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Written By Author डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

पठानकोट हमला और एनडीटीवी

पठानकोट हमला और एनडीटीवी - Pathankot attack and NDTV
# माय हैशटैग
सूचना प्रसारण मंत्रालय में 9 नवंबर को हिन्दी न्यूज चैनल एनडीटी इंडिया के प्रसारण पर 24 घंटे के लिए रोक लगाई है। इसके विरोध में सोशल मीडिया मुखर हो उठा। सूचना प्रसारण मंत्रालय की एक समिति ने एनडीटीवी इंडिया के कवरेज को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना। समिति का कहना था कि एनडीटीवी इंडिया ने जिस तरह पठानकोट हमले को कवर किया, उससे आतंकवादियों और उनके सरगनाओं को मदद मिली। इसके जवाब में एनडीटीवी ने कहा कि आरोप बेबुनियाद है और एनडीटीवी कोई अकेला चैनल नहीं था, जिसने इस तरह का कवरेज दिखाया। ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन (बीईए) और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी सूचना प्रसारण मंत्रालय के इस फैसले की निंदा की है और यह भी मांग की है कि मंत्रालय इस प्रतिबंध को वापस ले ले। क्योंकि यह आदेश ‘अभिव्यक्ति की आजादी पर बैन’है। 
 
सूचना प्रसारण मंत्रालय के इंटरमिनिस्ट्रीयल पैनल ने एनडीटीवी पर इस तरह की रोक की सिफारिश की थी। पैनल के अनुसार पठानकोट हमले के दौरान एयरबेस में मौजूद लड़ाकू विमानों और हथियारों से जुड़ी ऐसी जानकारियां एनडीटीवी प्रसारित करता रहा, जिनका इस्तेमाल करके आतंकवादी और ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते थे। किसी टीवी चैनल पर आतंकी हमले के कवरेज को लेकर पहली बार इस तरह की कार्रवाई करने का फैसला किया गया।
 
पैनल के अनुसार एनडीटीवी ने जो भी कवरेज दिखाया, वह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा था। चैनल ने इसके लिए कारण बताओ नोटिस भी दिया गया है। इस पर एनडीटीवी ने कहा था कि इसने वहीं जानकारियां सामने रखी, जो पहले से ही प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर मौजूद थीं। एनडीटीवी ने मंत्रालय के आदेश को हैरान कर देने वाला बताया। चैनल का दावा है कि उसका कवरेज बेहद संतुलित था। अब एनडीटीवी मंत्रालय के इस फैसले के खिलाफ सभी उपलब्ध विकल्पों पर विचार कर रहा है। इन विकल्पों में संविधान में प्रदत्त अधिकारों को लेकर न्यायालय में जाना भी शामिल है। हो सकता है 9 नवंबर तक इस बारे में कोई और फैसला हो जाए, लेकिन यह तय है कि इस मामले में पूरे मीडिया को आंदोलित कर रखा है। 
 
एनडीटीवी के कवरेज को लेकर सत्ताधारी भाजपा और उसके सहयोगी संगठनों को अक्सर आपत्ति रहती है। आरोप है कि एनडीटीवी इंडिया देशविरोधी समाचार दिखाने में कतई कोताही नहीं बरतता, बल्कि उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता है। कई लोगों ने तो सोशल मीडिया पर यह भी लिखा है कि एनडीटीवी के साथ भले ही इंडिया जुड़ा हो, पर वह है पाकिस्तान के साथ। यहां तक कहा गया कि एनडीटीवी का प्रसारण एक दिन के लिए नहीं, हमेशा के लिए रोक दिया जाना चाहिए। कुछ लोगों ने मजाक में लिखा है कि एनडीटीवी भारत के निजी समाचार चैनलों के इतिहास में पहला चैनल होगा, जिसे सरकार की तरफ से एक दिन का अवकाश दिया जा रहा है। सबको छुट्टी मिलती है, इसलिए एनडीटीवी को भी छुट्टी मिलेगी। 
 
सूचना प्रसारण मंत्रालय के फैसले के खिलाफ बुद्धिजीवियों ने मोर्चा खोल लिया है। अधिकतर लोगों की राय है कि संविधान की अवमानना करते हुए इस तरह का फैसला दिया गया है। राहुल गांधी के कार्यालय की ओर से जारी ट्वीट में कहा गया है कि यही मोदी जी का भारत है, जहां नेताओं को जेल में डाला जाता है और सच बोलने वाले चैनलों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। एनडीटीवी को उसकी खबरों के लिए न केवल 24 घंटे के लिए प्रतिबंधित किया जा रहा है, बल्कि उसे मिलने वाले विदेशी फंड की भी जांच की जा रही है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इसे मीडिया की आजादी का सीधा-सीधा उल्लंघन करार दिया है। 
 
इस तरह के विचार भी सोशल मीडिया पर आ रहे हैं कि पूरे चैनल पर प्रतिबंध लगाने की बजाय उस व्यक्ति पर कार्रवाई होनी चाहिए, जिसने इस तरह की संवेदनशील जानकारी उजागर की है। एनडीटीवी केवल न्यूज चैनल नहीं है, बल्कि यह अभिव्यक्ति की आजादी का प्रशिक्षण देने वाली नर्सरी है। जहां पत्रकार खुलकर अपनी बात सामने रखते हैं। उन पर कोई दबाव नहीं होता और यह चैनल भी सनसनी फैलाने की कोई कोशिश नहीं करता। मोदी सरकार चाहती है कि इस तरह की पत्रकारिता अब जीवित ही न बचे। यह विचार भी सामने आया कि इस तरह के फैसलों से आपातकाल जैसी हालत पैदा हो जाएगी। इसे मीडिया के खिलाफ मोदी सरकार की सर्जिकल स्ट्राइक भी कहा गया है। 
 
एनडीटीवी के खिलाफ कुछ लोगों के समूह ने सोशल मीडिया पर मानो मोर्चा खोल लिया हो, ये लोग एनडीटीवी के बारे में लिख रहे है कि यह चैनल भारत के हितों की लगातार अनदेखी करके पाकिस्तान के हितों का ख्याल रखता है। इसका नाम एनडीटीवी इंडिया नहीं एनडीटीवी पाकिस्तान होना चाहिए। किसी ने मजाक में लिखा- पाकिस्तान में हाफिज सईद एंड कंपनी भारत सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध करने जा रही है। सरकार के फैसले के बारे में कुछ लोगों ने लिखा कि यह फैसला बहुत देरी से लिया गया, इस तरह के काम पहले होने चाहिए थे। एनडीटीवी ने अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग करते हुए दुश्मनों की मदद की है। देश विरोधी लोगों के लिए यह एक अच्छा सबक साबित हो सकेगा। अनेक लोगों ने एनडीटीवी के कुछ नामचीन पत्रकारों के खिलाफ अपनी भड़ास जमकर निकाली है। यहां तक लिखा है कि अगर ऐसी हरकत वे किसी और देश में रहकर करते, तो उन्हें एक दिन के लिए बैन का सामना नहीं करना पड़ता, बल्कि पूरी जिंदगी जेल में ही बितानी पड़ती। पाकिस्तान में भारतीय चैनलों पर बैन है। अब भारत में पाकिस्तान के एक चैनल को केवल एक दिन के लिए बैन किया है ।