शेख हसीना की भारत यात्रा का महत्व क्या है?
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत के चार दिवसीय दौरे पर हैं। बांग्लादेश की कमान दोबारा संभालने के बाद यह उनकी पहली द्विपक्षीय यात्रा है जोकि दोनों देशों के बीच रिश्तों में मजबूती लाने के लिए काफी महत्वपूर्ण है। शेख हसीना की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण समझौतों पर मुहर लगने की संभावना है।
बांग्लादेश की सत्ता में शेख हसीना के आने के बाद से ही भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में काफी सुधार आया है, कई स्तरों पर दोनों के संबंध सकारात्मक हुए हैं। बांग्लादेश ने भारत की कई चिंताओं को हसीना काफी हद तक दूर किया है। बांग्लादेश में बढ़ रही इस्लामी कट्टरता और आतंकवाद को काबू करने में, सभी आतंकी ठिकानों को खत्म करके बांग्लादेश ने भारत को कई आतंकी खतरों से राहत देने के प्रयास किए हैं।
बढ़ती अलगाववादी गतिविधियों पर कार्रवाई करके शेख हसीना सरकार ने यह वादा पूरा किया कि बांग्लादेश की धरती को भारत के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देंगी। भारत की सुरक्षा की दृष्टि से बांग्लादेश हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए शेख की हसीना की यह भारत यात्रा हमारे लिए अहम है। शेख हसीना की सत्ता में आने के समय बांग्लादेश पर चीन का प्रभाव कम करने में मी मदद मिली।
साल 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नदी जल बंटवारे को लेकर तीस्ता समझौता करना चाहते थे लेकिन ममता बनर्जी के विरोध के बाद यह समझौता नहीं हो पाया था। इससे बांग्लादेश ने काफी नाराजगी जाहिर की थी। अहम बात यह है कि इस यात्रा के दौरान तीस्ता जल समझौते पर हस्ताक्षर होते हैं या नहीं। हाल के दिनों में चीन का रुझान दोबारा बांग्लादेश की तरफ काफी बढ़ने लगा था और उसने वहां निवेश करने की बात भी रखी थी। पर शेख हसीना का रुझान हमेशा भारत की ओर रहा है और इसलिए वह यह दिखाने की कोशिश करेंगी कि वे किसी भी तरह से भारत के खिलाफ जाकर चीन को अपना प्रभाव बढ़ाने नहीं देंगी।
वहीं भारत ने भी कोशिश की है कि बांग्लादेश के साथ चीन रक्षा मामलों में सहयोग को आगे न बढ़ा सके इसलिए बांग्लादेश के साथ परमाणु ऊर्जा सहयोग को बढ़ाएगा और हाइड्रोजन एनर्जी के क्षेत्र में भी भारत सहयोग देगा। इस तरह से भारत और बांग्लादेश के रिश्ते और मजबूत हों और शेख हसीना की यह यात्रा इन्हीं आयामों के इर्द-गिर्द रहेगी। संभव है कि दोनों देशों के बीच कोई बड़ा समझौता न हो लेकिन बांग्लादेश की सरकार भारत को विश्वास में लेकर आगे बढ़ना चाहती है तो वह चीन से मिलनेवाली विकास की संभावनाओं को खोना नहीं चाहेंगी।
बांग्लादेश में भारत के मुकाबले चीन ने कई गुना निवेश कर रखा है। वहीं रूस ने बांग्लादेश में दो हजार मेगावाट के पावर प्लांट लगा रखे हैं। इसलिए भारत जिस क्षेत्र में भी बांग्लादेश को सहयोग कर सकता है, उसे सामने आकर करना ही चाहिए। आगे आने दिनों में दोनों देशों के बीच मेरीटाइम सहयोग, रक्षा सहयोग को बढ़ावा मिलेगा और मिलिटरी ट्रेनिंग कार्यक्रमों को भी बढ़ावा दिया जाए।
बांग्लादेश को भारत साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भी मदद कर सकता है ताकि काउंटर टेररिज्म और कट्टरपंथी ताकतों से लड़ा जा सके। नरेंद्र मोदी सरकार इस स्थिति में हैं कि वह बांग्लादेश को एक अच्छे मित्र और पड़ोसी के रूप में पूरा-पूरा सहयोग कर सकते हैं। साथ ही, साल 2019 में शेख हसीना और नरेंद्र मोदी दोनों आम चुनाव का सामना करने जा रहे हैं। इसलिए दोनों देशों का आपसी सहयोग और रिश्ते इसी बात पर निर्भर करते हैं कि हसीना की यह यात्रा कितनी सार्थक, उपयोगी और सकारात्मक रहती है।