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Air Pollution: बाल शांति पुरस्कार विजेता भाइयों ने दिखाई दिल्ली को राह

Air Pollution: बाल शांति पुरस्कार विजेता भाइयों ने दिखाई दिल्ली को राह - air pollution Climate change, glacier, award for peace
दुनियाभर में बच्चों के अभिनव और सहयोगपूर्ण प्रयासों से अगर ऐसे वैश्विक मुद्दों, जिससे दुनिया जूझ रही है, से निपटने पर अगर प्रभाव देखने को मिलने लगे तो यह बात प्रमाणित हो जाती है कि 21वीं सदी में बच्चे दुनिया को राह दिखा रहे हैं।

मसलन सच तो यह है कि ऐसे होनहार बच्चे एक ऐसी दुनिया का नवनिर्माण कर रहे हैं, जहां सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति यथार्थ के बेहद करीब है।

एक ऐसी ही मिसाल स्थापित की है दिल्ली के दो किशोर भाइयों ने जिन्होंने न सिर्फ प्रतिष्ठित 17वें वार्षिक अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार को जीतकर इतिहास रचा है बल्कि देश की राजधानी दिल्ली के प्रशासकों को वायु प्रदूषण की लड़ाई में कड़े कदमों को उठाने के लिए बाध्य भी किया है।

गौरतलब है कि दिल्ली के किशोर भाइयों की जोड़ी विहान (17) और नव अग्रवाल (14) को दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण युवा पुरस्कार से उनके गृह शहर में प्रदूषण से लड़ने की प्रतिबद्धता के लिए सम्मानित किए जाने के तुरंत बाद दिल्ली प्रशासन हरकत में आया है। नगर निगम ने भी महानगर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए जरूरी कदमों की घोषणा की है।

विहान और नव को अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार मिलने के महज तीन दिन बाद ही दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण उपायों की घोषणा की थी।

इन कदमों में दिल्ली सरकार के कर्मचारियों को 21 नवंबर तक घर से काम करने के आदेश, परिवहन विभाग को आवश्यक सेवाओं को छोड़कर बाहर से आने वाली ट्रकों को दिल्ली में प्रवेश करने पर रोक लगाने के निर्देश, 10 साल पुरानी डीज़ल और 15 साल पुरानी पेट्रोल की गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने की बात शामिल है।

हाल में ही नीदरलैंड के हेग में नव और विहान को बाल शांति पुरस्कार प्रदान करने वाले नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्‍यार्थी ने भी दोनों भाइयों के वायु प्रदूषण को दूर करने के प्रयासों की सराहना की है।

उनका मानना है कि दुनियाभर में बच्चों के प्रयासों से बदलाव आ रहा है। सत्यार्थी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं, “बच्चों ने हमेशा दुनिया को रास्ता दिखाया है। वास्तव में दुनियाभर में बच्चों के साहस और बहादुरी का सबसे जरूरी वैश्विक मुद्दों से निपटने पर बहुत प्रभाव पड़ता है। मुझे खुशी है कि विहान और नव जैसे किशोरों ने प्रदूषण का मुद्दा उठाया है, जिसे सरकार और एंजेंसिया संज्ञान में ले रही हैं।

कैलाश सत्यार्थी उन चुनिन्दा लोगो में हैं जो पहले भी वायु प्रदूषण के मसले पर मुखर रहे हैं। सत्यार्थी ने 2019 में दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण की विकट स्थिति और उसके बच्चों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को देखते हुए बाल दिवस के मौके पर बच्चों के नाम लिखे गए अपने खुले पत्र में प्रधानमंत्री मोदी से वायु अधिनियम 1981 में संशोधन और राष्ट्रीय पंचवर्षीय कार्य योजना तैयार करने की अपील की थी।

एक तरफ दिल्ली ने कोरोना की दूसरी लहर में एक भयानक मंजर देखा है। इस विध्वंसकारी लहर में लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। ऐसे में अब वायु प्रदूषण देश की राजधानी के लिए गले की हड्डी बन गया है। दिल्ली की जहरीली दमघोंटू हो चुकी आबोहवा कई गंभीर बीमारियों को न्यौता दे रही है।

लोगों को डर सता रहा है कि कहीं वे किसी गंभीर बीमारी की जकड़ में न आ जाएं। ऐसा नहीं है कि दिल्ली के लिए यह संकट नया है, यह महानगर वर्षों से प्रदूषण के दंश को झेल रहा है। इसकी तस्दीक इस बात से भी होती है कि साल 2020 में दिल्ली लगातार तीसरे वर्ष दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी थी। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि क्या इस संबंध में दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए कदम नाकाफी हैं? यह सवाल उठना इसलिए भी लाज़मी हो जाता है जब देश का सर्वोच्च न्यायालय सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं है। क्योंकि इन कदमों के बावजूद मौजूदा परिस्थितियों में संतोषजनक परिवर्तन नहीं आया है।

