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Last Updated : मंगलवार, 7 जून 2016 (18:37 IST)

मोदी सरकार को चीफ जस्टिस ने खरी-खरी सुनाई

Arun Jaitley
नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से न्यायपालिका और कार्यपालिका में एक के बाद एक सीधे-सीधे शब्दों के बाण एक-दूसरे पर दागे जा रहे हैं। देश के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर का कहना न्यायपालिका तभी हस्तक्षेप करती है जब कार्यपालिका अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने में विफल हो जाती है। उन्होंने यह जवाब वित्तमंत्री और कानून के जानकार के साथ ही साथ सुप्रीम कोर्ट के वकील रहे अरुण जेटली को दिया है, जिन्होंने यह कहा था कि न्यायपालिका कार्यपालिका में हस्तक्षेप कर रही है। 
चूंकि जेटली खुद आला दर्जे के वकील रहे हैं और अब सत्ता में हैं, लिहाजा उनकी मजबूरी हो गई है कि वे सरकार का पक्ष रखें। यही कारण है कि वे न्यायपालिका के सरकार में दखल को अनुचित ठहरा रहे हैं।
 
जेटली के बयान के बाद ही शब्दों के जो बाण शुरू हुए हैं, वे अब थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। जेटली के बयान पर प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने भी अपने तरकश से तीखा तीर चलाया।  प्रधान न्यायाधीश ठाकुर ने यह भी कहा कि सरकार को आरोप मढ़ने की बजाय अपना काम करना चाहिए और लोग अदालतों में तभी आते हैं, जब वे कार्यपालिका से निराश हो जाते हैं। 
 
चीफ जस्टिस ने मोदी सरकार को साफ जवाब देते हुए कहा कि न्यायपालिका तभी हस्तक्षेप करती है, जब कार्यपालिका नाकाम हो जाती है और कार्यपालिका अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने में विफल रहती है। 
 
प्रधान न्यायाधीश ठाकुर अदालतें केवल अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी अदा करती हैं और अगर सरकार अपना काम करेगी तो इसकी जरूरत नहीं होगी। कार्यपालिका और न्यायपालिका में रस्साकशी के बीच उन्होंने कहा कि अगर सरकारी एजेंसियों की ओर से अनदेखी और नाकामी रहती है तो न्यायपालिका निश्चित रूप से अपनी भूमिका अदा करेगी। 
 
सरकारी कामकाज में कथित न्यायिक हस्तक्षेप के संबंध में वित्त मंत्री अरुण जेटली के हालिया बयान के बारे में पूछने पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हम केवल संविधान द्वारा निर्दिष्ट अपने कर्तव्यों को पूरा करते हैं। अगर सरकारें अपना काम बेहतर तरीके से करें तो हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। 
 
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने सूखे को लेकर राज्य सरकारों को फटकार लगाई थी और केंद्र को सूखे पर एसटीएफ बनाने का निर्देश दिए थे। इस पर खुद सुप्रीम कोर्ट में वकील रह चुके वित्त मंत्री तिलमिला गए और उन्होंने न्यायपालिका के बढ़ते दायरे पर नाराजगी जताई थी।
 
जेटली ने कार्यपालिका और विधायिका में न्यायपालिका के बढ़ते दखल पर चिंता जताते हुए यहां तक कह दिया था कि लोकतंत्र की इमारत धीरे-धीरे गिराई जा रही है। खुद कानून के जानकार जेटली जानते हैं कि न्यायपालिका के क्या अधिकार हैं और कार्यपालिका के क्या कर्तव्य। यही कारण है कि जेटली को जवाब देने के लिए देश के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर को आगे आना पड़ा और उन्होंने मोदी सरकार के आरोपों पर खरी-खरी सुनाई है।