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Amul Girl in trends : पैगाम, अमूल गर्ल की दिलेरी, अंदाज, बेबाकी और बहादुरी के नाम

Amul Girl in trends : पैगाम, अमूल गर्ल की दिलेरी, अंदाज, बेबाकी और बहादुरी के नाम - A letter to Amul Girl
करोड़ों की ‘बडबोली’ आबादी वाले देश में हमसे अच्छी तो तुम निकलीं ऐ! नीले बालों वाली, बालों को ‘शंकर चोटी’ में संवारे, गोल-गोल बड़ी आंखों वाली, लाल गाल, पोल्का डॉट वाली फ्रॉक पहने, उसी का चोटी में मैचिंग हेयर बो सजाए, बिना नाक वाली प्यारी, सुंदर लड़की। तुम्हें पता है वो कमाल कर दिखाया है तुमने जो कोई न कर पा रहा। तुम्हारी बहादुरी को सलाम है। 
 
ऐ चुलबुली लड़की, तुम जो हर बात में मजाक करती हो, चुटकुले सुनाती हो और जम कर हर विषय पर बेबाक, निडरता से कटाक्ष करती हो न, सीधे दिल में उतरती हो...तुम्हारी लताड़ भी बड़ी मक्खनी और डिलीशियस होती है। पर बेगैरत ही होंगे वो लोग जिन्हें तुम्हारी कही बातें खुश न करें, मजा न दे, खुशी न दे और शर्मिंदा न करें। तुम देश की, भारत माता की, हमारी-तुम्हारी सबकी प्रिय नटखट गुड़िया हो। हमारे समाज की गतिविधियों को दर्शाती घड़ी की टिक-टिक हो तुम।
 
बेटी बचाओ, अमूल गर्ल सी बनाओ  नया नारा होना चाहिए। जब ‘मिल्क-मेन ऑफ इण्डिया डॉक्टर वर्गिस कुरियन’ ने तुम्हें रचने का सोचा, तो शायद उन्हें मालूम होगा कि बेटियां भी कमाल होतीं हैं और इसे सिद्ध कर दिखाया डाकुन्हा ने अपने आर्ट डाइरेक्टर युस्तेस पॉल फर्नांडिस के साथ बैठ कर इस मनमोहक गर्ल को जन्म दे कर। तुम इन तीन मुख्य लोगों की कृति हो डाकुन्हा, युस्टस फर्नांडिस, उषा कतरक। एक मेहनती टीम की मदद से तुम्हारा जन्म अमूल गर्ल के रूप में हुआ।
 
एक नजर में ही तुम्हारी शैतानी आंखे, शरारती बातें, बलखाता अंदाज बच्चों, युवाओं, बूढों सभी का दिल मोह लेता है। तुम जितनी नाजुक और प्यारी हो उतनी ही बहादुर और मजेदार भी। किसी से नहीं डरतीं। ऐसी ही होनी चाहिए बेटियां। देश की बातें तो ठीक हैं अंदरूनी बातें हैं अपन आपस में निपट लेंगे पर जो ड्रेगन को ‘झाड़ा’डाला है न ...सच्ची तिरंगा तुम्हारे नाम से लहराने को दिल मचल गया।
 
देश के हालात हों या विदेशी, ख़ुशी-गम, सुख-दुःख सभी की साथी हो तुम। सच्ची भारतीय बिटिया। तुम्हारी पहली टेग लाइन ‘प्योरली द बेस्ट’ थी। सिल्वेस्टर की पत्नी निशा की सलाह पर इसे ‘अटर्ली-बटर्ली डिलीशियस’ किया। सबसे पहले मुंबई की बसों पर तुम पेंट की गई। पहला विज्ञापन 1966 में  आया। जिसका नाम था ‘थ्रू ब्रेड’।
 
इतनी खूबसूरत बिटिया हो कि इसे सजा कर घरों में रखा जाता है। विज्ञापन देखते ही उन चोजों को खाने का मन हो आता है जिन्हें ले कर तुम ‘मटक’ रही हो। गोल-गोल आंखे घुमाते हुए जब तुम जम्प मरती हो न, मन भी वैसे ही कूदी मारने लगता है तुम्हारे साथ। हलके फुल्के अंदाज में बातों के माध्यम से वर्तमान घटनाओं पर टिप्पणी करना कोई तुमसे सीखे। खरी-खरी हो तुम। कितना भी तुम्हें सब मिल कर डराएं, तुम कभी नहीं डरीं। काश हमारे देश की सभी सजीव बिटियाओं में भी ये गुण आ जाएं तो देश धन्य हो जाए। कसम से, भारत माता प्रसन्न हो जाये।
 
