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Last Updated : बुधवार, 27 जुलाई 2022 (20:09 IST)

Amaranth Yatra : हिमलिंग पिघलने के बाद अमरनाथ श्रद्धालुओं की संख्‍या हुई कम

Amaranth Yatra : हिमलिंग पिघलने के बाद अमरनाथ श्रद्धालुओं की संख्‍या हुई कम - After melting of Himling, the number of Amarnath pilgrims decreased
जम्मू। एक महीने के कम समय में ही अमरनाथ यात्रा में शिरकत करने वालों का आंकड़ा ढलान पर है। इसका सबसे बड़ा कारण अमरनाथ यात्रा के प्रतीक हिमलिंग के पिघल जाने का है। आज 1150 श्रद्धालुओं को जम्मू से रवाना किया गया, जबकि कल 2189 इसमें शामिल हुए थे।गौरतलब है कि 29 जून को आरंभ होने वाली यात्रा में पहले प्रतिदिन 15 से 20 हजार श्रद्धालु शिरकत कर रहे थे।

हालांकि कल 5 हजार के लगभग श्रद्धालुओं ने गुफा के दर्शन किए थे। उनमें निराशा थी क्योंकि इतनी लंबी यात्रा करने के उपरांत उन्हें हिमलिंग के दर्शन नहीं हो पाए क्योंकि वह कई दिन पहले ही अंतर्ध्यान हो चुके हैं।

29 जून को आरंभ होने वाली यात्रा में पहले प्रतिदिन 15 से 20 हजार श्रद्धालु शिरकत कर रहे थे जिससे लगने लगा था कि इस बार आंकडा एक नया रिकार्ड बनाएगा। पर 9 जुलाई को गुफा के बाहर बादल फटने की घटना में 16 श्रद्धालुओं की मौत ने अन्य श्रद्धालुओं को ‘डरा’ जरूर दिया। ऐसा ही डर कल भी 4 हजार के करीब उन श्रद्धालुओं को लगा था जब गुफा के बाहर ही अचानक आई बाढ़ में वे घिर गए थे।

अभी तक पौने तीन लाख के करीब श्रद्धालु इसमें शामिल हो चुके हैं और 11 अगस्त को श्रावन पूर्णिमा के दिन इस यात्रा का समापन होना है और श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार आती गिरावट को देखते हुए अब यह कहना मुश्किल हो रहा है कि यह यात्रा इस बार कोई नया इतिहास रच पाएगी।

यह बात अलग है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इस बार 8 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के यात्रा में शामिल होने की उम्मीद लगाते हुए आस प्रकट की थी कि इन श्रद्धालुओं के कारण कश्मीर में इस बार 3 से 4 हजार करोड़ का बिजनेस होगा जिससे कश्मीरी कोरोनावायरस (Coronavirus) के कारण हुए घाटे से उबर जाएंगे।

साल 2011 में शामिल हुए थे सबसे ज्यादा श्रद्धालु : अमरनाथ यात्रा के प्रति एक रिकार्ड सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं के शामिल होने का वर्ष 2011 की यात्रा में बना था जब रिकार्ड तोड़ 6.35 लाख श्रद्धालुओं ने इस यात्रा में शिरकत की थी और उसके अगले साल यानी 2012 में सबसे ज्यादा 119 अमरनाथ श्रद्धालुओं की मौत दिल का दौरा पड़ने के कारण हुई थी।

वर्ष 2007 से लेकर वर्ष 2019 के आंकड़ों पर अगर एक नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2016 में, जब हिज्बुल मुजाहिदीन के पोस्टर ब्‍वॉय बुरहान वानी की मौत हुई थी, सबसे कम 2.20 लाख श्रद्धालु यात्रा में शामिल हुए थे। जबकि चौंकाने वाली बात यह है कि वर्ष 2008 में जब अमरनाथ भूमि आंदोलन को लेकर जम्मू में दो माह तक लगातार आंदोलन, हड़ताल और कर्फ्यू लागू रहा था तब भी सरकारी रिकार्ड के मुताबिक, 5.50 लाख श्रद्धालुओं ने 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में बनने वाले हिमलिंग के दर्शन किए थे। हालांकि इस आंकड़े पर आज भी संदेह व्यक्त किया जाता रहा है।

2007 से लेकर 2019 तक के आंकड़ों में इस साल के 25 दिनों के आंकड़े ने पिछले चार साल का रिकार्ड जरूर तोड़ दिया है। जबकि अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के अधिकारियों को उम्मीद थी कि अगर सब सकुशलता से चलता रहा तो इस बार यात्रा एक नया रिकार्ड बनाएगी।

आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 तथा 2018 में क्रमशः 2.63, 5.50, 3.75, 4.59, 6.35, 6.20, 3.53, 3.72, 2.20, 2.60 तथा 2.85 लाख श्रद्धालुओं ने शिरकत की। ठीक इसी प्रकार सबसे अधिक मौतें 2012 में हुई थीं। तब इसने 119 का आंकड़ा छू लिया था, जबकि अभी तक सबसे कम मौतें 2013 की अमरनाथ यात्रा में हुई हैं, जब 14 श्रद्धालुओं की मौत हृदयगति रूकने से हुई थी।

रिकार्ड के मुताबिक, वर्ष 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 तथा 2018 में क्रमशः 50, 72, 45, 100, 111, 119, 14, 45, 41, 18, 60 तथा 34 श्रद्धालुओं की मौत हुई हैं, जबकि इस बार 24 दिनों में होने वाली 30 मौतें जरूर चिंता का कारण बनती जा रही हैं।
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