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Last Updated : मंगलवार, 13 अगस्त 2019 (15:05 IST)

मंदी की चपेट में ऑटो सेक्टर, 10 लाख लोगों की रोजी-रोटी खतरे में, अब क्या करेगी सरकार

मंदी की चपेट में ऑटो सेक्टर, 10 लाख लोगों की रोजी-रोटी खतरे में, अब क्या करेगी सरकार - Auto sector crisis : Around two lakh jobs cut in 3 months
भारत का ऑटो सेक्टर इस समय मंदी की चपेट में है। इस क्षेत्र के लाखों लोगों की नौकरी दांव पर लगी है, यदि समय रहते सरकार ने कोई बड़ा कदम नहीं उठाया तो स्थिति और भयावह रूप ले सकती है। एक जानकारी के मुताबिक पिछले तीन माह में ऑटो सेक्टर में काम करने वाले 2-3 लाख लोग रोजगार से हाथ धो चुके हैं। हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भरोसा दिलाया है कि जल्द ही मंदी से मुक्ति मिल जाएगी।
 
एक जानकारी के मुताबिक ऑटो सेक्टर करीब एक साल से मंदी की चपेट में है। जुलाई माह तक की बात करें तो 2019 में ऑटो सेक्टर की बिक्री में 18.71 फीसदी कमी आई है। इनमें दुपहिया और तिपहिया वाहन भी शामिल हैं।
 
जुलाई माह तक इस साल 18 लाख 25 हजार 148 वाहनों की बिक्री हुई थी, जबकि 2018 में इसी अवधि में 22 लाख 45 हजार 223 थी, जो कि पिछले साल की तुलना में लगभग 4.20 लाख कम है। 
 
लगातार 9वें महीने गिरावट : यात्री वाहनों की बिक्री जुलाई में लगातार नौवें महीने गिरी है। यह 30.98 प्रतिशत घटकर 2,00,790 वाहन रही है जो जुलाई 2018 में 2,90,931 वाहन थी। भारतीय वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम के आंकड़ों के मुताबिक घरेलू बाजार में कार की बिक्री 35.95 प्रतिशत टूटकर 1,22,956 वाहन रही। जुलाई 2018 में 1,91,979 वाहन थी।
 
इसी तरह मोटरसाइकिल की घरेलू बिक्री पिछले महीने 9,33,996 इकाई रही जो जुलाई 2018 की 11,51,324 इकाई बिक्री के मुकाबले 18.88 प्रतिशत कम है। जुलाई में दोपहिया वाहनों की कुल बिक्री 15,11,692 वाहन रही। जुलाई 2018 में यह आंकड़ा 16.82 प्रतिशत अधिक यानी 18,17,406 वाहन था।
 

वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में भी समीक्षावधि के दौरान गिरावट देखी गई है। यह 25.71 प्रतिशत घटकर 56,866 वाहन रही जो पिछले साल जुलाई में 76,545 वाहन थी। विविध श्रेणियों में कुल वाहन बिक्री जुलाई में 18.71 प्रतिशत गिरकर 18,25,148 वाहन रही जो जुलाई 2018 में 22,45,223 वाहन थी। 
 
25 लाख से ज्यादा को रोजगार : फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के मुताबिक ऑटो सेक्टर में 25 लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं। 25 लाख लोग और किसी न किसी रूप में जुड़े हैं। इसके अलावा जो लोग ठेके पर काम करते हैं, उनका तो हिसाब ही नहीं है। यह आंकड़ा एक करोड़ के पार भी हो सकता है।
 
हालात इतने खराब हैं कि 217 शो रूम देश भर में बंद हो गए हैं। सियाम का कहना है कि सिर्फ जून के महीने में 24 प्रतिशत गाड़ियां कम बिकी हैं। इसके पहले के महीनों में भी उत्पादन और बिक्री में गिरावट की खबरें आ रही थीं. कारों के साथ दुपहिया वाहनों की बिक्री भी घट गई है।
 
जीएसटी घटाने की गुहार : देश में वाहनों की मांग में गिरावट से त्रस्त भारतीय ऑटोमोटिव उपकरण निर्माता संघ (एक्मा) एक्मा के अध्यक्ष राम वेंकटरमानी ने सभी प्रकार के ऑटो उपकरणों पर जीएसटी की दर को एक समान 18 प्रतिशत किए जाने की गुहार लगाते हुए चीन से सस्ते आयात को नियंत्रित करने की भी जरूरत बताई। फिलहाल जीएसटी की दरें 18 और 28 प्रतिशत हैं।
 
रमानी ने आयात विशेषकर चीन से बढ़ते आयात पर भी चिंता जताई। समाप्त वित्त में उद्योग का आयात एक साल पहले के 10 लाख 66 हजार 72 करोड़ रुपए की तुलना में 14.4 प्रतिशत बढ़कर 12 लाख 36 हजार 88 करोड़ रुपए हो गया।

मोदी को उम्मीद : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही एक अंग्रेजी अखबार को दिए साक्षात्कार में भरोसा दिलाया कि कहा कि ऑटो और रियल एस्टेट सेक्टर की मंदी जल्द ही खत्म होगी। अर्थव्यवस्था में सुधार से ऑटो सेक्टर में भी सुधार हो सकता है।
 
उन्होंने कहा कि ऑटो सेक्टर की बात करें तो वित्त मंत्री ने इस सेक्टर के प्रतिनिधियों के साथ सार्थक बातचीत की है। इस सेक्टर में सुस्ती असल में कर्ज में तंगी, कुछ नियामक बदलाव और मांग में कमी की वजह से हैं। मेरा मानना है कि जल्दी हालात बदलेंगे और यह सेक्टर फिर से तेजी हासिल करेगा। उन्होंने बैंकों से आग्रह किया वे सस्ते कर्ज का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाएं। इससे मंदी से निबटने में मदद मिलेगी। 
...और प्रियंका ने साधा निशाना : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने ट्‍वीट में कहा कि ऑटो सेक्टर में 10 लाख लोगों की नौकरी पर खतरा है। यहां काम कर रहे लोगों को अपनी रोजी-रोटी के नए ठिकाने ढूंढने पड़ेंगे। नष्ट होते रोजगार, कमजोर पड़ते व्यापार और अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ने वाली नीतियों पर भाजपा सरकार की चुप्पी सबसे ज्यादा खतरनाक है।