तुम्हारे सारे संदेश असाधारण और लाखों भारतीयों के मन में गहरी छाप छोड़ने वाले हैं। वर्षों से तुम यही काम बिना रुके पिछले चौपन सालों से कर रही हो। शायद इसीलिए भी तुमसे बेहद लगाव है जन्म साल जो एक ही है 1966, पर तुम चिर बालिका हो और हम जैसी बेटियां अपने उम्र, समय, परिस्थिति, मजबूरियों, दुनियादारी समाज का बोझ उठाते उठाते जीवन के उतार पर आ जातीं हैं। बस यही एक दर्दनाक फर्क होता है सजीव व निर्जीव में। 
 
निर्जीव अपनी कला से सजीवता का भ्रम पैदा कर सकता है पर सजीव कभी भी निर्जीव भाव नहीं ला सकते, यदि ऐसा किया तो उसका अर्थ है जीवन का अंत। पर तुम अमर हो। अमूल के संस्थापक,  तुम्हारे ‘ब्रह्मा’ डॉ.  वर्गीस कुरियन ने डाकुन्हा को विज्ञापन चलाने की अनुमति दी। उनका इस तरह का विश्वास सिल्वेस्टर ने अपने विचारों,  जुनून और प्रतिबद्धता के साथ अर्जित किया था। आज तुम 54 साल की हो चली हो। इन चौपन सालों में देश ने जो भी देखा, भोगा, सहा, अर्जित किया, खोया सभी की तुम साक्षी रहीं और अपने अनूठे तरीके, नाजो अंदाज से तुमने बयां किया। उसके साथ ही डॉक्टर वर्गिस कुरियन को भी तुमने अमर कर दिया।  
 
और अब, जब सिल्वेस्टर के बेटे राहुल ने डाकुन्हा कम्युनिकेशंस का कार्यभार संभाला तो उन्हें अमूल ट्रस्ट भी विरासत में मिला। अब तुम्हारी जिम्मेदारी ने पीढ़ी ने उठा ली है। क्रिएटिव हेड राहुल डाकुन्हा, कॉपी रायटर-मनीष झवेरी, ढाई दशकों से कार्टूनिस्ट जयंत राणे तुम्हें सम्हाल रहे हैं।
 
राहुल की निगरानी और तुम्हारी अद्भुत अदाओं से अमूल और भी लोकप्रिय हो गया है। कई बार वे अपने विज्ञापनों के लिए परेशानी में पड़ गए। लोग उन्हें अदालत भी ले गए। लेकिन वे कभी नहीं डगमगाए और कभी नहीं हारे। पर जिनकी बेटी तुम जैसी हों वो कभी झुक सकते हैं भला? क्योंकि ‘बेटे भाग्य से और बेटियां सौभाग्य  से मिलती हैं।’ 
 
पिता-पुत्र की जोड़ी ने मिलकर पूरी तरह से अटरली-बटरली लव वाला विज्ञापन बनाया। तुम तो जानती हो हमारे यहां प्यार तो छुप-छुप के करना पड़ता है और नफरत खुले आम। पर तुमने प्यार करने का पाठ पढाया। देश के प्रधान से ले कर आम जनता तक की गतिविधियों पर नजर रखने वाली तुम निष्पाप, कोमल, प्यारी सी हो। उस पर राष्ट्र प्रेम  का ये जज्बा दिल लूट लेता है।
 
काश...ये दिलेरी, ये अंदाज, ये बेबाकी, ये बहादुरी, ये जिन्दादिली, खुश मिजाजी और संवेदनशीलता के साथ ये कठोरता मेरे देश की हर बेटी में स्थापित हो जाए। तुम्हारी आत्मा इन सभी में समा जाए। उसे अपनी बात सबके सामने कहने की हिम्मत आ जाये और घुट-घुट कर जीने से आजादी पा जाये। और सबकी जिंदगी अटर्ली- बटरर्ली डिलीशियस हो जाए..पर ये सब तो तभी हो सकेगा न जब सब में ये भावना आ जाए बेटी बचाओ-अमूल गर्ल बनाओ।
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