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Last Updated : शनिवार, 21 मार्च 2015 (11:40 IST)

'कसाब ने कभी नहीं मांगा मटन-बिरयानी'

'कसाब ने कभी नहीं मांगा मटन-बिरयानी' - Ajmal Kasab, Mumbai terror attacks
नई दिल्ली। मुंबई हमले के दोषी पाकिस्तानी आतंककारी अजमल कसाब ने जेल में बंद रहने के दौरान न तो कभी मटन-बिरयानी मांगी और न ही उसे उपलब्ध करवाई गई। आतंकी के प्रति सहानुभूति पैदा करने की कोशिशों पर विराम लगाने के उद्देश्य से इस बारे में सिर्फ मनगढ़ंत कहानी रची गई थी।

कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले वकील उज्जवल निकम ने यह खुलासा एक अखबार से बातचीत में किया। उज्जवल ने कहा कि कसाब बहुत शातिर दिमाग था। उसे पता था कि मीडिया की उस पर पूरी नजर है।

मुंबई 26/11 हमला मामले के सार्वजनिक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने दावा किया कि हमले के दोषी अजमल कसाब के जेल में बिरयानी मांगने की बात झूठ है और इसे आतंकी के पक्ष में बनायी जा रही एक भावनात्मक लहर को रोकने के लिए गढ़ा गया था।

निकम ने यहां आतंकवाद विरोधी अंतररराष्ट्रीय सम्मेलन से इतर संवाददाताओं से कहा, कसाब ने कभी भी बिरयानी की मांग नहीं की थी और ना ही सरकार ने उसे बिरयानी परोसी थी। मुकदमे के दौरान कसाब के पक्ष में बन रहे भावनात्मक माहौल को रोकने के लिए मैंने इसे गढ़ा था।

उन्होंने कहा, मीडिया गहराई से उनके हाव भाव का निरीक्षण कर रही थी और उसे यह चीज अच्छे से पता थी। एक दिन अदालत कक्ष में उसने सिर झुका लिया और अपने आंसू पोंछने लगा। निकम ने कहा कि थोड़ी ही देर बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडया ने इससे जुड़ी खबर दी। वह रक्षा बंधन का दिन था और मीडिया में इसे लेकर पैनल चर्चाएं शुरू हो गयी। उन्होंने कहा, कुछ ने कहा कि कसाब की आंखों में आंसू अपनी बहन को याद करते हुए आए और कुछ ने यहां तक कि उसके आतंकी होने ना होने पर सवाल खड़े कर दिए।

निकम ने कहा, इस तरह की भावनात्मक लहर और माहौल को रोकने की जरूरत थी। इसलिए इसके बाद मैंने मीडिया में बयान दिया कि कसाब ने जेल में मटन बिरयानी की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने मीडिया से यह सब कहा तो एक बार वहां फिर पैनल चर्चाएं शुरू हो गयीं और मीडिया दिखाने लगा कि एक खूंखार आतंकवादी जेल में मटन बिरयानी की मांग कर रहा है जबकि सच्चाई यह है कि कसाब ने ना तो बिरयानी मांगी थी ना ही उसे वह परोसी गयी थी। निकम ने कहा कि उन्होंने इस सम्मेलन में एक सत्र के दौरान भी लोगों के सामने इसका खुलासा किया। पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब को नवंबर 2008 में हुए आतंकी हमले के करीब चार साल बाद नवंबर 2012 में फांसी दे दी गयी थी। इस हमले में बहुत सारे लोग मारे गए थे। (भाषा)