क्रिकेट की तरह रोमांचक हुआ मध्यप्रदेश का चुनाव, अब आखिरी ओवर में होगा जीत-हार का फैसला
भोपाल। किसी क्रिकेट मैच की तरह रोमांचक मोड़ पर पहुंच चुके मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत किस पार्टी की होगी, इसका दावा अब तक कोई नहीं कर पा रहा है। बात चाहे सियासत की भविष्यवाणी करने वाले राजनीतिक पंडितों की हो या रोजाना मजदूरी कर दो जून की रोटी कमाने वाले एक आम मतदाता की, सभी ये मान रहे हैं कि इस बार कांटे का मुकाबला है। कोई भी दावे के साथ ये नहीं कह पा रहा है कि इस बार जीत इस पार्टी की होगी।
एक क्रिकेट मैच की तरह रोमांचक हो चुके इस चुनावी मुकाबले में जीत कौनसी टीम हासिल करेगी? इसका फैसला अब मैच के आखिरी ओवर की तरह चुनाव प्रचार के बाकी बचे छह दिनों में होगा। चुनावी क्रिकेट के इस आखिरी ओवर को लेकर दोनों ही पार्टी के कप्तानों और कोचों ने खासी रणनीति बनाई है।
बात करें इस वक्त सूबे में सियासी पिच पर बैटिंग कर रही सत्तारुढ़ दल भाजपा की तो उसके सामने इस बार सामने वाली टीम के खतरे से ज्यादा खुद के खिलाड़ियों (प्रत्याशियों) के हिट विकेट (एंटी इनकमबेंसी फैक्टर) होने का खतरा ज्यादा लग रहा है।
पिछले पंद्रह सालों से सत्तारुढ़ दल भाजपा को इस बार चुनाव में अब तक सबसे बड़ी एंटी इनकमबेंसी फैक्टर से जूझना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज के परिजनों से लेकर भाजपा के तमाम विधायकों को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। वोट मांगने पहुंच रहे नेताओं को वोटरों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में अब भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती चुनाव प्रचार के बचे छह दिनों में इस एंटी इनकमबेंसी फैक्टर को खत्म करना या कम करना है।
इसके लिए पार्टी अब पूरी तरह अपने बड़े नेताओं पर निर्भर हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां लगातार मध्यप्रदेश में चुनावी सभा कर आखिरी समय में चुनावी रुख को भाजपा की तरफ करने की कोशिश कर रहे हैं तो पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह संगठन स्तर पर रणनीति बनाने के साथ ही रोड शो और चुनावी सभा के जरिए पार्टी के चुनावी प्रचार को गति देने के साथ बागी उम्मीदवारों को साधने और नाराज कार्यकर्ताओं को चुनावी मैदान में सक्रिय करने में जुटे हैं।
इसके साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक दिन में करीब दस जनसभाओं के जरिए सूबे के हर हिस्से में पहुंचकर एंटी इनकमबेंसी फैक्टर को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं अगर बात करें बीजेपी की विरोधी टीम कांग्रेस की तो इस बार अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में उतरी कांग्रेस इस बार सियासी पिच पर मुख्यमंत्री शिवराज को बोल्ड करने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती।
अब कलेक्शन कैंपेन के आखिरी ओवर में सीएम शिवराज को टारगेट करने के लिए राहुल गांधी अब उनके गढ़ में चुनावी सभा करने जा रहे हैं। कांग्रेस की पूरी कोशिश शिवराज को आखिरी ओवर में धुआंधार बैटिंग करने से रोकना है। वहीं कांग्रेस के दूसरे अन्य बड़े नेता अपने-अपने इलाकों में बीजेपी को रोकने की पूरी कोशिश में लगे हैं।
पार्टी के स्टार प्रचारक ज्योतिरादित्य सिंधिया एक दिन में छह से आठ सभा कर चुनाव प्रचार के आखिरी ओवर में कांग्रेस को जीत दिलाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इसके साथ ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह चुनाव प्रचार करने के साथ चुनाव के आखिरी दौर में संगठन को पूरी तरह चुनावी मैदान में झोंकने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
पार्टी के स्टार प्रचारक नवजोत सिंह सिद्धू अब सूबे में चुनाव प्रचार करते हुए दिखाई देंगे। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि 2019 में होने वाले फाइनल से पहले हो रहे इस सेमीफाइनल मुकाबले में जीत किसको हासिल होगी।