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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : बुधवार, 17 जून 2020 (14:54 IST)

भारत की इस गलती से चीन हर बार सीमा पर करता है विश्वासघात, गलवान में सैनिकों का शहीद होना भारत की कूटनीतिक असफलता !

बिग्रेडियर आर विनायक, विशिष्ट सेवा मेडल (रिटायर्ड) का नजरिया

भारत की इस गलती से चीन हर बार सीमा पर करता है विश्वासघात, गलवान में सैनिकों का शहीद होना भारत की कूटनीतिक असफलता ! - Analysis story :  India -China border dispute
LAC पर लद्दाख में गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच झड़प और उसमें 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। गालवन घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद चीन के साथ लगने वाली भारत की 3,488  किलोमीटर लंबी सीमा पर कई इलाकों में अलर्ट जारी किया गया है। 
 
1962 के बाद पहली बार चीन के साथ इतने बड़े सीमा विवाद को लेकर दिल्ली में अगली रणनीति पर बैठकों का सिलसिला लगातार जारी है। वेबदुनिया ने भारत और चीन के बीच विवाद को समझने लिए सेना की नॉर्दन कमांड मुख्यालय में तैनात रह चुके बिग्रेडियर आर विनायक,विशिष्ट सेवा मेडल (रिटायर्ड) से खास बातचीत की।  बिग्रेडियर आर विनायक लद्दाख में गलवान घाटी सहित पूरे क्षेत्र से अच्छी तरह वाकिफ है जहां भारत और चीन के बीच तनाव इस समय चरम पर है। 
 
वेबदुनिया से खास बातचीत में बिग्रेडियर आर विनायक (रिटायर्ड) कहते हैं कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का मसला अब काफी गंभीर हो चुका है, इसकी वजह चीन का मैकमोहन लाइन के अलावा किसी और समझौते को सीमा के रूप में मान्यता नहीं देना है। लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा रेखा को लेकर अब तक जो भी समझौते हुए है उसको चीन की सेना नहीं मानती है और वह बराबर घुसपैठ करती रहती है। इसी सीमा विवाद का फायदा उठाकर 1959 में चीन ने अक्साई चिन को हड़प लिया और भारत कुछ नहीं कर सका।    

रक्षा विशेषज्ञ आर विनायक कहते हैं कि 1962 में जब चीन से लड़ाई खत्म हुई थी तो दोनों देशों के बीच LAC निर्धारित हुआ उसको भी चीन की सेना नहीं मानती है। सीमा विवाद को लेकर 1962 के युद्ध के बाद भारत के साथ चीन की कई बार झड़प हो चुकी है। एक बार फिर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने है। 
 
सीमा को लेकर कोई स्पष्टता नहीं होने से चीन भारत पर हावी होने की कोशिश करता रहा है और इस बार गालवन घाटी में जो कुछ हुआ, 1962 के बाद इतने बड़े पैमाने पर तनाव कभी नहीं हुआ। 
 
वेबदुनिया से खास बातीचत में बिग्रेडियर आर विनायक (रिटायर्ड) कहते हैं कि चीन के साथ सीमा विवाद में भारत की भी कूटनीतिक स्तर पर एक गलती है, चीन के साथ डिप्लोमेट स्तर पर जो भी आपसी समझौते हुए उसमें सेना को कहीं भी शामिल नहीं किया गया जिसका फायदा चीन LAC पर उठाता आया है। सीमा पर बिना मार्किंग के समझौते पर डिप्लोमेट स्तर पर तो हो गए लेकिन सीमा पर चीनी सेना ने उन समझौते को कभी नहीं माना और हर बार भारत के साथ विश्वासघात किया। 
अक्साई चिन को हथियाने के बाद चीन ने इसे प्रशासनिक रूप से शिनजियांग प्रांत के काश्गर विभाग के कार्गिलिक जिले का हिस्सा बनाया है और वहां तक सड़क बनाकर अपनी सामारिक स्थिति को मजबूत कर लिया।

भारत और चीन के बीच LAC पर गलवान घाटी में हुई झड़प के लिए बिग्रेडियर आर विनायक (रिटायर्ड ) भारत और अमेरिका के बीच मजबूत हुए संबंध को भी बताते है। वह कहते हैं कि आज अमेरिका के साथ विश्व के अन्य महाशक्तियों से भारत के संबंध अच्छे और चीन इसको बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है। कोरोना महामारी के बाद अब जब चीन दुनिया में अलग थलग पड़ गया है तो वह भारत को कमजोर मानकर उस पर दबाव बनाना चाहता है। 
 
पिछले साल अगस्त में भारत ने जब जम्मू – कश्मीर में धारा 370 खत्म कर लद्दाख को अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाया तब से चीन और पाकिस्तान ने इस इलाके में हरकत करना शुरु कर दिया।  
 
बिग्रेडियर विनायक कहते हैं कि गलवान घाटी ने फिर साबित कर दिया कि चीन पर कभी विश्वास नहीं किया जा सकता है। चीन ने गलवान घाटी में जो कुछ किया वह यह बताता है कि चीनी सैनिक पूरी तैयारी के साथ थे और बातचीत के लिए गए भारतीय सैनिकों को घेर कर मार दिया। 
 
इस घटना का सेना के मनोबल पर असर पड़ने के सवाल पर बिग्रेडियर आर विनायक कहते हैं कि भारतीय सेना मजबूत और अटल इरादों के साथ हमेशा मोर्चे पर डटी रहती है और उसने 1962 में भी अपने परंपरागत हथियारों के साथ चीन का डटकर मुकाबला किया था और चीन को युद्धविराम करना पड़ा था।  
 
चीन के साथ तनाव पूर्ण संबंध आने वाले समय में कैसे देखते है इस सवाल पर बिग्रेडियर विनायक कहते हैं कि सबसे पहले सेना का मनोबल बढ़ाकर चीन की हिमाकत का डटकर मुकाबला करने की इच्छाशक्ति दिखानी होगी और इसका फैसला राजनीतिक स्तर पर किया जाएगा। 
 
इसके साथ भारत को अब अंर्तराष्ट्रीय मंचों पर चीन के विश्वासघात की बात उठाकर उसको   अटैकर साबित करना होगा। भारत को दुनिया को बताना होगा कि चीन ने अंर्तराष्ट्रीय सीमा रेखा का उल्लंघन कर भारतीय सैनिको को मारा है। चीन के खिलाफ लड़ने के लिए भारत को प्रोपेगंडा वॉर अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर चलाना होगा।