध में असम से उठी विरोध की आग ने अब देश के 10 से अधिक राज्यों को अपनी चपेट में ले लिया है। विरोध की इस आग में असम, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक और बिहार बुरी तरह झुलस रहे हैं। गुरुवार को कर्नाटक और उत्तरप्रदेश में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़कने से 3 लोगों की मौत हो गई वहीं सैकड़ों लोग घायल हो गए। नागरिकता कानून के विरोध में जिन राज्यों में भीड़ हिंसक रूप ले रही है, वह भाजपा शासित राज्य हैं वहीं कांग्रेस शासित राज्यों में लोग विरोध करने के लिए सड़क पर तो उतर रहे हैं लेकिन वहां शांतिपूर्ण अपना विरोध जता रहे हैं।
 
नागरिकता कानून पर विरोध के हिंसक रूप लेने की सबसे पहली तस्वीरें भाजपा शासित राज्य असम से आई थींं। इसके बाद दिल्ली में जहां पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आती है, वहां पर जमकर हिंसा हुई। नागरिकता कानून पर गुरुवार को उत्तरप्रदेश और कर्नाटक हुई हिंसा में 3 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। वहां पर भी सत्ता में भाजपा ही काबिज है, वहीं कांग्रेस शासित राज्यों जैसे मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ, पंजाब और ममता के सूबे बंगाल और उद्धव के नेतृत्व वाले महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन तो हो रहे हैं लेकिन वे पूरी तरह शांतिपूर्ण हो रहे हैं।
  
ऐसे में सवाल यही खड़ा हो रहा है कि हिंसा भाजपा शासित राज्यों में ही क्यों हो रही है? क्या इसके पीछे लोगों का भाजपा सरकार के विरोध में गुस्सा है या यह हिंसा एक सुनियोजित साजिश तो नहीं? अगर अब तक विरोध प्रदर्शन को देखा जाए तो इन विरोध प्रदर्शन का कोई नेतृत्वकर्ता नहीं होता है और लोगों की भीड़ खुद आंदोलन के लिए सड़क पर उतरती है और अचानक से बेकाबू होकर हिंसा पर उतारू हो जाती है। ऐसे में सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि क्या भीड़ के हिंसक होने के पीछे पुलिस प्रशासन की नाकामी तो नहीं जिम्मेदार है? 
वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर राकेश पाठक कहते हैं कि यह जो हिंसा हो रही है यह सुनियोजित भी है और इसमें पुलिस प्रशासन की नाकामी भी जिम्मेदार है। वेे कहते हैं कि यह गौर करने वाली बात है कि जो भी हिंसा हुई है वह भाजपा शासित राज्यों में हो रही है। लखनऊ में हुई हिंसा को बेहद चिंताजनक बताते हुए वे कहते हैं कि जब शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहा था तभी अचानक से 40-50 नाकबपोश आते हैं और वे आगजनी और तोड़फोड़ करने लगते हैं। इससे यह पूरी हिंसा सुनियोजित दिखाई देती है। वे कहते हैं कि इससे पहले जामिया में भी जो हिंसा हुई थी वहां पर खुद दिल्ली पुलिस ने माना था कि इसमें छात्र नहीं बल्कि बाहर लोग जिम्मेदार थे।

वेे मानते हैं कि हिंसा में सुनियोजित तरीके से लोग शामिल किए जा रहे हैंं जिससे शांतिपूर्ण चल रहे आंदोलन को हिंसक आंदोलन में बदल दिया जाए जिससे कि आंदोलन भटक जाए और इसे आम लोगों की सहमति नहीं मिल पाए। वे कहते हैं कि इरादतन आंदोलन में उपद्रवियों को शामिल करके हिंसा भड़काई जा रही है।
वेे  कहते हैं गुरुवार को मुंबई में अगस्त क्रांति मैदान में नागरिकता कानून के विरोध में सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ जिसमें लाखों लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई लेकिन पूरा आंदोलन शांतिपूर्ण रहा। लेकिन ऐसा क्या है कि जो राज्य भाजपा शासित चाहे वह कर्नाटक हो या उत्तरप्रदेश या गुजरात, वहीं हिंसा हो रही है। वे कहते हैं कि इसमें शासन- प्रशासन को लेकर भी सवाल उठाते हैं और कहीं-न-कहीं उनकी मिलीभगत दिखाई देती है।

वेे  कहते हैं कि हिंसा के इस पूरे मामले में पुलिस प्रशासन की भूमिका पर बड़े सवाल खड़े होते हैं।  वेे कहते हैं कि  यह पूरा आंदोलन नेतृत्वविहीन है और इसका कोई नेतृत्वकर्ता नहीं है। ऐसे में पुलिस को ऐसे आंदोलनों से निपटने की ट्रेनिंग दी जाती है और देखा भी गया है, जहां पुलिस ने संयम से हालातों को हैंडल किया, वहां पर शांति ही रही। वे उत्तरप्रदेश में हुई हिंसा के पीछे पूरी तरह पुलिस की नाकामी को जिम्मेदार मानते हैं।