नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैयालाल की...
-पुष्पा परजिया
कृष्ण का नाम आते ही मन में एक छवि बन जाती है एक महान योद्धा की, प्यारे से यशोदा के लाल की, एक सच्चे मित्र की और एक सच्चे प्रेमी की, राधा प्रिय श्यामसुंदर की और भक्त-वत्सल भगवान की। कौन सा गुण है, जो हमारे कान्हा में नहीं है इसलिए तो उन्हें पूर्ण पुरुषोत्तम कहा गया है न?
ऐसे कान्हा के जन्मदिवस पर मन करता है कि लिखते ही जाएं, लिखते ही जाएं। जितना लिखें उतना कम है, क्योंकि कान्हा हैं ही इतने प्यारे नंद के दुलारे। 'नंद के दुलारे' शब्द से एक कान्हा के जन्मोत्सव के समय का आनंद याद आता है, जब हम नंदोत्सव मनाते हैं तब और जब कान्हा का जन्म होता है मंदिरों में तब सब बोलते हैं- 'नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैयालाल की...', 'हाथी दीन्हो, घोड़ा दीन्हो और दीन्हो पालकी...'। और इन शब्दों को सुनते ही संसार के सारे बंधन छोड़कर भक्तजन नाचने लगते हैं और एक अनंत अनुभूति के आनंद में डूब जाते हैं। ऐसा है हमारे कान्हा का प्रभाव। इतना प्यारा, इतना बेमिसाल कि कुछ कहना ही मुश्किल है।
ऐसे में इतने महान कान्हा के जन्म के समय यदि मुझे कुछ न लिखने का मन हो तो वह ताज्जुब की बात होगी। मैं क्या आप भी जन्माष्टमी की संध्या पर जन्माष्टमी की तैयारियों में मशगूल होंगे, क्योंकि हजारों साल पुराना कान्हा आज भी बालकृष्ण है, आज भी द्वारकाधीश है, आज भी बांकेबिहारी है। इंसान तो क्या गौओं को, गौ को माता बनाकर उसने ही इंसान को बताया कि गौ हमारे लिए कितनी पवित्र और महान है...।
कल हमने कृष्ण का जन्मदिवस मनाया और शिक्षक दिवस भी है। हमें कृष्ण के गुरुकुल के दिनों को याद करना ही होगा। गुरुभक्ति में भी कृष्ण किसी से कम न थे। आपने गुरु के पुत्र को पुनः जीवित करके विश्व को यह संदेश दिया की जीवन-मरण, रिश्ते-नाते सब कुदरत के नियम हैं।
कृष्ण के बचपन से नहीं, जन्म से ही उनकी लीला का वर्णन करने जाएं तो तो भागवत जितनी रचना हो जाएगी। यह किंतु संक्षेप में जरूर लिखना चाहूंगी कि यमलार्जुन को पेड़ के अवतार से मुक्ति देना, मौसी पूतना की मुक्ति, उसके बाद कालिया मर्दन, गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र के घमंड का नाश करना, कंस को मारना और महाभारत के युद्ध में पांडवों का साथ और गीता का ज्ञान देकर सारी दुनिया को सच्ची राह बताना और रुक्मिणी संग ब्याह के बाद राक्षस द्वारा गोपियों के हरण के बाद जब घर के लोगों ने उनका त्याग किया, तब उनसे ब्याह रचाकर उन्हें समाज में स्थान देना...। यह सब महान कार्य किसी के बस की बात नहीं थे। कृष्ण के इतने गुण हैं कि हम साधारण इंसान उनके गुणों का जितना बखान करें, वह कम ही है।