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Written By Author विभूति शर्मा
Last Modified: सोमवार, 19 अक्टूबर 2020 (19:10 IST)

मध्यप्रदेश उपचुनाव : भद्दे बोल, मुद्दे गोल

मध्यप्रदेश उपचुनाव : भद्दे बोल, मुद्दे गोल - Madhya Pradesh by election Kamal nath
हम पिछले अनेक चुनावों में देखते आ रहे हैं कि चुनावों की घोषणा के पहले तक तो सभी दल विकास और जनता की आवाज़ बनने का दावा करते हैं। लेकिन घोषणा होने के बाद ज्यों-ज्यों प्रचार रफ़्तार पकड़ता है त्यों-त्यों असली मुद्दे ग़ायब होते जाते हैं। व्यक्तिगत छीछालेदर इनकी जगह लेने लगती है। मतदान की तिथि आने तक तो यह छीछालेदर इतने निचले स्तर पर आ जाती है कि हमें शर्म आती है कि देश में राजनीति का स्तर कितना गिर गया है।

स मामले में कांग्रेस पार्टी को हमेशा ज़्यादा नुक़सान उठाना पड़ा है, क्योंकि उसके बड़बोले नेता प्राय: ऊटपटांग बयान देकर पार्टी का पूरा गेमप्लान पलट देते हैं। माना जा सकता है कि नरेन्द्र मोदी का उद्भव ही कांग्रेस नेताओं की बदज़ुबानी के कारण हुआ है। कभी मणिशंकर अय्यर, कभी कपिल सिब्बल, दिग्विजय सिंह तो कभी शशि थरूर!

मध्यप्रदेश में 28 सीटों के लिए होने जा रहे उपचुनावों की कहानी भी कुछ अलग नहीं है। जब से कमलनाथ की सवा साल वाली कांग्रेस सरकार गिरी है तभी से किसानों की क़र्ज़माफ़ी, बिजली और भ्रष्टाचार पर भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां उलझ रही थीं। लेकिन चुनावों की तिथि की घोषणा के बाद इन मुद्दों के साथ-साथ जनहित की तमाम बातें पृष्ठभूमि में लुप्त होती गईं और एक-दूसरे के नेताओं पर कीचड़ उछालू बातें लाइम लाइट में आने लगीं। भाजपा के कैलाश विजयवर्गीय ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं दिग्विजय सिंह व कमलनाथ को चुन्नू-मुन्नू की जोड़ी कहा तो जवाब में कमलनाथ समर्थक सज्जन वर्मा ने कैलाश विजयवर्गीय को दुष्ट कह दिया। यह सिलसिला अब थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।

अब जब मतदान की तारीख़ नज़दीक आ पहुंची है तब एक बार फिर कांग्रेस की ओर से अपने ही ताबूत में कील ठोकने वाला बयान आ पहुंचा। यह बयान किसी और ने नहीं बल्कि मुख्यमंत्री की कुर्सी वापस पाने की आस पाले बैठे कमलनाथ ने स्वयं दिया है। कमलनाथ ने अपने ही मंत्रिमंडल की सदस्य रहीं इमरती देवी को इशारों में 'आइटम' कह दिया। इमरती देवी कांग्रेस से भाजपा में पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया की समर्थक हैं और उन्हीं के साथ भाजपा में जाकर पुन: मंत्री बन गईं और अब उपचुनाव में डबरा (ग्वालियर) से भाजपा प्रत्याशी हैं।

कमलनाथ के बयान ने जैसे भाजपा के हाथ में जीत का चाबी सौंप दी है। भाजपा ने बयान के विरोध में पूरे प्रदेश में दो घंटे का मौन उपवास कर इरादे साफ़ कर दिए कि वह इस मुद्दे को मतदान तक पकड़ कर रखेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बयान को बहू-बेटी का अपमान बताते हुए कहा कि कमलनाथ जी, इमरती देवी मेरी मंत्री हैं, उनको तुम कहते हो कि ये आइटम हैं। शर्म आनी चाहिए आपको। स्वयं इमरती देवी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मांग की है कि वे कमलनाथ को पार्टी से निकालें। उल्लेखनीय है कि इमरती देवी जब कांग्रेस में थी तब भी अपनी पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी करती रही हैं। ठेठ बुंदेलखंडी इमरती देवी की शिक्षा और अक्खड़पन को लेकर सवाल उठते रहे हैं।

अब कमलनाथ ट्वीट कर सफ़ाई दे रहे हैं कि आइटम शब्द असम्मानजनक नहीं है। मैं भी आइटम हूं, आप भी (शिवराज) आइटम हैं। संसद की कार्रवाई में भी लिखा जाता है आइटम नंबर। लेकिन इस तरह की सफ़ाई कभी किसी के गले नहीं उतरी। इसका उदाहरण पिछले दिनों हमने कंगना रनौत और शिवसेना नेता संजय राउत के विवाद में देखा था, जब राउत ने कंगना को हरामखोर कहा और फिर सफ़ाई दी कि हरामखोर का मतलब तो नॉटी होता है! यह तो हम सभी ने देखा है कि कमलनाथ किस तरह हंसते हुए व्यंग्यात्मक लहजे में इमरती देवी को आइटम बोल रहे थे और सामने बैठी जनता को बता रहे थे कि आप तो जानते ही हैं। पता नहीं ये नेता जनता को कब तक मूर्ख समझते रहेंगे। 

सीटों का गणित भाजपा के पक्ष में : जहां तक चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में सीटों के गणित का सवाल है तो वह अब लगभग पूरी तरह भाजपा के पक्ष में जाता नज़र आने लगा है। भाजपा को वैसे भी मात्र नौ सीटों की ज़रूरत है, जिन्हें वह आसानी से जीत लेगी। ग्वालियर चंबल की सोलह सीटों पर कांटे की टक्कर इसलिए नज़र आ रही है, क्योंकि वहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के पूर्व और वर्तमान समर्थक ही आमने सामने आ गए हैं। बसपा के उम्मीदवार इलाक़े में संघर्ष को त्रिकोणीय बना रहे है, जो रोचक परिणाम दे सकते हैं।

मालवा का सांवेर और बुंदेलखंड का बड़ामलहरा अन्य क्षेत्र हैं जहां रोचक संघर्ष दिखाई दे रहा है। सांवेर में सिंधिया से जुड़े रहे तुलसी सिलावट के सामने भाजपा में जाकर लौटे कांग्रेसी प्रेमचंद गुड्डू खड़े हैं। यानी देखा जाए तो यहां दो कांग्रेसियों का ही मुक़ाबला है। बड़ामलहरा का मुक़ाबला इसलिए रोचक हो गया है, कांग्रेस ने यहां से एक प्रवचनकर्ता रामसिया को प्रत्याशी बनाया है। यह क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का है, जो बचपन से प्रवचन देती आ रही हैं। यहां से उमा समर्थक प्रद्युम्न सिंह भाजपा उम्मीदवार हैं। एक और बात जो बड़ामलहरा के चुनाव को रोचक बनाती है वह है जातिगत समीकरण। यहां लोधियों की बहुतायत है। उमा भारती स्वयं लोधी हैं, इसलिए भी कांग्रेस ने लोधी रामसिया को उतारा है।

कुल मिलाकर देखा जाए तो मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में भाजपा का पलड़ा भारी है। वह अट्ठाइस में से पंद्रह सीटें तो आसानी से जीत जाएगी। इससे ज़्यादा भी जीते तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए, क्योंकि रही सही कसर कमलनाथ के बयान ने पूरी कर दी है। (इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। 'वेबदुनिया' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।)
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