गौर करने वाली बात यह है कि अस्थमा के साथ बड़े हुए विहान दिल्ली शहर की खराब वायु गुणवत्ता के कारण अक्सर बीमार पड़ जाते थे जिस वजह से दोनों भाई बाहर खेलने जाने से भी घबराते थे। इस बाधा से वे निराश नहीं हुए बल्कि इसने उन्हें कुछ नया करने के लिए मार्ग प्रशस्त किया।

दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल ढहने, कचरे और वायु प्रदूषण के बीच की कड़ी को समझते-समझते भाइयों की इस जोड़ी ने एक ऐसी पहल की शुरुआत कर दी जिसमें वे कचरे को अलग करना और कचरा पिकअप ड्राइव आयोजित करने लगे। उन्होंने इस अभिनव पहल को ‘वन स्टेप ग्रीनर’ नाम दिया। सिर्फ 15 घरों से, वन स्टेप ग्रीनर 1,000 से अधिक घरों, स्कूलों और कार्यालयों से कचरा इकट्ठा करने वाला एक शहरव्यापी अभियान बन चुका है।

इस अभियान के तहत अब तक 173,630 किलोग्राम कचरे का पुनर्नवीनीकरण किया गया है। उनके द्वारा बनाई गई शिक्षण सामग्री का उपयोग दिल्ली के 100 से अधिक स्कूलों में किया जाता है और उन्होंने 45,000 से अधिक लोगों को कचरे के विषय पर प्रस्तुतियां और जानकारियां दी हैं। वन स्टेप ग्रीनर में अब पांच सहयोगी और 11 समर्पित युवा वालंटियर हैं जो 'शून्य अपशिष्ट भारत' के लक्ष्य की दिशा में काम कर रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार संगठन किड्स राइट्स बाल शांति पुरस्‍कार का संस्थापक है। यह संगठन एक ऐसी दुनिया के निर्माण के लिए प्रयत्‍नशील है जहां सभी बच्चों की उनके अधिकारों तक पहुंच हो। किड्सराइटस बच्चों को दुनिया को बदलने की शक्ति के साथ उन्‍हें बदलाव के वाहकों (चेंजमेकरस) के रूप में भी देखता है।

किड्स राइट्स फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष मार्क डुलार्ट अपने अनुभव को साझा करते हुए कहते हैं “हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार का प्रभाव बढ़ा है। हमने यह पुरस्कार इस विश्वास के साथ देना शुरू किया था कि बच्चे दुनिया को बदल सकते हैं।

विजेताओं के साथ अन्य नामांकित बच्चे भी हर साल दिखाते हैं कि उनका प्रभाव कितना बड़ा है। यह आशा है कि अधिक से अधिक नीति निर्माता इन परिवर्तन निर्माताओं को सुनने के लिए तैयार हैं। लेकिन यह काफी नहीं है। दुनिया भर में बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, जलवायु परिवर्तन एक आसन्न आपदा है और लगभग एक अरब बच्चों को प्रभावित करती है”।

अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार किड्स राइट्स की एक प्रशंसनीय पहल है। यह संस्था पहले भी ऐसे बच्चों को सम्मानित कर चुकी है जो वाकई समूचे विश्व के लिए प्रेरणा साबित हुए हैं। बात चाहे पिछले साल के अंतरराष्‍ट्रीय बाल शांति पुरस्कार विजेता सआदत रहमान को साइबरबुलिंग को रोकने के लिए अपना मोबाइल ऐप ‘साइबर टीन्स’ स्थापित करने के लिए या फिर ग्रेटा थनबर्ग, नकोसी जॉनसन और ओम प्रकाश का क्रमशः जलवायु परिवर्तन, एचआईवी/एड्स से पीड़ित बच्चों और बाल दासता के मुद्दों पर काम करने के लिए सम्मानित करने की, किड्स राइट्स ने ऐसे बच्चों की प्रतिभाओं को पंख लगाएँ जो पूरी दुनिया की उड़ान उड़ना चाहते हैं।

नव और विहान जैसे ऐसे दुनियाभर में हजारों बच्चे हैं जो अपने-अपने स्तर पर अपने प्रयासों से दुनिया में बदलाव ला रहे हैं। ऐसी उम्मीद की जाती है कि यह बच्चे भविष्य के जिम्मेदार नागरिक बनेंगे और एक बेहतर विश्व के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
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