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Last Updated : बुधवार, 11 जनवरी 2023 (21:20 IST)

मच्छेल में बर्फीली खाई में गिरने से 3 सैनिक शहीद, 2 माह में 6 की मौत

मच्छेल में बर्फीली खाई में गिरने से 3 सैनिक शहीद, 2 माह में 6 की मौत - 3 soldiers martyred after falling into an icy gorge in Machhel sector of Kupwara
जम्मू। कुपवाड़ा के मच्छेल सेक्टर में बर्फीली खाई में गिरने से 3 भारतीय सैनिक शहीद हो गए हैं। शहीद होने वालों में एक जवान जम्मू के बिश्नाह का था और 2 हिमाचल प्रदेश के रहने वाले थे। पिछले 2 माह में यह दूसरी घटना है। इसी सेक्टर में नवंबर में क्षेत्र में एक हिमस्खलन की चपेट में आने से 3 सैनिकों की मौत हो गई थी।

सेना प्रवक्ता के अनुसार, तीनों सैनिक एक नियमित गश्त का हिस्सा था जो एक गहरी खाई में फिसल गए और कर्तव्य की पंक्ति में उन्होंने सर्वोच्‍च बलिदान दिया। प्रवक्ता ने बताया कि मच्छेल सेक्टर में कल शाम करीब 5.30 बजे संकरे रास्ते पर एक नियमित गश्त हो रही थी और अग्रिम चौकी की ओर बढ़ते समय संकरे ट्रैक पर बर्फ टूट गई, जिससे एक जेसीओ और 2 जवान गहरी खाई में गिर गए।

निकटतम चौकी से सैनिकों के साथ तुरंत एक खोज और बचाव अभियान शुरू किया गया। प्रतिकूल मौसम की स्थिति और उबड़-खाबड़ इलाके के बावजूद खोज दल के निरंतर प्रयासों के कारण आज सुबह 4.15 से 4.45 के बीच 3 बहादुर सैनिकों के शव बरामद कर लिए गए।

सेना प्रवक्ता ने बताया कि शहीद होने वालों सैनिकों में स्वर्गीय नायब सूबेदार पुरुषोत्तम कुमार तैंतालीस साल के थे और 1996 में सेना में शामिल हुए थे। वे जम्मू-कश्मीर में ग्राम मजुआ उत्तमी बिश्नाह के रहने वाले थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी और 2 बच्चे हैं, जबकि स्वर्गीय हवलदार अमरीक सिंह उनतालीस वर्ष के थे और 2001 में सेना में शामिल हुए थे। वे हिमाचल प्रदेश के ग्राम मंडवारा, पोस्ट मारवाड़ी, तहसील घनारी, जिला ऊना से संबंधित थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी और एक बेटा है।

इसी प्रकार स्वर्गीय अमित शर्मा तेईस वर्ष के थे और 2019 में सेना में शामिल हुए थे। वे हिमाचल प्रदेश के ग्राम तलसी खुर्द, पोस्ट किर्विन, तहसील हमीरपुर, जिला हमीरपुर के रहने वाले थे। उनके परिवार में उनकी सिर्फ मां है।

प्रवक्ता के बकौल, तीनों बहादुरों के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक स्थानों पर ले जाया जाएगा, जहां पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। दुख की इस घड़ी में भारतीय सेना शोक संतप्त परिवारों के साथ एकजुटता से खड़ी है और उनकी गरिमा और भलाई के लिए प्रतिबद्ध है।

दुर्गम इलाकों में डटे हैं सैनिक : यह सच्चाई है कि भारतीय सेना एलओसी से सटे इन दुर्गम इलाकों में स्थित अपनी चौकियों और बंकरों से अपने जवानों को हटाने को राजी इसलिए नहीं हैं, क्योंकि पाकि‍स्‍तानी सेना के वादों पर विश्वास नहीं किया जा सकता।

अक्सर यह देखा गया है कि हिमस्खलन के कारण सेना के जवान शहीद हो जाते हैं। एलओसी पर दुर्गम स्थानों पर हिमस्खलन से होने वाली सैनिकों की मौतों का सिलसिला कोई पुराना नहीं है बल्कि करगिल युद्ध के बाद से ही सेना को ऐसी परिस्थितियों के दौर से गुजरना पड़ रहा है। करगिल युद्ध से पहले कभी-कभार होने वाली इक्का-दुक्का घटनाओं को कुदरत के कहर के रूप में ले लिया जाता रहा था, पर अब लगातार होने वाली ऐसी घटनाएं सेना के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही हैं।

जानकारी के लिए वर्ष 2019 में 18 जवानों की मौत बर्फीले तूफानों के कारण हुई है, जबकि 2018 में 25 जवानों को हिमस्खलन लील गया था। अधिकतर मौतें एलओसी की उन दुर्गम चौकियों पर घटी थीं, जहां सर्दियों के महीने में पहुंचने के लिए सिर्फ हेलीकाप्टर ही एक जरीया होता है, ऐसा इसलिए, क्योंकि भयानक बर्फबारी के कारण चारों ओर सिर्फ बर्फ के पहाड़ ही नजर आते हैं और पूरी की पूरी सीमा चौकियां बर्फ के नीचे दब जाती हैं।

हिमस्खलन की कुछ प्रमुख घटनाएं :
30 नवंबर, 2019 : सियाचिन ग्लेशियर में भारी हिमस्खलन में सेना की पेट्रोलिंग पार्टी के 2 जवान शहीद।
18 नवंबर, 2019 : सियाचिन में हिमस्खलन की चपेट में आकर 4 जवान शहीद, 2 पोर्टर भी मारे गए।
10 नवंबर, 2019 : उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में हिमस्खलन की चपेट में आकर सेना के 2 पोर्टरों की मौत।
31 मार्च, 2019 : उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में हिमस्खलन में दबकर मथुरा के हवलदार सत्यवीर सिंह शहीद।
3 मार्च, 2019 : करगिल के बटालिक सेक्टर में ड्यूटी के दौरान हिमस्खलन में पंजाब के नायक कुलदीप सिंह शहीद।
8 फरवरी, 2019 : जवाहर टनल पुलिस पोस्ट हिमस्खलन की चपेट में आई, 10 पुलिसकर्मी लापता, 8 बचाए गए।
3 फरवरी, 2016 : हिमस्खलन से 10 जवान शहीद, बर्फ से निकाले गए लांस नायक हनुमनथप्पा ने 6 दिन बाद दम तोड़ दिया।
16 मार्च, 2012 : सियाचिन में बर्फ में दबकर 6 जवान हुए शहीद।
Edited By : Chetan Gour