मंगलवार, 3 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Budget 2020 : Finance minister announces major income tax cuts
Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 1 फ़रवरी 2020 (17:30 IST)

Budget 2020 : इनकम टैक्स में मिडिल क्लास को बड़ी राहत, टैक्स स्लैब के विकल्प से होगा कन्फ्यूजन

चार्टर्ड एकाउंटेट नवनीत गर्ग से आम बजट पर खास बातचीत

Budget 2020 : इनकम टैक्स में मिडिल क्लास को बड़ी राहत, टैक्स स्लैब के विकल्प से होगा कन्फ्यूजन - Budget 2020 : Finance minister  announces major income tax cuts
मोदी 2.0 सरकार के दूसरे बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में इनकम टैक्स की दरों में बदलाव कर मिडिल क्लास को बड़ी राहत दी है। वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स छूट की 5 लाख की सीमा को बनाए रखते हुए 5- 7.50 लाख आमदनी वालों को 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी टैक्स, 7.50 -10 लाख आमदनी पर 20 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी और 10-12.50 लाख आमदनी पर 20 फीसदी टैक्स का एलान किया है। इसके साथ ही 12.50-15.00 लाख तक 25 फीसदी और 15 लाख से उपर आमदनी वालों को 30 फीसदी टैक्स देने का प्रस्ताव किया है। 
 
एक ओर वित्तमंत्री ने टैक्स दरों में कटौती की है तो दूसरी अपने बजट भाषण में एक नए टैक्स स्लैब का एलान कर लोगों को उलझा दिया है। यह टैक्स स्लैब पहले से चले आ रहे टैक्स स्लैब से अलग होगा। वित्तमंत्री ने आयकरदाताओं के सामने टैक्स स्लैब चुनने का विकल्प रखते हुए कहा कि जो आयकरदाता इनकम टैक्स एक्ट के तहत मिली छूट नहीं चाहते है वह कम टैक्स वाले नए स्लैब के विकल्प को चुन सकते है। 
 
टैक्स स्लैब के विकल्प ने उलझाया -  वित्तमंत्री के बजट भाषण में इनकम टैक्स स्लैब के विकल्प और उससे जुड़ी घोषणाओं को समझने के लिए वेबदुनिया ने चार्टर्ड एकाउंटेट नवनीत गर्ग से बात की। बातचीत की शुरुआत करते हुए सीए नवनीत गर्ग बजट को मिलाजुला बताते हुए कहते हैं कि वित्तमंत्री ने बजट भाषण में भले ही टैक्स के सरलीकरण के बात कहीं हो लेकिन उन्होंने लोगों को और उलझा दिया है। वह कहते हैं कि अब लोगों के सामने इनकम टैक्स को लेकर नए और पुराने विकल्प को लेकर कंन्फूयजन की स्थिति बन जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर आम आदमी के लिए बात करें तो वित्तमंत्री ने जरुर अपने बजट भाषण में टैक्स स्लैब में बदलाव कर मिडिल क्लास को राहत दी है। 
 
वह कहते हैं कि नया टैक्स स्लैब आने से टैक्स व्यवस्था पर्सन टू पर्सन बदल जाएगी वह समझाते हुए कहते हैं कि किसी व्यक्ति के पास होम लोन है या नहीं है किसी के 80 C में डिडेक्शन डेढ़ लाख रुपए है किसी का एक लाख है ऐसे में हर केस में अलग अलग केलकुलेशन करना पड़ेगा कि पुराने सिस्टम में जाने में फायदा है या नए सिस्टम में जाने में फायदा है। इससे आम आयकरदाता के लिए चीजें थोड़ा सा उलझ गई है और उसको रिटर्न फाइल करने में थोड़ा परेशानी का सामना करना पड़ेगा।   
 
वह कहते हैं कि वित्तमंत्री ने अब छह टैक्स स्लैब 5,10,15,20, 25 और 30 परसेंट कर दिए है तो इसे सरलीकरण नहीं कहा जा सकता है। वह कहते हैं कि अगर व्यक्तिगत आयकरदाता की बात करें तो वित्तमंत्री ने इसके अपने बजट में दो टैक्स सिस्टम लागू करने की बात कही है। इससें वित्तमंत्री ने लोगों के सामने पुराने और नए सिस्टम को चुनने का विकल्प पेश किया है।

वह कहते हैं कि अगर वित्तमंत्री ने नए टैक्स सिस्टम पर जाते है कि आप को कोई भी डिडेक्शन और एक्जीमेंशन नहीं मिल पाएगा। वह कहते है कि यह विकल्प आम आदमी के लिए सरलीकरण नहीं है। वह कहते हैं इससे टैक्स में तो बचत हो सकती है लेकिन इसके लिए उसको टैक्स प्रोफेशनल की मदद लेनी पड़ेगी। वह बिना टैक्स प्रोफेशनल के बगैर अपना रिटर्न नहीं भर सकेगा। वहीं बजट कॉरपोरेट टैक्स की बात करते हुए कहते हैं कि CA नवनीत गर्ग कहते हैं कि बजट भाषण में डेविंडेट  डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स जो हटाया है वह कॉरपोरेट के लिए बहुत अच्छा कदम है। 
 
टैक्स पेयर चार्टर अच्छा कदम – वेबदुनिया ने बातचीच में नवनीत गर्ग कहते है कि वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण में टैक्स पेयर चार्टर बनाने की जो बात कही है उसका वह स्वागत करते है। वह कहते हैं कि सरकार का यह फैसला लोगों को राहत देने वाला होगा और अब आयकरदाता को जो परेशान किया जाता है उस पर रोक लगेगी। वह कहते है कि करदाता को इससे बड़ी राहत मिलेगी।
 
विवाद से विश्वास स्कीम - वह कहते हैं कि वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण में विवाद से विश्वास की जिस स्कीम को एलान किया वह सरकार की ओर से स्वागतयोग्य कदम है। नवनीत गर्ग कहते हैं कि इससे पुराने टैक्स कानूनों में जो मामले लंबित पड़े हुए है उसको सुलझाने में बहुत मदद मिलेगी। वह कहते हैं इन मामलों में ब्याज और पेनाल्टी से 31 मार्च तक छूट देने का जो एलान वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में किया वह काफी अच्छा है। वह कहते हैं कि ऐसे में मामले में पेनॉल्टी और ब्याज मूल टैक्स से ढाई गुना ज्यादा होता था जिससे ये मामले हल नहीं हो पा रहे थे।