शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. राष्ट्रीय
  4. Ajit Doval Pakistan
Written By

डोभाल से क्यों डरता है पाकिस्तान..?

डोभाल से क्यों डरता है पाकिस्तान..? - Ajit Doval Pakistan
भारत के सर्वाधिक प्रसिद्ध जासूस, खुफिया ब्यूरो (आईबी) के पूर्व प्रमुख और वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से पाकिस्तान का सैन्य प्रतिष्ठान सबसे ज्यादा नफरत करता है। पाकिस्तानी के प्रिंट और इलेक्ट्रॉ‍निक व सोशल मीडिया तथा विशेष रूप से ट्विटर पर सक्रिय लोगों के नाम से एंटी-डोभाल समाचारों से नियमित तौर पर भरे पड़े होते हैं।
 
फर्स्टपोस्ट डॉट कॉम में राजीव शर्मा लिखते हैं कि जब से डोभाल ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का पद संभाला है तब से वे ट्विटर पर सक्रिय पाकिस्तानियों के कोप का भाजन बने हुए हैं।    
    
पाकिस्तान में कहीं भी कुछ भी बुरा हुआ कि इसका दोष डोभाल पर मढ़ दिया जाता है। आप पाकिस्तानी सोशल मीडिया के नेटवर्क पर गौर करें और जानें कि वहां ट्विटर पर क्या ट्रेंड कर रहा है तो आपको अक्सर ही डोभाल को कोसने वाली 'जानकारी' मिल जाएगी।

इन लोगों ने डोभाल को ऐसा बना दिया है मानो वे किसी महामानव जैसी शक्तियां और ताकत रखते हों। लेकिन पिछले 24 घंटों के दौरान जो भी हुआ वह तो पूरी तरह से विचित्र और बेशर्मी से भरी निर्लज्जता है। पाकिस्तान में पिछले 24 घंटों से डोभालरनिंगआईएसआईएस नाम का शीर्ष हैशटैग ट्रेंड कर रहा है।
 
इसके कुछ नमूनों से यह साफ हो जाएगा कि ट्विटर पर सक्रिय पाकिस्तानी एक आश्चर्यजनक प्रजाति के लोग हैं जिनमें भारत के प्रति तीव्र घृणा कूट-कूटकर भरी हुई है। इतना ही नहीं, इस मामले में इनकी कल्पनाशीलता भी बेमिसाल है। कुछ समय पहले कश्मीर में पहली बार इस्लामिक स्टेट के झंडे लहराए गए।
 
कोई भी सही दिमाग वाला आदमी इसे भारत का अपमान, तिरस्कार मानता,  लेकिन पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर सक्रिय 'जानकारों' ने इसे डोभाल की रणनीति बताया। उदाहरण के लिए, एक युवा पाकिस्तानी महिला फातिमा अली ने ट्‍वीट किया- 'कश्मीर में आईएसआईएस झंडे कभी नहीं फहराए गए, इसलिए इस बात का अजीत डोभाल की किसी नई योजना से संबंध है।'  
 
भारतीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में डोभाल को लेकर बहुत कुछ लिखा गया है लेकिन अगर उनके प्रोफाइल (जीवन वृत्त) पर नजर डालें तो हमें समझ में आएगा कि वह पाकिस्तान में क्यों सबसे ज्यादा भयभीत करने वाले और घृणास्पद भारतीय समझे जाते हैं। वे भारत के ऐसे एकमात्र नागरिक हैं जिन्हें शांतिकाल में दिया जाने वाले दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है।
 
डोवाल के वे खूबियां, जिनसे दुश्मन खौफ खाता है... पढ़ें अगले पेज पर....
 
 
 

अस्सी के दशक से भारत की सुरक्षा के लिए जितने भी ऑपरेशन चलाए गए, अब सत्तर वर्ष से अधिक उम्र के डोवाल उन सभी में शामिल रहे हैं। वे खुफिया ब्यूरो (आईबी) के ऑपरेशनों में 31 जनवरी, 2005 तक जुड़े रहे जब तक कि वे रिटायर नहीं हो गए।      
 
भारतीय खुफिया प्रतिष्ठान में उनकी प्रसिद्धि इस कारण से भी है कि वे अपने शुरुआती दिनों में एजेंसी के अंडरकवर एजेंट थे और सात वर्ष तक पाकिस्तान में सक्रिय रहे। वे पाकिस्तान के लाहौर शहर में एक पाकिस्तानी मुस्लिम की तरह रहे। भारतीय सेना के एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान उन्होंने एक गुप्तचर की भूमिका निभाई और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका। इस दौरान उनकी भूमिका एक ऐसे पाकिस्तानी जासूस की थी, जिसने खालिस्तानियों का विश्वास जीत लिया था और उनकी तैयारियों की जानकारी मुहैया करवाई थी। 
 
जब 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-814 को काठमांडू से हाईजैक कर लिया गया था तब उन्हें भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार बनाया गया था। बाद में, इस फ्लाइट को कंधार ले जाया गया था और यात्रियों को बंधक बना लिया गया था।
 
कश्मीर में भी उन्होंने उल्लेखनीय काम किया था और उग्रवादी संगठनों में घुसपैठ कर ली थी। उन्होंने उग्रवादियों को ही शांतिरक्षक बनाकर उग्रवाद की धारा को मोड़ दिया था। उन्होंने एक प्रमुख भारत-विरोधी उग्रवादी कूका पारे को अपना सबसे बड़ा भेदिया बना लिया था।
 
अस्सी के दशक में वे उत्तर पूर्व में भी सक्रिय रहे। उस समय ललडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट ने हिंसा और अशांति फैला रखी थी, लेकिन तब डोवाल ने ललडेंगा के सात में छह कमांडरों का विश्वास जीत लिया था और इसका नतीजा यह हुआ था कि ललडेंगा को मजबूरी में भारत सरकार के साथ शांतिविराम का विकल्प अपना पड़ा था।  
 
जिन लोगों को यह आश्चर्य होता है कि डोवाल को क्यों जेम्स बांड और हेनरी कीसिंजर का घालमेल और वास्तव में एक आधुनिक चाणक्य समझा जाता है, इसकी जानकारी यह वीडियो देता है। इस वीडियो में डोवाल को पाकिस्तान को यह चेतावनी देते हुए देखा जा सकता है कि 'अगर आप मुंबई के आतंकी हमले को दोहराना चाहते हो तो आपको बलूचिस्तान से हाथ धोना पड़ेगा।' 
उनका कहना है कि भारत को अपनी पाकिस्तान रणनीति में तीन बातों को शामिल करने की जरूरत है- 1. भारत के 'रक्षात्मक' हाव भाव को एक 'आक्रामक-रक्षात्मक रवैए' में बदलना होगा जिसके तहत आपको आतंक के मूल तक पहुंचकर आतंकवादियों के खिलाफ पहले कार्रवाई करनी होगी। हमला होने के बाद सक्रियता दिखाने का कोई अर्थ नहीं।
 
2. चूंकि पाकिस्तान आतंकवाद को अपनी विदेश नीति की तरह से इस्तेमाल करता है और अन्य तरीकों से युद्ध में लगा रहता है, इसलिए इसकी कीमत इतनी अधिक ऊंची बना दी जाए कि पाकिस्तान के लिए इसे अपनाना असंभव हो जाए।
 
और 3. पाकिस्तान को आतंकवादियों की सेवाएं लेने के मामले में मात देना होगा और उन्हें अधिक पैसा देना होगा क्योंकि आतंकवादी भाड़े के सैनिकों से अधिक नहीं होते हैं।