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गर्भावस्था के वे मिथक जो आपको पता होना चाहिए

गर्भावस्था के वे मिथक जो आपको पता होना चाहिए - pregnancy myths
गर्भावस्था किसी भी महिला के जीवन का एक सुनहरा पड़ाव है। यह और भी ज्यादा खास तब हो जाता है, जब आप पहली बार मां बनने वाली होती हैं। उस क्षण जब आपको पता चलता है कि आपने गर्भधारण किया है और आप मां बनने वाली हैं, तब वह पल शायद ही कोई महिला अपने जीवन में भुला पाती है।
 
पहली गर्भावस्था खुशी के साथ ही ढेर सारी उत्सुकता और डर भी साथ लेकर आती है। आपके जीवन का यह एक ऐसा खास समय होता है, जब आप एक लड़की से महिला और महिला से मां बनने के रिश्ते को महसूस करती हैं। अब तक तो आपने मां की परिभाषा और मिसालें सुनी होती हैं कि कैसे एक मां अपने बच्चे के लिए किसी भी हद तक जाती है। ये ही वो समय होता है, जब पहली बार आप यह सब महसूस करती हैं।
 
पहली गर्भावस्था के दौरान हर लड़की अपनी समझ से हर वो काम करती है, जो उसके होने वाले बच्चे के स्वास्थ्‍य के लिए अच्छा हो और उसका ब्च्चा हृष्ट-पुष्ट पैदा हो। और यही वो समय होता है, जब सलाह देने वाले लोगों की भी आपको कमी नहीं होती। रिश्तेदार, पड़ोसी, दोस्त, परिवार या हर कोई आपको गर्भावस्था के दौरान आने वाली समस्याओं की टिप्स देता है। मजे की बात यह है कि सभी की राय भी अलग-अलग होती है। आखिर उन सभी का अपना अलग-अलग अनुभव जो रहा है। लेकिन हर महिला का शरीर अलग होता है। कोई चीज किसी के लिए काम कर सकती है तो जरूरी नहीं कि वह आपके लिए भी सही ही नतीजे देगी। 
 
हर गर्भावस्था अलग-अलग होती है। सभी तरह के चेकअप के बाद आपको आपके डॉक्टर ही सही सलाह देंगे। लेकिन गर्भावस्था से जुड़ीं कुछ ऐसी गलतफहमियां हैं, जो बहुत ही कॉमन हैं तथा जो आपको पता होना चाहिए। आइए जानते हैं कुछ ऐसी ही गलतफहमियों के बारे में...
 
1. दो के लिए भोजन करें
 
अक्सर लोग कहते हैं कि गर्भवती महिलाओं को ज्यादा खाना चाहिए, दो लोगों के बराबर खाना चाहिए, क्योंकि अब वे एक नहीं, बल्कि दो जान हैं। लेकिन यह धारणा गलत है। गर्भावस्था के दौरान आपको स्वस्थ, ताजा और पौष्टिक खाने की जरूरत है। आपको केवल 300 अतिरिक्त कैलोरी प्रतिदिन ज्यादा लेनी होती है। इससे ज्यादा खाने से आप जरूरत से ज्यादा ही अपना वजन बढ़ा लेंगी जिसकी कि जरूरत ही नहीं है। असंतुलित वजन बढ़ाने से आपको मधुमेह, पीठदर्द, उच्च रक्तचाप जैसी समस्या हो सकती है और हो सकता है कि आप नॉर्मल प्रसूति नहीं कर पाएं, क्योंकि आपके बच्चे का साइज भी बहुत बड़ा होगा जिस कारण सिजेरियन की आवश्यकता हो सकती है।
 
2. व्यायाम से बचें
 
आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि गर्भवती महिला को व्यायाम नहीं करना चाहिए और जितना संभव हो, आराम करना चाहिए, लेकिन ये भी मिथक है। डॉक्टर भी गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से हल्का व्यायाम, पैदल वॉक करने की सलाह देते हैं। व्यायाम करने से आपको नींद भी अच्छी आती है। गर्भावस्था के दौरान भी आपको छोटे-मोटे काम करते रहना चाहिए। हालांकि यह सच है कि आपको बहुत अधिक शारीरिक मेहनत वाले काम और कठोर कसरत से बचना चाहिए। जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान सक्रिय रहती हैं उन्हें असक्रिय महिलाओं के मुकाबले में कम समय के लिए प्रसव पीड़ा सहन करनी होती है और प्रसवोत्तर अवसाद भी इन्हें कम होता है। किसी भी तरह की कसरत शुरू करने से पहले वॉर्मअप जरूर करें।
 
3. पीठदर्द को रोका नहीं जा सकता
 
अक्सर यह भी माना जाता कि गर्भावस्था का मतलब है कि आपको पीठदर्द और अन्य दर्द होंगे ही। गर्भावस्था के दौरान अक्सर महिलाओं को पीठदर्द की शिकायत होती है, लेकिन यह ऐसी समस्या नहीं है जिसका कि कोई इलाज न हो। गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ने व पोश्चर सही नहीं होने से आपको पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। लेकिन यदि आप अपने उठने-बैठने व चलने-फिरने का पोश्चर सही रखें तो आप इस दर्द को कम कर सकती हैं। व्यायाम करने से भी आपको इस दर्द से थोड़ी राहत मिलेगी। इस समय हाई हील्स पहनने से बचें और भारी सामान न उठाएं। 
 
4. गरम स्नान न करें
 
बहुत से लोग गर्भवती महिलाओं को यह सलाह भी देते हैं कि वे पहले की तरह रोजाना स्नान न करें। कम समय लेते हुए गुनगुने पानी से आप रोज स्नान कर सकती हैं। हालांकि आपको गर्भावस्था के दौरान ज्यादा देर तक गर्म पानी में रहने से बचना चाहिए। एक रिपोर्ट के मुताबिक गर्भवती महिलाओं को अपने शरीर का तापमान 102.2 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर नहीं जाने देना चाहिए। शरीर का ज्यादा तापमान होने से ब्लडप्रेशर, डेजिनेस और डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है।
 
5. कभी-कभी ड्रिंक कर सकते हैं
 
कुछ लोगों का यहां तक मानना है कि गर्भावस्था के दौरान कभी-कभी शराब पीना ठीक है। लेकिन यह बिलकुल गलत है। वास्तव में गर्भवती होने पर आपको शैम्पेन, टोस्ट या कभी-कभी वाली शराब से भी दूरी बनानी चाहिए। कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि गर्भावस्था के दौरान शराब पीने या किसी भी प्रकार का नशा करने से होने वाले शिशु में विकारों की आशंकाएं बढ़ जाती हैं।
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