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Last Modified: रविवार, 25 दिसंबर 2016 (22:46 IST)

दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ पर कर लगाने की मंशा नहीं : जेटली

दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ पर कर लगाने की मंशा नहीं : जेटली - Arun Jaitley, Narendra Modi, Notbandi, stock market
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंबई के शुक्रवार के भाषण के बाद पूंजी बाजार की बेचैनी को शांत करने के लिए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार को स्पष्ट किया कि शेयरों की खरीद-फरोख्त में दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ पर कर आरोपित करने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। गौरतलब है कि निवेशकों के लिए पूंजीगत लाभ का मुद्दा बहुत ही संवेदनशील है।
प्रधानमंत्री कल के उस भाषण के आधार पर यह अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि उन्होंने पूंजी बाजार पर कर बढ़ाने का संकेत दिया है और वे चाहते हैं कि पूंजी बाजार के कारोबारियों समेत सभी वर्गों के लोगों को राष्ट्रीय खजाने में योगदान करना चाहिए। 
 
इस संदर्भ में जेटली ने आज यहां डिजि धन मेला कार्यक्रम के दौरान कहा, मीडिया के एक हलके ने प्रधानमंत्री के भाषण की गलत व्याख्या की है और उसने यह अर्थ निकालना शुरू कर दिया कि इसमें परोक्ष रूप से प्रतिभूतियों के कारोबार में दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ पर कर आरोपित किए जाने का संकेत है। 
 
जेटली ने कहा, यह व्याख्या बिलकुल गलत है। इस समय सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों को एक साल के अंदर बेचने पर होने वाले लाभ पर ही कर लगाया जाता है जबकि एक साल या उससे ज्यादा समय बाद शेयरों की बिक्री पर होने वाला लाभ करमुक्त है।
 
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से ऐसा कोई बयान नहीं दिया..इसलिए मैं यह बिलकुल स्पष्ट करना चाहता हूं कि किसी के लिए इस निष्कर्ष पर पहुंचने का कोई आधार नहीं है क्योंकि प्रधानमंत्री ने ऐसा कुछ नहीं कहा है और ना ही सरकार की ऐसी कोई मंशा है जैसा कि मीडिया में कहा गया है। 
 
प्रधानमंत्री मोदी ने कल मुंबई में कहा था कि, जो लोग वित्तीय बाजारों से फायदा उठा रहे हैं उन्हें कर के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में समुचित योगदान करना चाहिए। हमें इसको (योगदान को) उचित, प्रभावी और पारदर्शी तरीकों से बढ़ाने के उपायों पर विचार करना चाहिए। 
 
मोदी ने कहा था, अब यह पुनर्विचार करने और एक अच्छी अभिकल्पना तैयार करने का समय है जो सरल और पारदर्शी हो, लेकिन साथ ही यह निष्पक्ष और प्रगतिशील भी हो। मोदी ने साथ-साथ यह भी कहा था कि विभिन्न कारणों से उन लोगों का योगदान अभी कम है जो पूंजी बाजारों से पैसा बना रहे हैं। इसका कारण या तो गैरकानूनी कामकाज, धोखाधड़ी है या कर ढांचे की कमी है जिसमें कुछ तरह की वित्तीय आय पर कर की दरें बहुत कम या शून्य हैं।
 
भारत में अल्पकालिक :एक साल से कम की अवधि के शेयर निवेश पर पूंजीगत लाभ कर की दर 15 प्रतिशत है। इसके अलावा प्रतिभूतियों के कारोबार पर 0.017 प्रतिशत से लेकर 0.125 प्रतिशत तक प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) लगाया जाता है।
 
वित्तमंत्री जेटली ने आज कहा कि सरकार ने कालेधन के खिलाफ कई कदम उठाए हैं। विभिन्न देशों के साथ कर संधियों की समीक्षा की गई है। उन्होंने इस संबंध में आय घोषणा योजना, बेनामी संपत्तियों से संबंध कानून इत्यादि का भी जिक्र किया। नोटबंदी के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि नकदी का चलन घटे और उसकी जगह डिजिटल प्रणाली का उपयोग हो।
 
उन्होंने कहा कि आम लोग डिजिटल करेंसी का फायदा समझ रहे हैं, लेकिन कुछ वर्ग के लोगों को समझने में देर लगती है और हमारे कुछ राजनीतिक मित्रों को भी यह बात समझने में देर लगती है।
जेटली ने कहा कि कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बनना हर देश के हित में है और यह बात बहुत बार लिखी जा चुकी है। 
 
उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ महीने में डिजिटल अर्थव्यवस्था तेज हुई है, 75 करोड़ में से 45 करोड़ डेबिट-क्रेडिट कार्ड का सक्रिय इस्तेमाल हो रहा है। वित्तमंत्री ने कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था पर जोर देते हुए कहा कि इससे सरकार की आय बढ़ेगी और इससे सरकार को ग्रामीण क्षेत्र में बुनियादी सुविधाएं बढ़ाने और रक्षा मद पर अधिक आवंटन करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि ज्यादा नकदी के चलन की बुराई यह है कि इससे सरकार को प्राप्तियां कम होती हैं और उसका घाटा उंचा होता है।
 
सरकार का वार्षिक बजट इस समय करीब 20 लाख करोड़ रुपए का है। इसमें 16 लाख करोड़ रुपए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों से प्राप्त होते हैं और चार लाख करोड़ रुपए का घाटा रह जाता है जिसके लिए उसे ॠण आदि पर निर्भर करना पड़ता है। (भाषा) 
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