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Last Modified: बुधवार, 11 जनवरी 2023 (15:16 IST)

भाजपा का बड़ा आरोप, केजरीवाल सरकार ने शराब घोटाले के आरोपियों को बचाने के लिए दिए 25 करोड़

भाजपा का बड़ा आरोप, केजरीवाल सरकार ने शराब घोटाले के आरोपियों को बचाने के लिए दिए 25 करोड़ - bjp attacks kejriwal government
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बुधवार को आरोप लगाया कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार राजधानी के शिक्षकों व चिकित्सकों को वेतन नहीं दे रही है लेकिन आबकारी घोटाले के आरोपियों को बचाने के लिए उसने सरकारी कोष से 25 करोड़ रुपए विधिक फीस के रूप में दे दिए।
 
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को विज्ञापनजीवी करार दिया। उन्होंने दावा किया कि शराब के ठेकेदार उन्हें 'कठपुतली' बनाकर दिल्ली सरकार चला रहे हैं। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि 25 करोड़ रुपए की वसूली केजरीवाल या आम आदमी पार्टी से की जानी चाहिए।
 
भाटिया ने दावा किया कि दिल्ली परिवहन निगम की बसों में सुरक्षाकर्मी के रूप में काम करने वाले 4,500 मार्शलों को तीन महीने से वेतन नहीं मिला है तथा मोहल्ला क्लीनिक में काम करने वाले चिकित्सकों तथा कर्मियों को भी वेतन नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के अधीन 12 कॉलेजों के शिक्षकों को भी वेतन नहीं दिया जा रहा है।
 
उन्होंने कहा कि जनता की सेवा करने वालों को वेतन देने के लिए अरविंद केजरीवाल के पास रुपया नहीं है, लेकिन आबकारी घोटाले के आरोपियों को बचाने के लिए वह सरकारी कोष से 25 करोड़ रुपए विधिक फीस के रूप में दे रहे हैं।
 
भाटिया ने कहा कि केजरीवाल विज्ञापनजीवी बनकर दिल्ली में ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों में भी विज्ञापन दे रहे हैं। जनता समझ चुकी है कि 'आम आदमी पार्टी' कट्टर बेईमान पार्टी है। वसूली करना और कमीशन लेना इनका काम है। अरविंद केजरीवाल को कठपुतली बनाकर शराब के ठेकेदार आप की सरकार चला रहे हैं।
 
उल्लेखनीय है कि दिल्ली आबकारी नीति घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रहा है। अब रद्द की जा चुकी शराब नीति में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में ईडी ने 6 जनवरी को मामले में 5 लोगों और 7 कंपनियों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर किया था।
 
धन शोधन का यह मामला CBI की एक प्राथमिकी के बाद शुरू किया गया, जिसमें अन्य लोगों के साथ उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी आरोपी बनाया गया था। सीबीआई ने मामला दर्ज करने के बाद उपमुख्यमंत्री और दिल्ली सरकार के कुछ नौकरशाहों के परिसरों पर छापेमारी की थी।
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