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Last Updated : मंगलवार, 7 जुलाई 2020 (16:59 IST)

Corona Effect : मप्र में युवा सिविल इंजीनियर कर रहा मनरेगा में मजदूरी

MNREGA | Corona Effect : मप्र में युवा सिविल इंजीनियर कर रहा मनरेगा में मजदूरी
इंदौर। मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के तहत मजदूरी कर रहे लोगों में सिविल इंजीनियर सहित उच्च शिक्षा प्राप्त कई युवा भी शामिल हैं। आर्थिक रूप से कमजोर पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले सिविल इंजीनियर युवक का सपना 'डिप्टी कलेक्टर' बनने का है। लेकिन कोविड-19 की मार के बीच उचित रोजगार के अभाव में उसे इन दिनों मजदूरी करनी पड़ रही है।
इंदौर से करीब 150 किलोमीटर दूर गोवाड़ी गांव में तालाब खोद रहे मजदूरों में से एक सचिन यादव (24) ने मंगलवार को बताया कि मैंने वर्ष 2018-19 में सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक उपाधि प्राप्त की थी। मार्च के आखिर में कोविड-19 के लॉकडाउन की घोषणा से पहले मैं इंदौर में रहकर मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) की भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहा था।
 
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण कुछ दिन मुझे कुछ दिनों तक इंदौर में ही रहना पड़ा। आवागमन के लिए प्रशासन की छूट मिलते ही मैं अपने गांव लौट आया, क्योंकि कोविड-19 के प्रकोप के चलते मुझे इंदौर में रहना सुरक्षित नहीं लग रहा था। मेरी कोचिंग क्लास भी बंद हो गई थी।
यादव ने बताया कि मेरा लक्ष्य डिप्टी कलेक्टर बनना है। लिहाजा मजदूरी के साथ अपने गांव में ही एमपीपीएससी परीक्षा की तैयारी भी कर रहा हूं। युवक के मुताबिक वह मजदूरी इसलिए कर रहा है, क्योंकि उसके पास रोजगार का कोई अन्य साधन नहीं है और कोविड-19 संकट के बीच वह अपने परिवार की आर्थिक मदद करने के साथ प्रतियोगी परीक्षा की पढ़ाई के लिए कुछ रकम जुटाना चाहता है। यादव ने बताया कि मुझे मनरेगा के तहत 1 दिन की मजदूरी के बदले 190 रुपए मिलते हैं। इसके लिए मुझे दिन में 8 घंटे काम करना होता है।
 
महीने भर से मनरेगा के तहत मजदूरी कर रहे सिविल इंजीनियर ने कहा कि कोई भी काम छोटा नहीं होता। कोविड-19 के संकट का बहाना बनाकर मैं अपना वक्त बर्बाद नहीं करना चाहता। लिहाजा मुझे अपने गांव में जो रोजगार मयस्सर है, मैं वह काम कर रहा हूं।
 
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के क्षेत्रीय लोकसंपर्क ब्यूरो की इंदौर इकाई के एक अधिकारी ने बताया कि यादव के अलावा करीब 15 स्नातक युवा इन दिनों गोवाड़ी गांव में मनरेगा में मजदूरी कर रहे हैं। अन्य युवाओं के पास बीए और बीएससी सरीखी उपाधियां हैं।
 
अधिकारी ने बताया कि अपने परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण ये युवा मनरेगा में मजदूरी कर रहे हैं। मजदूरी करने के बाद बचे समय में वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहे हैं। (भाषा)