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  4. After the year 2012, 1059 tigers died so far, highest in Madhya Pradesh
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Last Modified: बुधवार, 27 जुलाई 2022 (18:03 IST)

2012 के बाद अब तक 1059 बाघों की मौत, मध्य प्रदेश में सबसे ज्‍यादा

Tiger
नई दिल्ली। भारत में साल 2012 से अब तक 1059 बाघों की मृत्यु हो चुकी है। मध्य प्रदेश को 'बाघ राज्य' के रूप में जाना जाता है और यहां बाघों की मृत्यु की सर्वाधिक संख्या दर्ज की गई है।इस साल अब तक 75 बाघों की मौत हो चुकी है, जबकि पिछले साल 127 बाघों की मौत हुई थी।

सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के मुताबिक, इस साल अब तक 75 बाघों की मौत हो चुकी है, जबकि पिछले साल 127 बाघों की मौत हुई थी। यह 2012 से लेकर 2022 की अवधि में सबसे ज्यादा है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2020 में 106 बाघों की मौत हुई थी, 2019 में 96, 2018 में 101, 2017 में 117, 2016 में 121, 2015 में 82, 2014 में 78, 2013 में 68 और 2012 में 88 बाघों की मौत हुई थी।

मध्य प्रदेश में छह बाघ अभयारण्य हैं। यहां 2012-2022 की अवधि के दौरान सबसे अधिक (270) मौतें दर्ज कीं गईं। इसके बाद महाराष्ट्र (183), कर्नाटक (150), उत्तराखंड (96), असम (72), तमिलनाडु (66) हैं। उत्तर प्रदेश (56) और केरल में 55 बाघों ने दम तोड़ा। राजस्थान, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश में क्रमश: 25, 17, 13, 11 और 11 बाघों की मौत हुई।

मध्य प्रदेश में पिछले डेढ़ साल में 68 बाघों की मौत हुई, जबकि महाराष्ट्र में इस अवधि में 42 बाघों की मौत हुई है। 2018 की बाघ गणना के मुताबिक, मध्य प्रदेश 526 बाघों के साथ भारत के 'बाघ राज्य' के रूप में उभरा था। इसके बाद कर्नाटक में 524 बाघों की संख्या दर्ज की गई थी। आंकड़ों के मुताबिक 2012-2020 की अवधि में 193 बाघों की शिकार के कारण मौत हुई। जनवरी 2021 से अवैध शिकार के कारण हुई मौतों के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं।

अधिकारियों ने 108 बाघों की मौत के कारण 'कैद करना' बताया है, जबकि इस अवधि में 'प्राकृतिक' कारणों से 44 बाघों की मृत्यु हुई। एनटीसीए के अनुसार, शुरुआत में सभी बाघों की मौत का कारण अवैध शिकार को माना जाता है।(भाषा)