दुबई संयुक्त अरब अमीरात का एक प्रमुख शहर है। बड़ा ही दिलकश और शान-शौकत वाला शहर है। यों तो दुबई में लगभग 80 शापिंग-मॉल बताए जाते हैं जिनमें दुबई मॉल सबसे बड़ा है। यह दुबई का ही नहीं, विश्व के सब से बड़े मॉलों में से एक है। इसके बाद नंबर आता है 'इब्न बतूता मॉल' का। मोरक्को निवासी इब्न बतूता (1304-1368-69) के नाम पर यह मॉल बनाया गया है।
इब्न बतूता 22 वर्ष की आयु में कई देशों की यात्रा पर निकला था। लगभग 6 वर्षों तक उसने अरब, पूर्वी अफ्रीका, भारत, चीन, फारस, दक्षिणी रूस, मिस्र, स्पेन आदि देशों की यात्रा की।
अपने परिवार की परंपरा के अनुसार इब्न बतूता ने कम उम्र में ही साहित्यिक तथा शास्त्रारूढ़ शिक्षा हासिल की थी। अपनी श्रेणी के अन्य सदस्यों के विपरीत इब्न बतूता पुस्तकों के स्थान पर यात्राओं से अर्जित अनुभव को ज्ञान का अधिक महत्वपूर्ण स्रोत मानता था। उसे यात्राएं करने का बहुत शौक था और वह नए-नए देशों और लोगों के विषय में जानने के लिए दूर-दूर के क्षेत्रों तक गया था।
1332-33 में भारत के लिए प्रस्थान करने से पहले वह मक्का की तीर्थयात्राएं और सीरिया, इराक, फारस, यमन, ओमान तथा पूर्वी अफ्रीका के कई तटीय व्यापारिक बंदरगाहों की यात्राएं कर चुका था। मध्य एशिया के रास्ते होकर इब्न बतूता सन् 1333 में स्थल मार्ग से सिंध पहुंचा।
उसने दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक के बारे में सुना था और कला और साहित्य के एक दयाशील संरक्षक के रूप में उसकी ख्याति से आकर्षित हो बतूता ने मुल्तान और कच्छ के रास्ते होकर दिल्ली की यात्रा की। इसी महान पर्यटक के नाम पर 'इब्न बतूता' मॉल बना है।
5,21,000 वर्गमीटर में फैले इस अद्भुत मॉल में 270 दुकानें, 50 रेस्टॉरेंट, 21 स्क्रीन-सिनेमा, 4,500 कारों के लिए पार्किंग की जगह है, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा विषयाधारित मॉल बनाता है।
इस मॉल को इब्न बतूता ने जिन-जिन प्रमुख देशों की यात्रा की, उन देशों की थीम को आधार बनाकर निर्मित किया गया है। संपूर्ण मॉल को 6 कोर्ट्स/प्रभागों में बांटा गया है जिनमें इजिप्ट, इंडिया, चाइना, पर्शिया, टयूनीशिया और एंडलूसिया कोर्ट्स हैं। हर प्रभाग ऊपर वर्णित देशों की थीम/कला-संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है। हाथी को प्रतीक बनाकर भारत का प्रभाग/कोर्ट देखने लायक है।