जेल में बंद आसाराम को मिला सुप्रीम कोर्ट से आश्वासन
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दुष्कर्म के आरोप में जोधपुर जेल में बंद आसाराम की अंतरिम जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई का आश्वासन तो दिया, लेकिन इसके लिए फिलहाल कोई तारीख मुकर्रर नहीं की।
आसाराम के वकील ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख किया। वकील ने पीठ से कहा कि इससे पहले न्यायालय ने दीपावली के बाद सुनवाई की बात कही थी, लेकिन यह मामला चार जनवरी 2018 के लिए चला गया है। वकील ने पीठ के समक्ष कहा कि उनका मुवक्किल लंबे समय से जेल में है, इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए।
इसके बाद न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि वह प्रयास करेंगे कि मामले की सुनवाई जल्द से जल्द हो, लेकिन उन्होंने कोई तारीख तय नहीं की।
गौरतलब है कि आसाराम ने कल न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना की पीठ से गुजरात में चल रहे दुष्कर्म के मामले में अपनी जमानत की अर्जी पर जल्द सुनवाई की मांग की थी।
न्यायमूर्ति रमन्ना ने आसाराम के वकील को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख (मेंशन) करने की सलाह दी।
इससे पहले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने गांधीनगर अदालत में चल रहे दुष्कर्म के मामले की स्थिति रिपोर्ट मांगी थी। आसाराम ने मुकदमा धीमी गति से चलने की शिकायत की थी, जिस पर न्यायमूर्ति रमन्ना ने गुजरात सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा था कि आसाराम के खिलाफ मामले की सुनवाई में इतनी देर क्यों हो रही है?
न्यायालय ने कहा था कि दुष्कर्म पीड़िता सबसे प्रमुख गवाह होती है और उसका ही बयान अभी तक दर्ज नहीं हो सका है? आसाराम की ओर से कहा गया था कि अब तक 93 गवाहों में से मात्र 30 गवाहों के बयान दर्ज किए जा सके हैं।
यौन उत्पीड़न के आरोप में आसाराम को 2013 में गिरफ्तार किया गया था। 20 अगस्त 2013 को उनके खिलाफ जोधपुर आश्रम में यौन शोषण का मामला दर्ज कराया गया था। इसके अलावा सूरत की दो बहनों ने भी 2001 में आश्रम में दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। (वार्ता)