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Written By भाषा

इसरो की मंगल पर उपग्रह भेजने की तैयारी पर एक नजर

Isro Mars Mission | इसरो की मंगल पर उपग्रह भेजने की तैयारी पर एक नजर
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चेन्नई। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत एक मील का पत्थर हासिल करने की दिशा में अग्रसर है और मंगल पर भेजे जाने वाले देश के पहले अंतरग्रहीय उपग्रह के मंगलवार को होने वाले प्रक्षेपण के लिए श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में तैयारियां पूरे जोरों पर हैं। मंगल ग्रह को करीब से जानने की यह कोशिश अगर कामयाब होती है तो भारत अंतरिक्ष के मामले में एक बड़ी ताकत बनकर उभरेगा।

भारतीय अंतरिक्ष संगठन (इसरो) के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘प्रक्षेपण के लिए रविवार को शुरू हुई उल्टी गिनती लगातार जारी है। चीजें सामान्य हैं। हम तैयारियों के काम में व्यस्त हैं।’ इसरो के प्रक्षेपण अधिकार बोर्ड ने प्रक्षेपण पूर्व सफल अभ्यास के बाद ‘मार्स आर्बिटर मिशन’ के प्रक्षेपण के लिए 1 नवंबर को अपनी मंजूरी दे दी थी।

अगले पन्ने पर पढ़ें, कैसे उपग्रह को भेजेगा इसरो मंगल पर....


रॉकेट 44.4 मीटर लंबा है और इसे स्पेसपोर्ट के फर्स्ट लॉन्च पैड पर लगाया गया है। यहां 76 मीटर लंबा एक मोबाइल सर्विस टावर लगा है, जो 230 किलोमीटर प्रति घंटा की गति वाली हवा में भी टिका रह सकता है। इस तरह यह चक्रवात की स्थिति से निपटने में सक्षम है। लॉन्च से पहले इसे हटा लिया जाएगा। पीएसएलवी 25 कल यहां से 100 किलोमीटर दूर स्पेसपोर्ट से दोपहर 2 बजकर 38 मिनट पर प्रक्षेपित किया जाएगा।

इसरो सूत्रों ने कहा कि इस व्हीकल की स्थिति का लगातार निगरानी रखने वाले पोर्ट ब्लेयर, बेंगलुरु के पास बाएलालू और ब्रूनेई के ट्रैकिंग स्टेशनों को अलर्ट पर रखा गया है। वहीं समुद्री टर्मिनलों (भारतीय जहाजरानी निगम के जहाजों) एससीआई नालंदा और एससीआई यमुना ने दक्षिणी प्रशांत महासागर में अपनी जगह ले ली है।

ऐसा माना जा रहा है कि उड़ान के बाद रॉकेट को पृथ्वी की कक्षा में उपग्रह छोड़ने में 40 मिनट से ज्यादा समय लगेगा। लॉन्च किया गया उपग्रह 1 दिसंबर को मंगल के लिए अपनी यात्रा शुरू करने से पहले 20 से 25 दिन तक पृथ्वी के चारों ओर घूमेगा और 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में पहुंच जाएगा।

यदि यह अभियान सफल होता है तो, अगले पन्ने पर...


यदि 450 करोड़ की लागत वाला यह मंगल अभियान सफल रहता है तो मंगल पर अभियान भेजने वाली इसरो विश्व की चौथी अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी होगी।

इससे पहले यूरोपीय संघ की यूरोपीयन स्पेस एजेंसी, अमेरिका की नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) और रूस की रॉस्कॉस्मोज़ ने ही अब तक मंगल पर अपने अभियान भेजे हैं।

विभिन्न देशों द्वारा मंगल पर भेजे गए कुल 51 अभियानों में से सिर्फ 21 ही सफल हुए हैं। (भाषा)