• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. मेरा ब्लॉग
  4. traffic challan
Written By

नई चालान व्यवस्था पर ब्लॉग : गरीब, बेचारी जनता

नई चालान व्यवस्था पर ब्लॉग : गरीब, बेचारी जनता - traffic challan
- ©ऋचा दीपक कर्पे
 
क्या सारे नियम गरीब बिचारों पर ही थोपे जाएंगे?? 
 
अच्छा सवाल है न? और सही भी। यह सवाल संबंधित है, नई चालान व्यवस्था से।
 
गरीब, बेचारा, मध्यमवर्गीय भारतीय.... यह कब तक यूं ही गरीब, बिचारा बना रहेगा??
 
चलिए थोडी देर के लिए हमारी सरकार, हमारे प्रधानमंत्री, भ्रष्ट पुलिसकर्मी सभी को एक तरफ रख दीजिए और मेरे प्रश्न का जवाब दीजिए कि हमें स्वयं की सुरक्षा करना चाहिए या नहीं???
 
यदि दुर्घटना हुई तो दस हजार से कहीं ज्यादा खर्च होंगे और मानसिक और शारिरिक कष्ट अलग!! और यदि बचे ही नहीं तो आपके परिवार पर क्या बीतेगी आप कल्पना भी नहीं कर सकते।
 
शर्म आना चाहिए मेरे देश की तथाकथित गरीब बेचारी जनता को कि उसी की सुरक्षा के लिए सरकार को कानून बनाने पड़ रहे हैं!
 
हेलमेट न लगाकर खुद को मौत के मुंह में धकेलना और हेलमेट न लगाने वाले पुलिसकर्मियों से खुद की तुलना करना कहां की समझदारी है?? वे तो वैसे भी जान हथेली पर लेकर निकले हैं, क्या आपकी पत्नी या बच्चे इस बात के लिए तैयार हैं, कि आप ऑफिस गए हैं, पता नहीं शाम को लौटोगे या नहीं?
 
अरे लायसेंस क्यों बनाया जाता है? उसमें आपका पता, आपका ब्लड ग्रुप होता है। कहीं दुर्घटना हो गई तो आपको तुरंत खून दिया जा सके, आपके परिवार को सूचित किया जा सके.... इतनी छोटी-सी बात मेरे देश की गरीब बेचारी जनता को समझ नहीं आ रही?? 
 
लाइसेंस वयस्क होने के बाद ही बनता है। मैं पिछले 20 वर्षों से ट्यूशन ले रही हूं और 6ठी से 8वीं तक के लगभग 75% छात्रों को स्कूटी या बाइक आती है और वे मेरे घर स्कूटी या बाइक से आते हैं!! अब मैंने 'स्ट्रिक्ट' कर दिया है कि मेरे घर साइकिल से आना 'कम्पलसरी' है (मुझे भी हिटलर और अंग्रेजों की संज्ञा दी गई) लेकिन मुझे वही सही लगा। शायद मैं मूर्ख और उनके पालक समझदार है, जो इस उम्र में उन्हें गाड़ियां दे रहे हैं।
 
मेरे यहां से ट्यूशन छोड़ने के बाद, कक्षा नौ के 75% बच्चे बाइक या स्कूटी से ही कोचिंग जाते है! खुद की भी जान मुसीबत में डालते हैं और दूसरों की भी। इसका मतलब शहर में 75% वाहनों को कम किया जा सकता है... मतलब 75% प्रदूषण कम होगा और सबसे महत्वपूर्ण गरीब बिचारे मध्यमवर्गीय पालकों के पेट्रोल के पैसे भी बच सकते हैं।
 
जब मेरे पापा घर से बाहर जाते हैं, मैं उन्हें पूछती हूं कि लायसेंस और हेलमेट लिया कि नहीं? तब मेरे दिमाग में मैं मोदी जी, चालान, पुलिसकर्मी नहीं बल्कि पापा की सुरक्षा होती है। आपके हेलमेट पहनने या न पहनने से सरकार को कोई फायदा या नुकसान नहीं है, वह आपका व्यक्तिगत प्रश्न है। हर बात में गरीब बिचारी जनता का रोना बंद करो!! सुरक्षित रहो, स्वस्थ रहो और सुखी रहो।
 
ये भी पढ़ें
डाइट में शामिल करें सोयाबीन, सेहत के अलावा सुंदरता के लिए भी है बेमिसाल