Last Modified: नई दिल्ली ,
शनिवार, 2 अक्टूबर 2010 (17:52 IST)
...तो नहीं टूटता बाबरी ढाँचा-खान
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अयोध्या मामले में फैसला देने वाली इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के सदस्य न्यायाधीश एसयू खान का मानना है कि छह दिसंबर 1992 में बाबरी ढाँचे के विध्वंस के लिए वर्ष 1986 में विवादित स्थल का ताला खोलने संबंधी फैजाबाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश का समुचित प्रकिया का पालन किए बगैर जारी किया आदेश जिम्मेदार था।
न्यायमूर्ति खान ने गत गुरुवार को दिए अपने फैसले में कहा है कि वर्ष 1986 में विवादित स्थल का ताला खोलने का आदेश दिए जाने के बाद ऐसी घटनाएँ होती गईं, जिनका परिणाम वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद को ढहाए जाने के रूप में सामने आया।
उन्होंने कहा कि फैजाबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने बिना किसी खास वजह से बहुत जल्दबाजी में ताला खोलने का आदेश दे दिया था1 ताला खोलने की मंजूरी संबंधी अपील 31 जनवरी 1986 को दाखिल की गई थी और उसके अगले दिन ही आदेश जारी कर दिया गया। उन्होंने कहा कि वह आदेश शाम चार बजकर 15 मिनट पर जारी किया गया था और उसके कुछ ही मिनटों के भीतर विवादित स्थल का ताला खोल दिया गया।
न्यायमूर्ति खान ने कहा कि फैजाबाद के तत्कालीन जिला न्यायाधीश ने इस तरह का आदेश देने के पहले समुचित प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया था। जिला न्यायाधीश ने संबंधित पक्षों को अपनी बात रखने का भी अवसर नहीं दिया था। तत्कालीन जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने इस अपील पर सकारात्मक राय दी, जिसके बाद आदेश जारी कर दिया गया था। (वार्ता)