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Last Modified: नई दिल्ली , रविवार, 4 जनवरी 2015 (18:34 IST)

आईएसआईएस मामले में एनआईए का दूसरे देशों से संपर्क

आईएसआईएस मामले में एनआईए का दूसरे देशों से संपर्क - Areeb Majid
नई दिल्ली। कुख्यात आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के कथित रंगरूट अरीब मजीद की गतिविधियों की जांच के मद्देनजर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अमेरिका समेत अन्य देशों को साइबर सबूतों के लिए अनुरोध भेजे हैं।
 
आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि एनआईए ने अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के अधिकारियों से परस्पर कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) के तहत साइबर सबूत मुहैया कराने के लिए संपर्क किया है।
 
एनआईए को मजीद के बयान में लगातार खामियां नजर आ रहीं हैं और एजेंसी दूसरे देशों से सबूत इकट्ठे करने के बाद अपने रख पर कायम है। मजीद ने दावा किया था कि वह आईएसआईएस में रहते हुए कभी आतंकी गतिविधियों में शामिल नहीं हुआ था।
 
सूत्रों ने कहा कि साइबर-आतंकवाद से जुड़े मामलों में सहयोगी भूमिका निभाने वाला अमेरिका पहले ही उस इंटरनेट प्रोटोकॉल पते के प्रारंभिक सबूत दे चुका है, जिसका इस्तेमाल मजीद ने कथित तौर पर संगठन का हिस्सा बनने से पहले किया था। 
 
अमेरिका मजीद द्वारा मध्यप्रदेश के एक शख्स समेत कुछ लोगों को भेजे गए मेल के साक्ष्य भी उपलब्ध करा चुका है। समझा जाता है कि मध्य प्रदेश के उस शख्स ने आईएसआईएस में शामिल होने के लिहाज से मजीद की विदेश यात्रा के लिए आर्थिक मदद की थी।
 
सूत्रों के अनुसार एनआईए मामले को मजबूत करने के लिए इराक और सीरिया को अनुरोध पत्र (एलआर) भेजने की भी योजना बना रही है, क्योंकि मुंबई के कल्याण इलाके के रहने वाले 23 वर्षीय मजीद का पासपोर्ट इराक में उसके प्रवेश और सीरिया से उसके निकलने की बात दर्शाता है। 
 
सूत्रों के मुताबिक इन दोनों देशों को राजनयिक माध्यमों से अनुरोध पत्र भेजे गए थे और इन दोनों की सरकारें जल्द ही इन पर अमल कर सकती हैं।
 
एनआईए को जांच के दौरान पता चला कि मजीद को कुवैत से कुछ आर्थिक सहायता मिली थी और एजेंसी कुवैत को एमएलएटी भेजकर उसके खाते में धन भेजने वाले शख्स के बारे में जानकारी मांगने की तैयारी कर रही है।
 
मजीद को एनआईए ने पिछले साल नवंबर के आखिरी सप्ताह में इराक से लौटने के दौरान गिरफ्तार किया था और उस पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धाराओं 16, 18 और 20 तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 125 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
 
यूएपीए की उक्त तीनों धाराएं किसी आतंकवादी संगठन का सदस्य होते हुए कोई आतंकवादी कृत्य करने या उसकी साजिश रचने से जुड़ी हैं वहीं आईपीसी की धारा 125 किसी देश के खिलाफ जंग छेड़ने के अपराध से जुड़ी है।
 
मजीद इराक में करीब छह महीने गुजारने के बाद 28 नवंबर को मुंबई पहुंचा था। उसे मुंबई में उतरते ही फौरन सुरक्षा एजेंसियों ने हिरासत में ले लिया और बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।
 
मजीद समेत कल्याण के चार युवक इस साल मई में पश्चिम एशिया में पवित्र स्थलों की यात्रा करने के नाम पर देश से रवाना हुए थे लेकिन बाद में वे लापता हो गए। उनके आईएसआईएस में शामिल होने का संदेह था।
 
पुलिस के मुताबिक इंजीनियरिंग के चारों विद्यार्थी 23 मई को इराक के धार्मिक स्थलों की यात्रा करने के लिए रवाना हुए 22 तीर्थयात्रियों के समूह में शामिल होकर बगदाद गए थे। (भाषा)