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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013 (23:12 IST)

सुप्रीम कोर्ट ने मांगा सुरक्षा खर्च का ब्‍योरा

उच्चतम न्यायालय
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र और सभी राज्य सरकारों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों से अतिविशिष्ट व्यक्तियों के परिजनों और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों सहित विभिन्न श्रेणी के व्यक्तियों को उपलब्ध कराई जा रही सुरक्षा पर हुए खर्च का विवरण मांगा है।

न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एचएल गोखले की खंडपीठ ने लाल बत्ती की गाड़ियों के दुरुपयोग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि वे राष्ट्रप्रति, प्रधानमंत्री और राज्यों में इसके समकक्ष सांविधानिक पदों पर आसनी व्यक्तियों की सुरक्षा पर होने वाले खर्च का विवरण नहीं चाहते हैं।

न्यायाधीशों ने कहा, केन्द्र, सभी राज्य सरकारें और केन्द्र शासित प्रशासक राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उप राष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष और राज्यों में उनके समकक्ष सांविधानिक पदाधिकारियों से इतर सार्वजनिक व्यक्तियों ओर निजी व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करने पर हुए कुल खर्च का विवरण पेश करेंगे।

न्यायालय ने करीब दो घंटे की सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने सुरक्षा प्रदान करने के प्रावधानों और लाल बत्ती लगाने के नियमों के दुरुपयोग के बारे में अनेक उदाहरण पेश किए।

उन्होंने रेल राज्यमंत्री अधीर रंजन चौधरी से संबंधित घटना का जिक्र करते हुए कहा कि अपने सुरक्षाकर्मियों और समर्थकों से घिरे रेल राज्यमंत्री ने पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद में जिलाधिकारी के सरकारी मकान में घुसकर तोड़फोड़ की।

तमिलनाडु सरकार के हलफनामे का जिक्र करते हुए सालवे ने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत में प्रदान सम्मान के कारण ही आर्कोट के राजकुमार को सुरक्षा प्रदान की जा रही है। यह समस्या अब एक बीमारी का रूप ले चुकी है और यह राजनीतिक संस्कृति का हिस्सा बन चुका है। (भाषा)