शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2025
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गुस्से केे गुब्बारे...

गुस्से केे गुब्बारे... - Gussa
आज के समय में अगर किसी से पूछा जाए कि भाई साहब क्या आपको भी गुस्सा आता है...तो शायद ही कोई शख्स मिलेगा जो कहेगा कि मुझे गुस्सा नहीं आता। दरअसल गुस्सा है कि शांत समंदर से अचानक उठती लहर की तरह, ज्यादातर लोग समझ ही नहीं पाते गुस्सा कब आ के चला गया।



लेकिन गुस्सा करने वालों से जरा सावधान भी रहना जरूरी है, क्योंकि अगर सामने वाले को हल्का फुल्का गुस्सा आता हो, तब तो ठीक है..लेकिन अगर जनाब या मोहतरमा तेज-धारदार गुस्से वाले निकले, तो आपकी उसी तरह खैर नहीं, जैसे सांड को लाल कपड़ा दिखाने के बाद किसी की भी खैर नहीं रहती। गुस्से के ये गुब्बारे सिर्फ उड़ते हुए ही अच्छे लगती हैं, गलती से भी इनका फूटना हवारी हवा निकाल सकता है
 
लोग कहते हैं गुस्से को डालो कचरे के डिब्बे में...बताओ, गुस्सा भी कोई कचरे में डालने की चीज है । आंख के अंगारों, मन की जलन और ईगो की आग से धधकते गुस्से को वहां डालोगे, तो कचरा जल नहीं जाएगा। इसलिए ही तो कहते हैं गुस्से पर काबू करना आना चाहिए, जैसे कहीं आग लग जाने पर उसपर काबू पाया जाता है, वैसे ही। गुस्से और आग में फर्क ही क्या है, दोनों को बस ठंडे पानी की जरूरत है, शांत होने के लिए।
 
हालांकि गुस्से के मामले में इसमें बेचारे गुस्सा करने वालों का कोई दोष नहीं होता। अब आप काम ही ऐसा करो कि सामने वाले को गुस्सा आ जाए, तो गलती तो आपकी ही हुई ना...कि हमारी होगी? अच्छा एक बात और...इस गुस्से के भी कई प्रकार होते हैं। कोबरा से लेकर एनाकोंडा और केंचुए से लेकर सेंटबोआ तक सब कुछ समाया है इस गुस्से में। ऐसा जरूरी नहीं कि गुस्से के ये सारे प्रकार अलग-अलग टाइप के लोग फॉलो करते हों। एक ही इंसान में भी गुस्से के ये सभी अवतार भी देखे जा सकते हैं। 
 
अब देखिए, गुस्सा अगर घर में बीवी-बच्चों के सामने आ जाए, तो वह कोबरा या एनाकोंडा अवतार में होगा। लेकिन अगर यही गुस्सा सास-ससुर या फिर बॉस की किसी हरकत पर आ जाए, तो यह तुरंत अपना अवतार बदलकर केंचुए के रूप में आ जाता है। क्योंकि वहां गलती से भी आपने कोबरा बन के फुफ्कारा, कि समझो सामने वाले के लिए डसने का नया रास्ता खोल दिया।
 
 
लोगों का गुस्सा जाहिर करने का तरीका भी अलग-अलग और बड़ा दिलचस्प होता है। कोई रास्ते चलते गलतफमी के चलते ही गुस्से में आ जाता है और सामने वाले को रोककर डराने-चमकाने और चिल्लाने का भरसर प्रयास करता है। इस समय सामने वाला बिना अपर्चर घुमाए अपनी आंखों से या तो बड़े फोकस के साथ घूरता है, या फिर अपनी आंखों को यथासंभव बाहर निकालकर डराने का प्रयास करता है, कि बस अब आंखें निकलकर बाहर ही आने वाली हैं। ठंडे दिमाग से कल्पना करने पर तो गुस्सैल व्यक्ति का यह रूप और व्यवहार कभी-कभी गुदगुदाते हुए ठहाके लगाने पर मजबूर भी कर देता है।
 
गुस्से के इन गुब्बारों का एक प्रकार ये भी है, कि कुछ लोग अपने गुस्से को जाहिर न करते हुए सिर्फ आंख दिखाकर आगे बढ़ जाते हैं, जैसे आपके निकलने के बाद सामने वाला डर के मारे वहीं खड़ा रहने वाला है। भई वो क्यूं पीछे रहे, गुस्सा दिखाने का यह अवसर वो भी क्यों चूके अपने हाथ से...सो वो भी आपके पीछे आकर आंखें दिखा सकता है, साथ में कॉम्‍प्लीमेंट्री कमेंट भी कर सकता है।
 
कुछ लोग गुस्सा आने पर जताते नहीं और चुप रह जाते हैं और सामने वाले को पता भी नहीं चता कि उनकी किसी बात पर गुस्से का गुब्बारा भी फूल चुका है। ऐसे लोगों के साथ अक्सर अन्याय हो जाता है। अरे भई, जब सामने वाले को आपके गुस्से का पता ही नहीं चलेगा, तो उसका तथाकथि‍त गुस्सा दिलाने वाली हरकत का लाइसेंस नि‍रस्त होने से तो रहा... अब आप ही भुगतिये...संबंधित हरकत को भी और अपने गुस्से को भी। 
 
कुछ लोगों में गुस्सा दिलाने की बड़ी भयंकर बीमारी होती है। ये उनके साथ हुई मैन्युफक्चरिंग मिस्टेक है, जिसमें भले ही उनका कोई दोष न हो लेकिन दोष सामने वाले का भी तो नहीं होता ना। वे अपनी नजर में इस एक्सक्लूसिव इटेलीजेंट, एक्साइटिंग, ऑसम, आउटस्टैंडिंग, रॉयल एंड सुपीरियर परफार्मेंस...लेकिन सामने वाले की नजरों में बिल्कुल बेवकूफाना और चिढ़ा देने वाली हरकत से बाज नहीं आते, और मन ही मन या फिर प्रतिक्रियास्वरूप गुस्सैल व्यक्ति कह गालियां खाएं बगैर नहीं रह पाते।
 
कभी-कभी चिढ़ने वाले लोगों को जानबूझकर, षड्यंत्रपूर्वक गुस्सा दिलाया जाता है, ताकि उसपर हास्य रस की बौछार कर आनंद लिया जा सके। और कभी-कभी तो भयंकर गुस्से में तमतमाए हुए व्यक्ति का गुस्सा और गुस्साजनित हरकतें भी हंसी दिला देती है...हुआ ना अन्याय। अब गुस्सा है तो जरूरी तो नहीं कि रिप्लाई भी गुस्से में ही किया जाए, लेकिन सवाल ये उठता है कि इस गुस्से का आखिर किया क्या जाए।