अयोध्या, तीन सदस्यीय पीठ करेगी फैसला
उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसएच कपाड़िया की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ अयोध्या मालिकाना हक मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को टाल देने की माँग करती विशेष अनुमति याचिका के भविष्य पर मंगलवार को निर्णय करेगी।इस पीठ में प्रधान न्यायाधीश के साथ ही न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन भी हैं। इस मामले को एजेंडे में सबसे पहले सुबह साढ़े दस बजे के लिए सूचीबद्ध किया गया है।शीर्ष अदालत ने सेवानिवृत्त नौकरशाह रमेशचंद्र त्रिपाठी की याचिका के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर बीते गुरुवार रोक लगा दी थी। इस याचिका में आपसी बातचीत के जरिये मसले का हल निकालने की संभावनाएँ तलाशने के मकसद से अदालती फैसला टालने की माँग की गई थी।अदालती फैसले पर रोक लगाने के मुद्दे पर न्यायमूर्ति आरवी रवीन्द्रन और न्यायमूर्ति एचएल गोखले के बीच मतभेद होने के बीच शीर्ष अदालत ने अंतरिम रोक के आदेश दिए थे।त्रिपाठी की याचिका में अनुरोध किया गया था कि 60 वर्ष पुराने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मालिकाना हक विवाद का अदालत से बाहर हल निकालने की संभावनाएँ तलाशी जाएँ। उच्चतम न्यायालय ने एटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती से भी कहा था कि जब मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई होगी तो वह खुद मौजूद रहें और न्यायालय की मदद करें।न्यायमूर्ति रवीन्द्रन का यह मत था कि त्रिपाठी की ओर से दाखिल विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया जाए, जबकि न्यायमूर्ति गोखले ने कहा था कि समाधान के विकल्प तलाशने के लिए नोटिस जारी किया जाना चाहिए। इसके बावजूद पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति रवीन्द्रन ने न्यायमूर्ति गोखले का पक्ष लेते हुए समाधान तलाशने की एक कोशिश करने को तरजीह दी।न्यायमूर्ति गोखले ने कहा था कि अगर एक फीसदी भी संभावना है तो आपको वह (मामले के हल के लिए) देनी होगी। न्यायमूर्ति रवीन्द्रन ने अपने आदेश में कहा था कि पीठ के एक सदस्य का यह मत है कि विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए, जबकि एक अन्य सदस्य का यह विचार है कि आदेश पर रोक लगा दी जानी चाहिए और नोटिस जारी किया जाना चाहिए।उन्होंने कहा था कि इस अदालत की यह परंपरा रही है कि जब एक सदस्य यह कहे कि नोटिस जारी होनी चाहिए और दूसरा सदस्य यह कहे कि नोटिस जारी नहीं होना चाहिए तो नोटिस जारी होता है। न्यायमूर्ति रवीन्द्रन ने कहा था कि और हम नोटिस जारी करते हैं और आदेश पर रोक लगाते हैं। एक सप्ताह के लिए अंतरिम रोक रहेगी। सभी पक्षों को नोटिस जारी होगा और अदालत में एटॉर्नी जनरल मौजूद रहेंगे। (भाषा)