बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. वामा
  3. मातृ दिवस
  4. Hindi poem on maa

मां पर कविता : मां, जानी मैंने तुम्हारी पीड़ा

मां पर कविता : मां, जानी मैंने तुम्हारी पीड़ा - Hindi poem on maa
जीवन के 
इक्कीस वर्ष बाद, मां 
जानी मैंने 
तुम्हारी पीड़ा 
जब अपना अंश 
अपनी बिटिया 
अपनी बांहों में पाई मैंने। 
 
मेरे रोने पर 
तुम छाती से लगा लेती होगी मुझे, 
यह तो मुझे ज्ञात नहीं 
पर घुटने-कोहनी 
जब छिल जाते थे गिरने पर 
याद है मुझे 
तुम्हारे चेहरे की वो पीड़ा। 
 
तुम्हारी छाती का दर्द 
उतर आया मेरे भी भीतर, 
बेटी कष्ट में हो तो 
दिल मुट्ठी में आना 
कहते हैं किसे, 
जानने लगी हूँ मैं। 
 
मेरे देर से घर 
लौटने पर 
तुम्हारी चिंता और गुस्से पर 
आक्रोश मेरा 
आरज कर देता है मुझे शर्मिंदा,
जब अपनी बेटी को 
देर होने पर 
डूब जाती हूँ मैं चिंता में। 
 
बेटी के अनिष्ट की 
कल्पना मात्र से 
पसलियों में दिल 
नगाड़े-सा बजता है 
तब सुन न पाती थी 
तुम्हारे दिल की धाड़-धाड़
.....मैं मुरख। 
 
महसूस कर सकती हूँ 
मेरी सफलता पर तुम्हारी खुशी आज, 
जब बेटी 
कामयाबी का शिखर चूमती है, 
क्षमा कर दोगी मां, 
मेरी भूलों को, 
क्योंकि अब जान गई हूं 
कि बच्चे कितने ही गलत हो 
मां सदा ही क्षमा करती है। 
ये भी पढ़ें
बहुत सरल है खुशियों की डगर.... आइए चलें