गुरुवार, 28 नवंबर 2024
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Motivation Tips : क्या आप ज्ञानी या योग्य हैं, तो जानिए 5 टिप्स

Motivation Tips : क्या आप ज्ञानी या योग्य हैं, तो जानिए 5 टिप्स - Motivation Tips
कई लोग खुद को ज्ञानी समझते हैं लेकिन वे होते हैं जानकार। मतलब उनके भीतर जानकरी भरी पड़ी है ज्ञान नहीं। कई लोग ज्ञानी होते हैं परंतु वे होते हैं अयोग्य। अर्थात योग्यता तो कुछ काम करने से ही हासिल होती है। कई लोग बस खालिस ज्ञानी होते हैं जो सोचते ही रहते हैं कि अपने ज्ञान के बल पर ये करेंगे वो करेंगे और करते कुछ नहीं है। और हां, कुछ लोग सच में ही ही ज्ञानी और योग्य होते हैं परंतु उन्हें अपनी पहचान ही नहीं होती है। अब जब ऐसे लोग जीवन में असफल हो जाते हैं तो निराश और हताश होकर कहते हैं कि दुनिया बड़ी खराब है। यहां ज्ञान या ज्ञानी लोगों की कद्र ही नहीं है। अब आप ही सोचे कहीं आप भी तो इन लोगों की तरह ज्ञानी नहीं है। यदि है तो जानिए 5 टिप्स।
 
 
1. छिपे हुए ज्ञान और योग्यता को जानने का ज्ञान जरूरी : यह जगत या व्यक्ति जैसा है, वैसा कभी दिखाई नहीं देता अर्थात लोग जैसे दिखते हैं, वैसे होते नहीं होते हैं चाहे वह कोई भी हो। छिपे हुए को जानना ही व्यक्ति का लक्ष्य होना चाहिए, क्योंकि ज्ञान और योग्यता ही व्यक्ति को बचाता है। आपको खुद के साथ ही दूसरे को भी पहचानना सीखना चाहिए। श्रीकृष्ण ऐसा ज्ञान रखते थे।
 
 
2. अधूरा ज्ञान घातक : कहते हैं कि अधूरा ज्ञान सबसे खतरनाक होता है। इस बात का उदाहरण है अभिमन्यु। अभिमन्यु बहुत ही वीर और बहादुर योद्धा था लेकिन उसकी मृत्यु जिस परिस्थिति में हुई उसके बारे में सभी जानते हैं। मुसीबत के समय यह अधूरा ज्ञान किसी भी काम का नहीं रहता है। आप अपने ज्ञान में पारंगत बनें और जो भी कार्य करना जानते हैं उसमें योग्य बनें। किसी एक विषय में तो दक्षता हासिल होना ही चाहिए।

 
3. ज्ञान का सदुपयोग जरूरी : कई लोग अपने ज्ञान का उपयोग या तो सिर्फ अपने हित में करते हैं या किसी के भी हित में नहीं करते हैं। आपकी योग्यता और आपका ज्ञान स्वहित के साथ ही सर्वहित के लिए होना चाहिए तभी तो वह खुद को, समाज को और देश को बदलने की क्षमता रखेगा। ज्ञान का दुरुपयोग तो सभी करते हैं परंतु ज्ञान का सदुपयोग करना सीखें।
 
उदाहरण, समाज ने एक महान योद्धा कर्ण को तिरस्कृत किया था, जो समाज को बहुत कुछ दे सकता था लेकिन समाज ने उसकी कद्र नहीं की, क्योंकि उसमें समाज को मिटाने की भावना थी। कर्ण के लिए शिक्षा का उद्देश्य समाज की सेवा करना नहीं था अपितु वो अपने सामर्थ्य को आधार बनाकर समाज से अपने अपमान का बदला लेना चाहता था। समाज और कर्ण दोनों को ही अपने-अपने द्वारा किए गए अपराध के लिए दंड मिला है और आज भी मिल रहा है। कर्ण यदि यह समझता कि समाज व्यक्तियों का एक जोड़ मात्र है जिसे हम लोगों ने ही बनाया है, तो संभवत: वह समाज को बदलने का प्रयास करता न कि समाज के प्रति घृणा करता।
 
4. ज्ञान और योग्यता के लिए जुनूनी बनो : व्यक्ति के जीवन में उसके द्वारा हासिल शिक्षा या ज्ञान और उसकी कार्य योग्यता ही काम आती है। दोनों के प्रति एकलव्य जैसा जुनून होना चाहिए तभी वह हासिल होती है। अगर आप अपने काम के प्रति जुनूनी हैं तो कोई भी बाधा आपका रास्ता नहीं रोक सकती। आपको ज्यादा से ज्यादा ज्ञान हासिल करते हुए योग्य से योग्य बनना चाहिए तभी आप दुनिया जीतने की क्षमता हासिल कर पाएंगे।
 
5. ज्ञान का हो सही क्रियान्वयन : शिष्य या पुत्र को ज्ञान देना माता-पिता व गुरु का कर्तव्य है, लेकिन सिर्फ ज्ञान से कुछ भी हासिल नहीं होता। बिना विवेक और सद्बुद्धि के ज्ञान अकर्म या विनाश का कारण ही बनता है इसलिए ज्ञान के साथ विवेक और अच्छे संस्कार देने भी जरूरी हैं। हमने ऐसे कई व्यक्ति देखें हैं जो है तो बड़े ज्ञानी लेकिन व्यक्तित्व से दब्बू या खब्बू हैं या किसी जंगल में धूनी रमाकर बैठे हैं। उनके ज्ञान से न तो परिवार का हित हो रहा है और न समाज का। ऐसे लोगों को कहते हैं अपने मियां मिट्ठु। खुद लिखे और खुद ही बांचे। इसीलिए यदि आपके पास ज्ञान और योग्यता है तो उसका उचित समय पर क्रियान्वन भी होना चाहिए।