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Last Updated : बुधवार, 2 नवंबर 2022 (08:36 IST)

दिल्ली में हवा फिर हुई जहरीली, नोएडा में AQI ‘गंभीर’, पंजाब में पराली जलाने की 1,842 घटनाएं

दिल्ली में हवा फिर हुई जहरीली, नोएडा में AQI ‘गंभीर’, पंजाब में पराली जलाने की 1,842 घटनाएं - air pollution in delhi and Noida
नई दिल्ली। दिल्ली में वायु गुणवत्ता बुधवार सुबह भी खराब रही तथा वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहा। दिल्ली में ओवरआल AQI 354 दर्ज किया गया वहीं नोएडा में AQI गंभीर श्रेणी में रहा। इस बीच पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं थमने का नाम ही नहीं ले रही है। राज्य में पिछले 24 घंटों में 1842 जगह पराली जलाई गई।
 
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, आज सुबह दिल्ली एयरपोर्ट पर वायु गुणवत्ता सूचकांक 350, गुरुग्राम में 346 और नोएडा में 406 दर्ज किया गया। 
 
इससे पहले मंगलवार शाम चार बजे दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक 424 दर्ज किया गया था जो 26 दिसंबर, 2021 (459) के बाद सबसे खराब है। वहीं सोमवार रात 8 बजे दिल्ली का एक्यूआई 361 (बहुत खराब) था।
 
शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 को ‘संतोषजनक’, 101 और 200 को ‘मध्यम’, 201 और 300 को ‘खराब’, 301 और 400 को ‘बहुत खराब’, तथा 401 और 500 को ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है।

Parali
पंजाब में पराली ने बढ़ाई परेशानी : पंजाब में मंगलवार को पराली जलाने की रिकॉर्ड 1,842 घटनाएं दर्ज की गईं। इनमें सबसे अधिक 345 मामले संगरुर जिले की हैं जबकि फिरोजपुर में 229, पटियाला में 196, बठिंडा में 160, तरन-तारन में 123, बरनाला में 97 और मुक्तसर में पराली जलाने की 91 घटनाएं दर्ज की गई। इस मामले में विपक्षी कांग्रेस और भाजपा ने आप सरकार को आड़े हाथ लिया। पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं पर भाजपा ने दिन में आप सरकार को घेरते हुए कहा कि वह अपनी गहरी नींद से जागे।

उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अप्रैल में जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि दुनिया में लगभग हर व्यक्ति ऐसी हवा में सांस लेता है, जो वायु गुणवत्ता के उसके मानकों पर खरी नहीं उतरती। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दुनिया की 99 प्रतिशत आबादी उसकी वायु गुणवत्ता सीमाओं से बाहर मापी जाने वाली हवा में सांस लेती है। इस हवा में अक्सर ऐसे कण होते हैं, जो फेफड़ों में भीतर तक जा सकते हैं, नसों और धमनियों में प्रवेश कर सकते हैं और बीमारी का कारण बन सकते हैं।