मंगलवार, 11 मार्च 2025
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शर्मनाक! विधानसभा में गूंजा, बुरहान वानी स्वतंत्रता सेनानी...

शर्मनाक! विधानसभा में गूंजा, बुरहान वानी स्वतंत्रता सेनानी... - Burhan Wani, Jammu and Kashmir Assembly, separatism, separatist leader
सोमवार से आरंभ हुए राज्य विधानसभा के बजट सत्र में अलगाववादियों की छाया पूरी से नजर आ रही है। पहले ही दिन से राजनीतिज्ञों द्वारा उनका समर्थन करने और उनके पक्ष में नारेबाजी करने से राजनीतिक हल्कों में चर्चाओं का दौर जारी है।
अगर सोमवार को नेशनल कॉन्‍फ्रेंस समेत अन्य दलों ने अलगाववादी नेताओं के नारों को ‘चुरा’ कर विधानसभा सत्र के पहले ही दिन राज्यपाल के भाषण के दौरान सरकार पर हावी होने का प्रयास किया तो दूसरे ही दिन आतंकी कमांडर बुरहान वानी को स्वतंत्रता सेनानी बताने के कसीदे भी पढ़े गए।
नेशनल कांफ्रेंस के एमएलसी शौकत हुसैन गनी ने मारे गए हिजबुल कमांडर बुरहान वानी को स्वतंत्रता सेनानी की संज्ञा दी। ये बात उन्होंने विधानसभा की बहस के दौरान कही। सोमवार से बजट सत्र की शुरुआत हुई है।विधानसभा में कश्मीर में अशांति के मुद्दे पर बहस हो रही थी। इस दौरान अपने संबोधन में नेशनल कॉन्फ्रेंस के एमएलसी शौकत हुसैन ने कहा कि बुरहान वानी मिलिटेंट नहीं था, वह तो एक स्वतंत्रता सेनानी था जिसने कश्मीर की आजादी के लिए अपनी जान गंवा दी। आगे उन्होंने कहा कि जब तक कश्मीर मसले का हल नहीं निकल जाता है तब तक आजादी की ये लड़ाई चलती रहेगी।
 
शौकत हुसैन के बयान के बाद पीडीपी के एमएलसी फिरदौस टाक ने पूछा कि यह बयान उन्होंने पार्टी की तरफ से दिया है या फिर यह उनका निजी विचार है? शौकत हुसैन ने आगे कहा कि हिजबुल प्रमुख सईद सलालुद्दीन की लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक कश्मीर मसले का हल नहीं हो जाता है। हालांकि जिस समय शौकत हुसैन विधानसभा में अपनी बात रख रहे थे, पीडीपी विधायकों ने लगातार इसका विरोध किया। इससे एक बात जो सामने निकलकर आ रही है कि भले ही घाटी का माहौल फिलहाल कुछ दिनों से शांत हो गया हो, लेकिन इस शांति को कायम रखना प्रदेश और केंद्र सरकार के लिए आसान नहीं है।
 
याद रहे कल बजट सत्र के पहले ही दिन अधिकतर नेशनल कांफ्रेंसी नेताओं ने प्लेकार्ड उठा रखे थे और उन पर जो नारे लिखे गए थे वे ‘चुराए’ गए थे। इन प्ले कार्ड पर ...‘ये पैलेट, बुलेट...ना भाई ना।’ ‘ये पावा, शावा...ना भाई ना।’ और ‘पीएसए सरकार...ना भाई ना।’ के नारे लिखे गए थे।
 
ये नेकां के दिमाग की उपज नहीं थी बल्कि दक्षिण कश्मीर के छोपियां के धार्मिक स्कालर मौलना सरजन बरकती की उपज थे। उन्हें कुछ महीने पहले भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप में पीएसए लगाकर जेल में ठूंसा जा चुका है। ये नारे उनकी सभाओं में अक्सर लगाए जाते थे।
 
नेकां द्वारा हुर्रियती नेताओं का समर्थन करने के बाद यह पहला मौका था कि उसने उनके नारों को ‘चुराया’ था और उन्हें विधानसभा के पटल तक पहुंचा दिया था। इस कार्रवाई और कदम को राजनीतिक पंडित चिंताओं से भरा हुआ कदम मानते हुए कहते थे कि जो काम हुर्रियत नेता नहीं कर पा रहे हैं वह उनके ‘समर्थक’ राजनीतिज्ञों ने कर दिखाया है।
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